इस बेजुबान (Elephant cry video) का दर्द देख आंसू रोक पाना मुश्किल है. पालने वाले महावत की मौत (Mahout death) के बाद हाथी मीलों दूर का सफर तय कर अंतिम दर्शन करने पहुंचा और शव के पास जाकर चुपचाप खड़ा हो गया. वह बार-बार सूंड़ से बच्चे की तरह पिता समान महावत को छूने की कोशिश करता रहा. अब आप कैसे तय करेंगे कि कौन अनपा है और कौन पराया.
क्या प्यार की कोई भाषा होती है, इस भावना को वो इंसान अच्छी तरह समझ सकते हैं जिसने कभी कोई जानवर पाला हो. इस हाथी और महावत (Elephant Crying Video) के बीच एक पिता और पुत्र जैसा रिश्ता था. तभी तो महावत की मौत के बाद भी उनका तब तक अंतिम संस्कार नहीं किया गया जब तक हाथी आ नहीं गया. सभी लोगों ने शव रखकर हाथी के आने का इंतजार किया. महावत ने इस हाथी को 25 सालों से पाला था, उसकी देखरेख की थी. लोग कहते हैं कि दोनों के दोस्ती बहुत थी. जहां हाथी अंतिम दर्शन को आया तो उसके इमोशन को देख गांव के लोग भी रोने लगे.
कितनी बार ऐसी खबरें आती हैं कि मालिक के गुजर जाने के बाद जानवर दुखी हो जाते हैं. आखिर इंसान और इन बेजुबान के बीच कैसे रिश्ता बन जाता है, कि उनके जाने के बाद जानवर गमगीन होकर खामोश हो जाते हैं. लोग बोलते हैं ये अपना है और वो पराया. जबकि कई बार ऐसा होता है कि दुख की घड़ी में कोई अपना साथ नहीं देता लेकिन पराया काम आता है. जब हम दर्द में होते हैं तो हमारी तकलीफ खून के रिश्ते वाला नहीं समझता और कोई अनजान हमारा दर्द कम करने के लिए अपनी जान लगा देता है.
इस हाथी और महावत के बीच भी कुछ ऐसा ही दिल का रिश्ता था, जो यह बताता कि ‘कैसे कोई तय करता है कौन पराया है. एक वही रिश्ता तेरी कमाई है जिसने दर्द के पल में तेरा साथ निभाया है’. चलिए पूरा कहानी आपको बताते हैं.
जब कोई जानवर पालता है और इस दुनिया से चला...
इस बेजुबान (Elephant cry video) का दर्द देख आंसू रोक पाना मुश्किल है. पालने वाले महावत की मौत (Mahout death) के बाद हाथी मीलों दूर का सफर तय कर अंतिम दर्शन करने पहुंचा और शव के पास जाकर चुपचाप खड़ा हो गया. वह बार-बार सूंड़ से बच्चे की तरह पिता समान महावत को छूने की कोशिश करता रहा. अब आप कैसे तय करेंगे कि कौन अनपा है और कौन पराया.
क्या प्यार की कोई भाषा होती है, इस भावना को वो इंसान अच्छी तरह समझ सकते हैं जिसने कभी कोई जानवर पाला हो. इस हाथी और महावत (Elephant Crying Video) के बीच एक पिता और पुत्र जैसा रिश्ता था. तभी तो महावत की मौत के बाद भी उनका तब तक अंतिम संस्कार नहीं किया गया जब तक हाथी आ नहीं गया. सभी लोगों ने शव रखकर हाथी के आने का इंतजार किया. महावत ने इस हाथी को 25 सालों से पाला था, उसकी देखरेख की थी. लोग कहते हैं कि दोनों के दोस्ती बहुत थी. जहां हाथी अंतिम दर्शन को आया तो उसके इमोशन को देख गांव के लोग भी रोने लगे.
कितनी बार ऐसी खबरें आती हैं कि मालिक के गुजर जाने के बाद जानवर दुखी हो जाते हैं. आखिर इंसान और इन बेजुबान के बीच कैसे रिश्ता बन जाता है, कि उनके जाने के बाद जानवर गमगीन होकर खामोश हो जाते हैं. लोग बोलते हैं ये अपना है और वो पराया. जबकि कई बार ऐसा होता है कि दुख की घड़ी में कोई अपना साथ नहीं देता लेकिन पराया काम आता है. जब हम दर्द में होते हैं तो हमारी तकलीफ खून के रिश्ते वाला नहीं समझता और कोई अनजान हमारा दर्द कम करने के लिए अपनी जान लगा देता है.
इस हाथी और महावत के बीच भी कुछ ऐसा ही दिल का रिश्ता था, जो यह बताता कि ‘कैसे कोई तय करता है कौन पराया है. एक वही रिश्ता तेरी कमाई है जिसने दर्द के पल में तेरा साथ निभाया है’. चलिए पूरा कहानी आपको बताते हैं.
जब कोई जानवर पालता है और इस दुनिया से चला जाता है तो उन पालतू जानवरों को बहुत दुख होता है. उनको भी एहसास होता है. जानवर भी रोते हैं अपने मालिक को याद करते हैं और इस तकलीफ की वजह से कई बार वे काफी दिनों तक शांत हो जाते हैं. वो जानवर पालने वाले को अपना परिवार मानते हैं.
केरल के कोट्टायम में ही ऐसा ही एक मामला सामने आया है. जहां महावत की मौत के बाद उनके दर्शन के लिए हाथी को बुलाया गया. हाथी उस वक्त लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर था. जब वह सफर तय करके पहुंचा तो महावत के शव के पास गया और वहीं पास खड़ा होकर एकदम शांत होकर उन्हें एकटक देखता रहा. वह एक बच्चे की तरह पिता समान महावत के शव को छूने की कोशिश करता रहा. उसे देखकर ऐसा लगा जैसे वह अपने पिता के शव से लिपटना चाहता हो.
75 साल के महावत ओमन चेट्टन, इस हाथी को प्यार से ब्रह्मदातन कहते थे. जिसके दर्द को देखने बाद वहां मौजूद लोग खुद को रोक नहीं पाए और रोने लगे. वहीं इस वीडियो को देखने के बाद कई लोग इमोशनल हो गए.
दरअसल, महावत बीते 60 वर्षों से हाथियों का ध्यान रखते थे. उनका ब्रह्मदातन से खास लगाव था. बीते 25 वर्षों से वो बेटे की तरह ब्रह्मदातन का ख्याल रखते थे. वे हाथियों को बड़े प्यार से रखते थे और कभी भी किसी हाथी को मारा तक नहीं.
महावत की मौत कैंसर की वजह से हुई. हाथी को अंतिम संस्कार के लिए शव के पास से हटाना जरूरी था तो महावत के बेटे हाथी के पास आए और उसे छूकर इमोशनल होकर खुद भी रोने लगे. हाथी बस शांत खड़ा है फिर वह चुपचाप चला जाता है. वीडियो में देख सकते हैं कि हाथी जिस तरह से अपने मालिक को अलविदा कहता है, उसे देखकर कलेजा फट जाता है.
अब बताइए क्या प्यार की कोई परिभाषा कोई जुबान है, इस बेजुबान का अपने मालिक के लिए प्यार देखकर कौन बताएगा कि कौन अपना होता है और कौन पराया...एक जानवर और इंसान का यह प्यारा रिश्ता हमें कितना कुछ सीखा गया…
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