इस तस्वीर को ध्यान से देखिए और बताइए कि इसमें ऐसा क्या है जो ये वायरल हो गई है?
जाहिर है एक पिता अपने बच्चे का डायपर चेंज कर रहा है. पर इसमें आश्चर्य की बात क्यों है, पिता भी ये काम कर सकते हैं. लेकिन गौर से देखेंगे तो पाएंगे कि ये काम एक men's toilet में किया जा रहा है, जहां बच्चे के डायपर चेंज करने के लिए कोई सुविधा नहीं होती. लिहाजा इस पिता ने अपने पैरों के ऊपर बच्चे को लिटाया जिससे वो डायपर चेंज कर सके. इस तस्वीर के वायरल होने की वजह सबके लिए अलग-अलग हो सकती है, लेकिन ये पिता जेंडर इक्विलिटी की जंग का नया हीरो बन गया है.
ये हैं फ्लोरिडा के रहने वाले 31 साल के डोन्टे पामर (donte palmer) जो अपनी पत्नी और तीन बच्चों के साथ एक रेस्त्रां में गए थे. जहां उनके सबसे छोटे बेटे को डायपर चेंज की जरूरत पड़ी. उनका कहना है कि जब वो बाहर जाते हैं तो बच्चे के डायपर चेंज करने के लिए अपने 7 साल के बेटे की मदद लिया करते हैं क्योंकि पुरुष वॉशरूम में चेंजिंग टेबल जैसी कोई सुविधा नहीं होती.
इस रेस्त्रां में भी नहीं थी, इसलिए उन्हें इस तरह बैठकर बच्चे का डायपर बदलना पड़ा. अपने पापा को इस तरह देखकर बड़े बेटे ने ये तस्वीर खींच ली. बाहर आकर जब उन्होंने ये तस्वीर देखी तब उन्हें अहसास हुआ कि माताओं का पिताओं को दी जाने वाली सुविधाओं में कितना फर्क है. तब उन्होंने इंस्टाग्राम पर इस तस्वीर को शेयर किया और #squatforchange के साथ एक बदलाव की शुरुआत की उम्मीद की.
अपनी पोस्ट में उन्होंने...
इस तस्वीर को ध्यान से देखिए और बताइए कि इसमें ऐसा क्या है जो ये वायरल हो गई है?
जाहिर है एक पिता अपने बच्चे का डायपर चेंज कर रहा है. पर इसमें आश्चर्य की बात क्यों है, पिता भी ये काम कर सकते हैं. लेकिन गौर से देखेंगे तो पाएंगे कि ये काम एक men's toilet में किया जा रहा है, जहां बच्चे के डायपर चेंज करने के लिए कोई सुविधा नहीं होती. लिहाजा इस पिता ने अपने पैरों के ऊपर बच्चे को लिटाया जिससे वो डायपर चेंज कर सके. इस तस्वीर के वायरल होने की वजह सबके लिए अलग-अलग हो सकती है, लेकिन ये पिता जेंडर इक्विलिटी की जंग का नया हीरो बन गया है.
ये हैं फ्लोरिडा के रहने वाले 31 साल के डोन्टे पामर (donte palmer) जो अपनी पत्नी और तीन बच्चों के साथ एक रेस्त्रां में गए थे. जहां उनके सबसे छोटे बेटे को डायपर चेंज की जरूरत पड़ी. उनका कहना है कि जब वो बाहर जाते हैं तो बच्चे के डायपर चेंज करने के लिए अपने 7 साल के बेटे की मदद लिया करते हैं क्योंकि पुरुष वॉशरूम में चेंजिंग टेबल जैसी कोई सुविधा नहीं होती.
इस रेस्त्रां में भी नहीं थी, इसलिए उन्हें इस तरह बैठकर बच्चे का डायपर बदलना पड़ा. अपने पापा को इस तरह देखकर बड़े बेटे ने ये तस्वीर खींच ली. बाहर आकर जब उन्होंने ये तस्वीर देखी तब उन्हें अहसास हुआ कि माताओं का पिताओं को दी जाने वाली सुविधाओं में कितना फर्क है. तब उन्होंने इंस्टाग्राम पर इस तस्वीर को शेयर किया और #squatforchange के साथ एक बदलाव की शुरुआत की उम्मीद की.
अपनी पोस्ट में उन्होंने लिखा-
''ये बहुत गंभीर है ! अगर हम मैजूद हैं तो पुरुषों के बाथरूम में चेंजिंग टेबल क्यों मौजूद नहीं. पिता भी अहमियत रखते हैं और हम अक्सर ये करते हैं. और इसमें मेरा बेटा कितना सहज है ये उसका चेहरा बता रहा है. ये उसके लिए रुटीन जैसा है. इस समस्या को खत्म करना चाहिए. मैं इसकी शुरुआत कर रहा हूं, चलो पिताओं कुछ नया करते हैं. #squatforchange''
इस तस्वीर को पेरेंट्स ने खूब शेयर किया जो इस परेशानी में खुद को घिरा महसूस कर चुके थे. लोगों का कहना था कि वो वॉशरूम में ऐसा नहीं कर सकते इसलिए उन्हें कार में चेंज करना पड़ता है. कुछ का कहना था कि उन्हें बच्चों के कपड़े फर्श पर रखने पड़ते हैं और बच्चों को सिंक में बैठाकर डायपर चेंज करना पड़ता है. जबकि देखा जाए तो ये कितना गलत है. बहुतों ने माना कि इस तस्वीर ने सच में हमें वो सोचने पर मजबूर किया है जो समस्या तो है लेकिन अब तक किसी ने उसपर ध्यान ही नहीं दिया था. लोगों ने पामर का साथ देने के लिए अपनी तस्वीरें भी शेयर कीं.
पामर इस बारे में यही कहते हैं कि- 'एक पिता होने के नाते हमें बाराबरी की तरह देखा जाना चाहिए. हम केवल संरक्षक और कमाने वाले ही नहीं हैं. हम बच्चों के स्ट्रॉलर भी चलाते हैं और सुबह 4 बजे उठकर बच्चे की बोतल भी गर्म करते हैं. मैं और मेरी पत्नी हम हर चीज़ बराबरी से करते हैं. हम खाना पकाते हैं और सफाई भी करते हैं, हम दोनों बराबर की मेहनत करते हैं. हम तो अपनी जिम्मेदारी बराबर से उठाते हैं लेकिन समाज की सोच अलग क्यों है?' पामर को उम्मीद है कि इस हैशटैग के साथ बाकी पेरेंट्स भी अपनी तस्वीरें शेयर करेंगे तो जागरुकता बढ़ेगी और इस दिशा में बदलाव जल्द आएगा.
तो ये तो रही अमेरिका की बात जहां पिता इसलिए परेशान हैं कि सुविधाएं न होने की वजह से वो पिता होने की जिम्मदारी सही से नहीं निभा पा रहे. ये देखकर खुशी भी होती है कि जेंडर इक्विलिटी को कुछ लोग वास्तव में गंभीरता से लेते हैं लेकिन हमारे देश में ?? छोटे बच्चों के साथ पेरेंट्स जब कहीं बाहर जाते हैं तो बच्चे की सारी जिम्मेदारी मां के ऊपर ही होती है. उसे संभालना, उसके खाने-पीने का इंतजाम करना यहां तक कि उसकी सूसू-पॉटी के लिए भी महिलाओं को ही दैड़ना पड़ता है. ज्यादातर पिता तो ये जानते भी नहीं कि बच्चे की जरूरतें क्या होती हैं. क्योंकि समाज कहता है कि बच्चे संभालना पुरुषों का नहीं बल्कि महिलाओं का काम होता है. अपना आकलन पुरुष इसी बात से कर सकते हैं कि वो ये भी नहीं बता सकते कि उनके बच्चे के बैग में उनकी जरूरत की क्या-क्या चीजें रखी होती हैं. कुछ अपवाद को छोड़ दें तो यहां के पिता खुद को सिर्फ संरक्षक मानते हैं...बच्चा संभलने के लिए पत्नियां हैं न !
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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.