फैमिली ग्रुप से लेकर दोस्तों के ग्रुप में फास्टैग स्कैम (FASTag Scam) का वायरल वीडियो क्या आया. सबने अपने फास्टैग का बैलेंस चेक करना शुरू कर दिया. इस वायरल वीडियो ने लोगों की बीच घबराहट इस कदर बढ़ा दी कि वायरल वीडियो की विश्वनीयता की जगह बहस का रुख पैसों की सुरक्षा तक पहुंच गया. क्योंकि, इस वायरल वीडियो में दावा किया गया था कि एक स्मार्टवॉच के जरिये आपके फास्टैग (FASTag) की रकम चुटकियों में उड़ा ली जाती है. हालांकि, वीडियो के वायरल होने के कुछ समय बाद ही इसे 'अफवाह' फैलाने वाला फेक वीडियो करार दे दिया गया.
इस 'स्क्रिप्टेड' और 'फेक' वीडियो फास्टैग से जुड़ी पूरी मशीनरी को ही हिला कर रख दिया. पेटीएम से लेकर एनईटीसी तक को सामने आकर कहना पड़ा कि फास्टैग के साथ ऐसा कुछ भी किया जाना संभव नहीं है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो स्मार्टवॉच के जरिये फास्टैग से किसी भी तरह का 'फ्रॉड ट्रांजेक्शन' नहीं किया जा सकता है. लेकिन, इस वीडियो ने तब तक अपना काम कर दिया था. लोगों ने बिना सोचे-समझे जमकर इसे वायरल किया. और, इस तरह लोगों ने राष्ट्रहित में अपनी ओर से एक छोटी आहूति देकर अपने नागरिक दायित्वों की इतिश्री कर ली.
कहना गलत नहीं होगा कि किसी जमाने में जब गणेश जी की मूर्ति के दूध पीने की अफवाह फैलती थी. तो, लोग मंदिरों में लाइन लगा देते थे. वैसी चीजें आज के समय में भी होती हैं. बस अंतर केवल इतना है कि पहले लोग मंदिरों के बाहर इकट्ठा होते थे. तो, अब व्हाट्सएप, फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं. आसान शब्दों में कहा जाए, तो भारत की डिजिटल क्रांति में अहम भूमिका निभाने वाला इंटरनेट अब कुछ सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर की वजह से अफवाहों का अड्डा बन गया है. और, वीडियो बनाकर अफवाह फैलाने वालों को भी 'स्कैन' करना जरूरी है.
वीडियो वायरल करने वाला 'ब्लूटिक' फेसबुक...
फैमिली ग्रुप से लेकर दोस्तों के ग्रुप में फास्टैग स्कैम (FASTag Scam) का वायरल वीडियो क्या आया. सबने अपने फास्टैग का बैलेंस चेक करना शुरू कर दिया. इस वायरल वीडियो ने लोगों की बीच घबराहट इस कदर बढ़ा दी कि वायरल वीडियो की विश्वनीयता की जगह बहस का रुख पैसों की सुरक्षा तक पहुंच गया. क्योंकि, इस वायरल वीडियो में दावा किया गया था कि एक स्मार्टवॉच के जरिये आपके फास्टैग (FASTag) की रकम चुटकियों में उड़ा ली जाती है. हालांकि, वीडियो के वायरल होने के कुछ समय बाद ही इसे 'अफवाह' फैलाने वाला फेक वीडियो करार दे दिया गया.
इस 'स्क्रिप्टेड' और 'फेक' वीडियो फास्टैग से जुड़ी पूरी मशीनरी को ही हिला कर रख दिया. पेटीएम से लेकर एनईटीसी तक को सामने आकर कहना पड़ा कि फास्टैग के साथ ऐसा कुछ भी किया जाना संभव नहीं है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो स्मार्टवॉच के जरिये फास्टैग से किसी भी तरह का 'फ्रॉड ट्रांजेक्शन' नहीं किया जा सकता है. लेकिन, इस वीडियो ने तब तक अपना काम कर दिया था. लोगों ने बिना सोचे-समझे जमकर इसे वायरल किया. और, इस तरह लोगों ने राष्ट्रहित में अपनी ओर से एक छोटी आहूति देकर अपने नागरिक दायित्वों की इतिश्री कर ली.
कहना गलत नहीं होगा कि किसी जमाने में जब गणेश जी की मूर्ति के दूध पीने की अफवाह फैलती थी. तो, लोग मंदिरों में लाइन लगा देते थे. वैसी चीजें आज के समय में भी होती हैं. बस अंतर केवल इतना है कि पहले लोग मंदिरों के बाहर इकट्ठा होते थे. तो, अब व्हाट्सएप, फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं. आसान शब्दों में कहा जाए, तो भारत की डिजिटल क्रांति में अहम भूमिका निभाने वाला इंटरनेट अब कुछ सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर की वजह से अफवाहों का अड्डा बन गया है. और, वीडियो बनाकर अफवाह फैलाने वालों को भी 'स्कैन' करना जरूरी है.
वीडियो वायरल करने वाला 'ब्लूटिक' फेसबुक पेज
फास्टैग का फर्जी वीडियो बनाने वाले फेसबुक पेज 'बकलोल वीडियो' को ब्लूटिक के साथ बाकायदा सर्टिफिकेशन मिला हुआ है. लिखी सी बात है कि इसके वीडियोज को काफी पसंद किया जाता है. तभी इसे ब्लूटिक मिला है. अब इसके वीडियोज की ओर भी रुख कर लिया जाए, तो नजर आता है कि इस फेसबुक पेज पर कंटेंट के नाम पर उटपटांग के वीडियो बनाकर लोगों के सामने ठेल दिए जाते हैं. जिसे लोग हाथोंहाथ लेते हैं. लेकिन, इसके लिए अपनाए गए तरीकों की ओर भी ध्यान देना जरूरी है.
हाल ही में इस पेज पर एक वीडियो अपलोड हुआ है. जिसके थंबनेल में फौजी की वर्दी में एक शख्स बुर्का पहने एक महिला के साथ जबरदस्ती करता नजर आ रहा है. जबकि, वीडियो देखने पर यह उलटा निकलता है. 'भाई ने बहन के साथ कर दिया ऐसा काम', 'ट्यूशन वाली मैडम' जैसे वीडियो में भी थंबनेल का इस्तेमाल इसी तरह से किया गया है. वैसे, जब आपका कंटेंट इतना ही अच्छा और पसंद किया जाता है. तो, उसके लिए ऐसी लाइनें और थंबनेल का इस्तेमाल किस प्रयोजन से किया जाता है. इसका जवाब पेज चलाने वाले ही दे सकते हैं.
इंफ्लुएंसरों की भीड़ में पैसा कमाने की होड़
सोशल मीडिया पर इन दिनों इंफ्लुएंसरों की एक बड़ी तादात खड़ी हो गई है. और, इंस्टाग्राम रील्स से लेकर फेसबुक और यूट्यूब पर वीडियो के जरिये पैसा कमाना सोशल मीडिया इंफ्लुएंसरों का नया शगल है. लेकिन, एक जैसे वीडियो से कोई कितना पैसा कमा सकता है. तो, इन सोशल मीडिया इंफ्लुएंसरों ने फर्जी और फेक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया के जरिये लाखों कमाने का सपना पाल लिया है. और, इसके लिए ये इंफ्लुएंसर किसी भी हद तक चले जाते हैं.
बता दें कि ऐसे ही एक मामले में बीते साल दिल्ली के एक यूट्यूबर गौरव जॉन ने अपने पालतू डॉग को हवा में उड़ने वाले गुब्बारे से बांध कर उसे उड़ा दिया था. आसान शब्दों में कहा जाए, तो ये सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर बिना किसी सामाजिक बोध के लोगों के बीच कुछ भी वायरल करने की कोशिश करते हैं. फिर चाहे उससे आतंक फैले या अफवाह इन्हें उससे कोई लेना-देना नहीं होता. इस वीडियो पर बवाल के बाद इसे फेसबुक पेज से हटा दिया गया है. लेकिन, कई जगहों पर ये अभी भी बरकरार है.
यकीन करने से पहले स्त्रोत देख लें
सोशल मीडिया पर इस तरह के वीडियो और पेजों की भीड़ में लोगों के लिए सही-गलत का फैसला करना मुश्किल हो जाता है. तो, ऐसी पैनिक सिचुएशन बनाने वाले वीडियो को लेकर लोगों को ही सतर्क होना होगा. क्योंकि, सोशल मीडिया पर कोई कुछ भी पोस्ट कर सकता है. लेकिन, लोगों को बिना किसी आधिकारिक स्त्रोत के ऐसे वीडियो पर भरोसा नहीं करना चाहिए. क्योंकि, अफवाहों को फैलाने के लिए ऐसे ही पेजों और वीडियो का सहारा लिया जाता है. खैर, इस वीडियो के जरिये लोगों के बीच जितनी घबराहट या आशंका फैलनी थी. वो फैल चुकी है. लेकिन, अब इस तरह के फेक वीडियो के जरिये अफवाह फैलाने वालों पर सरकार क्या कार्रवाई करेगी, ये देखना दिलचस्प होगा.
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