फेसबुक से डाटा लीक होने की तस्दीक होने के बाद अब चुनाव आयोग फेसबुक के साथ अपने लगभग तीन साल पुराने रिश्तों की समीक्षा कर रहा है. आयोग के उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक डाटा लीकेज ना हो इसके एहतियाती उपाय किये जाने ज़रूरी हैं बजाय कि युवाओं के पसंदीदा प्लेटफार्म्स से मुंह मोड़ने का कोई औचित्य आज के दौर में नहीं है.
चुनाव आयोग और फेसबुक के रिश्तों पर निगाह डालें तो दोनों की आंखे चार हुई 2015 में जब आयोग ने फेसबुक पर अपना पेज बनाया. 2014 के चुनावों से चार्ज हुए युवा मतदाताओं की जब आयोग की गतिविधियों में दिलचस्पी बढ़ी तो रिश्तों में गर्माहट भी बढ़ी. आयोग और फेसबुक में गठजोड़ हुआ। आयोग ने फेसबुक के ज़रिए 18 साल के हुए नौजवान वोटरों को जागरूक करने का ज़ोरदार अभियान चला. फेसबुक ने 2015 से अब तक उन नौजवानों को मैसेज भेजना शुरू किया जिन्होंने 18 बसन्त की दहलीज पार कर ली हो. नौजवान धड़ाधड़ जुड़ने लगे. मतदाताओं का पंजीकरण और आयोग के साथ फेसबुक का उत्साह सब साथ साथ बढ़ते गये.
इसके बाद अगले बड़े प्रोजेक्ट में फेसबुक और चुनाव आयोग साथ चले जब 2016 में राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव हुए. तब भी फेसबुक ने नए वोटरों को उनके संवैधानिक अधिकारों और कर्तव्यों की याद दिलाई. इसके अलावा फेसबुक नवजवानों के जन्मदिन पर शुभकामनाएं और बधाई देने के साथ उन्हें ये भी याद दिलाने लगा कि अब वो देश के भाग्य विधाता यानी वोटर बनने के योग्य हो चुके हैं. फौरन वोटर रजिस्ट्रेशन कराकर वोटर कार्ड बनवा लें.
इसके बाद आया 2018 की 25 जनवरी को नेशनल वोटर्स डे. फेसबुक ने आयोग की ओर से भेजी बधाई! साथ ही वोट देने के अधिकार और लोकतांत्रिक कर्तव्यों की याद भी दिलाई. लेकिन अब जब फेसबुक के संस्थापक मार्क...
फेसबुक से डाटा लीक होने की तस्दीक होने के बाद अब चुनाव आयोग फेसबुक के साथ अपने लगभग तीन साल पुराने रिश्तों की समीक्षा कर रहा है. आयोग के उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक डाटा लीकेज ना हो इसके एहतियाती उपाय किये जाने ज़रूरी हैं बजाय कि युवाओं के पसंदीदा प्लेटफार्म्स से मुंह मोड़ने का कोई औचित्य आज के दौर में नहीं है.
चुनाव आयोग और फेसबुक के रिश्तों पर निगाह डालें तो दोनों की आंखे चार हुई 2015 में जब आयोग ने फेसबुक पर अपना पेज बनाया. 2014 के चुनावों से चार्ज हुए युवा मतदाताओं की जब आयोग की गतिविधियों में दिलचस्पी बढ़ी तो रिश्तों में गर्माहट भी बढ़ी. आयोग और फेसबुक में गठजोड़ हुआ। आयोग ने फेसबुक के ज़रिए 18 साल के हुए नौजवान वोटरों को जागरूक करने का ज़ोरदार अभियान चला. फेसबुक ने 2015 से अब तक उन नौजवानों को मैसेज भेजना शुरू किया जिन्होंने 18 बसन्त की दहलीज पार कर ली हो. नौजवान धड़ाधड़ जुड़ने लगे. मतदाताओं का पंजीकरण और आयोग के साथ फेसबुक का उत्साह सब साथ साथ बढ़ते गये.
इसके बाद अगले बड़े प्रोजेक्ट में फेसबुक और चुनाव आयोग साथ चले जब 2016 में राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव हुए. तब भी फेसबुक ने नए वोटरों को उनके संवैधानिक अधिकारों और कर्तव्यों की याद दिलाई. इसके अलावा फेसबुक नवजवानों के जन्मदिन पर शुभकामनाएं और बधाई देने के साथ उन्हें ये भी याद दिलाने लगा कि अब वो देश के भाग्य विधाता यानी वोटर बनने के योग्य हो चुके हैं. फौरन वोटर रजिस्ट्रेशन कराकर वोटर कार्ड बनवा लें.
इसके बाद आया 2018 की 25 जनवरी को नेशनल वोटर्स डे. फेसबुक ने आयोग की ओर से भेजी बधाई! साथ ही वोट देने के अधिकार और लोकतांत्रिक कर्तव्यों की याद भी दिलाई. लेकिन अब जब फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग ने यह मान लिया है कि हां, चुनाव और मतदाताओं से सम्बंधित डाटा लीक हुआ है और इसकी जिम्मेदारी भी वो लेते हैं तो आयोग ने इस पर समीक्षा करने की ठानी.
आयोग ने इस पूरे मामले की गहन पड़ताल के लिए विशेषज्ञों की टीम बनाई और उनसे इस गड़बड़ के तकनीकी और कानूनी पहलुओं पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. आयोग उसी के आधार पर ज़्यादा मज़बूत सुरक्षा उपायों के साथ ही अब सोशल मीडिया की राह पर आगे बढ़ेगा. क्योंकि अधिकार और कर्तव्य के साथ निजता का अधिकार भी तो मायने रखता है ना.
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