विदेशों में भाले ही शादी गुड्डे गुड़ियों का खेल हो लेकिन भारत में विवाह एक संस्था है. हिंदुस्तान जैसे देश में शादी की एक खासियत ये भी है कि यहां शादी सिर्फ दो लोगों में नहीं होती. एक नए रिश्ते में दो परिवार, उन परिवारों के रीति रिवाज धार्मिक मान्यताएं और संस्कृति जुड़ती है. अब क्योंकि जिक्र शादी का हुआ है तो भले ही शादी एक महीला और एक पुरुष के लिए बराबरी का कॉन्सेप्ट है मगर हिंदुस्तान की एक बड़ी आबादी आज भी पितृसत्ता की गिरफ्त में है तो मान्यता यही है कि पति ही परमेश्वर होता है. सवाल ये है कि जब भारतीय समाज पति को परमेश्वर मान इस जुमले की दुहाई देता है तो फिर उसे ये कहने में क्यों तकलीफ होती है कि पत्नी भी देवी है. पत्नी पूजनीय है. बीवी भी परमेश्वर होती है. हो सकता है कि इस बात के बाद लोग तर्कों की बौछार कर दें और कह दें कि जो बात जाहिर है और सनातन सत्य है उसका डंका क्या ही बजाना. तो काश ऐसे ही 'पति ही परमेश्वर है ' को भी लोग चुपचाप एक्सेप्ट कर लेते.
चूंकि परिवर्तन ही सृष्टि का नियम है हिंदुस्तानी युवाओं ने अपने में कई बड़े छोटे परिवर्तन किए हैं और इन्हीं परिवर्तनों की बानगी है नए नए शादीशुदा दूल्हे का अपनी पत्नी के पैर छूना. जी हां हैरत में पड़ने की कोई बात नहीं है. देश, परंपरा, रूढ़ियां, मान्यताएं सब बदल रही हैं.
सोशल मीडिया के इस दौर में जब लोगों का प्रयास छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी चीज को वायरल करना हो, इंटरनेट पर कई ऐसी चीजें दिख जाती हैं जो न केवल चेहरे पर मुस्कान लाती हैं बल्कि इस बात का भी एहसास कराती हैं कि हिंदुस्तानी युवा जागरूक और समझदार दोनों एक ही वक्त में हो रहे हैं. दरअसल शादी के दौरान वरमाला डालते हुए एक दूल्हा-दुल्हन...
विदेशों में भाले ही शादी गुड्डे गुड़ियों का खेल हो लेकिन भारत में विवाह एक संस्था है. हिंदुस्तान जैसे देश में शादी की एक खासियत ये भी है कि यहां शादी सिर्फ दो लोगों में नहीं होती. एक नए रिश्ते में दो परिवार, उन परिवारों के रीति रिवाज धार्मिक मान्यताएं और संस्कृति जुड़ती है. अब क्योंकि जिक्र शादी का हुआ है तो भले ही शादी एक महीला और एक पुरुष के लिए बराबरी का कॉन्सेप्ट है मगर हिंदुस्तान की एक बड़ी आबादी आज भी पितृसत्ता की गिरफ्त में है तो मान्यता यही है कि पति ही परमेश्वर होता है. सवाल ये है कि जब भारतीय समाज पति को परमेश्वर मान इस जुमले की दुहाई देता है तो फिर उसे ये कहने में क्यों तकलीफ होती है कि पत्नी भी देवी है. पत्नी पूजनीय है. बीवी भी परमेश्वर होती है. हो सकता है कि इस बात के बाद लोग तर्कों की बौछार कर दें और कह दें कि जो बात जाहिर है और सनातन सत्य है उसका डंका क्या ही बजाना. तो काश ऐसे ही 'पति ही परमेश्वर है ' को भी लोग चुपचाप एक्सेप्ट कर लेते.
चूंकि परिवर्तन ही सृष्टि का नियम है हिंदुस्तानी युवाओं ने अपने में कई बड़े छोटे परिवर्तन किए हैं और इन्हीं परिवर्तनों की बानगी है नए नए शादीशुदा दूल्हे का अपनी पत्नी के पैर छूना. जी हां हैरत में पड़ने की कोई बात नहीं है. देश, परंपरा, रूढ़ियां, मान्यताएं सब बदल रही हैं.
सोशल मीडिया के इस दौर में जब लोगों का प्रयास छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी चीज को वायरल करना हो, इंटरनेट पर कई ऐसी चीजें दिख जाती हैं जो न केवल चेहरे पर मुस्कान लाती हैं बल्कि इस बात का भी एहसास कराती हैं कि हिंदुस्तानी युवा जागरूक और समझदार दोनों एक ही वक्त में हो रहे हैं. दरअसल शादी के दौरान वरमाला डालते हुए एक दूल्हा-दुल्हन का वीडियो सामने आया है.
यूं तो वीडियो ने इंस्टाग्राम, फेसबुक, टेलीग्राम और ट्वीटर पर धूम मचा रखी है लेकिन. ट्विटर पर @KaptanHindostan नाम के अकाउंट से शेयर इस वीडियो को लेकर जो बातें लिखी गईं हैं और साथ ही इसपर जैसी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं वो बेहद मजेदार हैं.
बात अगर इस वीडियो की हो तो जैसा दिखाई दे रहा है किया है, पहले दुल्हन, दूल्हे के गले में वरमाला डालती है और फिर उसके पैर छूती है. इसके बाद दूल्हा, दुल्हन को वरमाला पहनाता है और वही प्रक्रिया दोहराता है. दूल्हे को अपने पैर छूते देख दुल्हन भी हैरत में पड़ जाती है और अपने पैर पीछे खींच लिया है. दूल्हे और दुल्हन के इस अंदाज को देखकर सिर्फ सोशल मीडिया पर ही नहीं शादी में भी आए लोग हैरत में पड़ जाते हैं.
हजारों लोगों के बीच देखा जाने वाला यह वीडियो उफ्फ ये मुहब्बत कैप्शन के साथ ट्विटर पर मौजूद है. लोगों की एक बड़ी आबादी है जो इस वीडियो और इसमें दूल्हे के भोलेपन और मासूमियत को देखकर उसकी तारीफ से लेकर आलोचना तक सब कर रही है.
विषय बहुत सीधा है. जैसा कि ट्विटर पर दिखाई दे रहा है वो तमाम लोग जो दूल्हे की इस हरकत को मर्दों की शान में बड़ी गुस्ताखी और दूल्हे को कायर, डरपोक की संज्ञा दे रहे हैं एक बार ठंडे दिमाग से सोचे और बताएं कि क्या सच में दूल्हे ने कोई गलती की है? वही अगर इस बात को धर्म की नजर से देखते हुए थोड़ा आध्यात्मिक हो जाएं तो कहना गलत भी नहीं है कि 'शिव और शक्ति एक साथ हैं. शक्ति, शिव के बिना अधूरी हैं ऐसे ही शिव से ही शक्ति का अस्तित्व है.
वो लोग जो इस वीडियो के कारण एक ऐसी डिबेट में फंसे हैं जिसका न कोई सिर है और न पैर उनसे हम पूरी जिम्मेदारी से इस बात को कह रहे हैं कि भविष्य में जब भी कहीं पर शादी हो ऐसे ही नजरें और देखने को मिलें. यदि पुरुष ऐसा करेंगे तो न केवल ये एक बेहतर समाज के लिए एक बड़ी पहल होगी बल्कि कहीं न कहीं महिला अपराधों में भी कमी आएगी.
वीडियो कहां का है? फ़िलहाल इसकी कोई ठोस जानकारी नहीं है. लेकिन जिस तरह इस वीडियो को महिला और पुरुषों दोनों के द्वारा शेयर किया जा रहा है और इसकी तारीफ हो रही है. इतना तो क्लियर हो ही गया है कि वक़्त बदल रहा है. ऐसे सुंदर दृश्य और आते रहें इसलिए हमें आलोचना की नहीं, ऐसी सोच की तारीफों की जरूरत है.
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