केरल में आई बाढ़ का पानी जैसे-जैसे उतर रहा है, वैसे-वैसे कई ऐसे सच सामने आ रहे हैं, जिन्हें हम हमेशा से अनदेखा करते आए हैं. इंसान ऐसा प्राणी है, जिसने अपने आराम के लिए प्रकृति के साथ जी भर के खिलवाड़ किया है. हरियाली को खत्म करते हुए इंसान ने कंकरीट का जाल बिछा दिया है. इन सबकी वजह से पर्यावरण में बदलाव भी आ रहे हैं जो बाढ़ जैसी आपदा का कारण तक बन जाते हैं. केरल में आई बाढ़ की तस्वीरें बेहद डरावनी थीं, लेकिन अब पानी कम होने के बाद जो तस्वीरें और वीडियो सामने आ रहे हैं, उसे देखकर हमें और अधिक चिंता करने की जरूरत है. चलिए पहले तस्वीर देख लीजिए फिर आगे बढ़ते हैं.
ये तस्वीर केरल के मलायातूर-कोडानाड ब्रिज की है. जब बाढ़ आई तो पानी इस ब्रिज से ऊपर से होकर बहने लग गया. अब पानी कम हुआ तो पूरे ब्रिज पर ढेर सारा कचरा दिखाई दे रहा है. दरअसल, इसमें बहुत सारा वो कचरा है, जो हम कई सालों ने इन नदियों में डालते आ रहे हैं. यानी ये कहना गलत नहीं होगा कि अब वो सारा कचरा नदी ने इंसानों को वापस कर दिया है. यूं तो यहां हमें ये समझना जरूरी था कि नदियों के उफान और प्रदूषण का एक बड़ा कारण हमारे द्वारा इनमें फेंका गया कचरा है, लेकिन ये वीडियो देखकर लगता है कि हम अभी तक नहीं समझे हैं. जिस कचरे को नदी ने बाढ़ का विकराल रूप लेकर इंसानों को वापस किया, हम फिर से उस कचरे को नदी के हवाले कर रहे हैं.
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केरल में आई बाढ़ का पानी जैसे-जैसे उतर रहा है, वैसे-वैसे कई ऐसे सच सामने आ रहे हैं, जिन्हें हम हमेशा से अनदेखा करते आए हैं. इंसान ऐसा प्राणी है, जिसने अपने आराम के लिए प्रकृति के साथ जी भर के खिलवाड़ किया है. हरियाली को खत्म करते हुए इंसान ने कंकरीट का जाल बिछा दिया है. इन सबकी वजह से पर्यावरण में बदलाव भी आ रहे हैं जो बाढ़ जैसी आपदा का कारण तक बन जाते हैं. केरल में आई बाढ़ की तस्वीरें बेहद डरावनी थीं, लेकिन अब पानी कम होने के बाद जो तस्वीरें और वीडियो सामने आ रहे हैं, उसे देखकर हमें और अधिक चिंता करने की जरूरत है. चलिए पहले तस्वीर देख लीजिए फिर आगे बढ़ते हैं.
ये तस्वीर केरल के मलायातूर-कोडानाड ब्रिज की है. जब बाढ़ आई तो पानी इस ब्रिज से ऊपर से होकर बहने लग गया. अब पानी कम हुआ तो पूरे ब्रिज पर ढेर सारा कचरा दिखाई दे रहा है. दरअसल, इसमें बहुत सारा वो कचरा है, जो हम कई सालों ने इन नदियों में डालते आ रहे हैं. यानी ये कहना गलत नहीं होगा कि अब वो सारा कचरा नदी ने इंसानों को वापस कर दिया है. यूं तो यहां हमें ये समझना जरूरी था कि नदियों के उफान और प्रदूषण का एक बड़ा कारण हमारे द्वारा इनमें फेंका गया कचरा है, लेकिन ये वीडियो देखकर लगता है कि हम अभी तक नहीं समझे हैं. जिस कचरे को नदी ने बाढ़ का विकराल रूप लेकर इंसानों को वापस किया, हम फिर से उस कचरे को नदी के हवाले कर रहे हैं.
ये वीडियो दिखाता है कि हमने अब तक की तबाही से कुछ नहीं सीखा है, जिसने केरल में 300 से भी अधिक लोगों के जान ले ली और करीब 14 लाख लोगों को बेघर कर दिया. लेकिन जब आप वहां के गांव वालों का पक्ष सुनेंगे तो उनके लिए सहानुभूति जरूरी होगी. 'द न्यूज मिनट' के अनुसार, गांव वालों का कहना है कि लोगों को ये दिख रहा है कि हमनें उस कचरे को उठवा कर नदी में ही डाल दिया, लेकिन किसी को ये नहीं दिख रहा कि इतनी मुसीबत की घड़ी में लोगों की जिंदगी बचाने के लिए सबसे अधिक जरूरी था रास्ता खोलना. कोडनाड पुलिस स्टेशन के अधिकारी का कहना है कि आखिर उस कचरे को कहां ले जाया जाता? यहां हर तरफ सिर्फ पानी है और उस समय ब्रिज से कचरा हटाना बहुत जरूरी था, ताकि लोगों तक सहायता पहुंचाने में आसानी हो. गांव वालों का कहना है कि जब से इसके वीडियो और तस्वीरें वायरल हो रही हैं, तब से ये कहा जा रहा है कि ऐसा करने वाले गांव वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. हो सकता है कि मुख्यमंत्री को भी इसके लिए आलोचना झेलनी पड़े, लेकिन लोगों की मदद के लिए जो किया है उसकी कोई सराहना नहीं कर रहा है.
ये तो बात सिर्फ एक नदी की है. कचरा तो देश की सभी नदियों में फेंका जाता है, भले ही वह हमारी माता कही जाने वाली गंगा नदी ही क्यों ना हो. इन नदियों का कचरा कई बार बाढ़ के जरिए इंसानों को वापस कर दिया जाता है तो कई बार नदियों से होते हुए समुद्र तक जा पहुंचता है और फिर समुद्र इसे इंसानों को लौटाता है. पिछले दिनों मुंबई के मरीन ड्राइव पर हाई टाइड के चलते समुद्र ने करीब 9 टन कचरा साइडवॉक पर फेंक दिया. कचरा इतना अधिक था कि ट्रैफिक की एक लेन को बंद करना पड़ा और इसे साफ करने में बीएमसी को काफी मशक्कत करनी पड़ी.
नदियों में फेंका जाने वाला सबसे खराब कचरा है प्लास्टिक, जो सालों-साल तक जस का तस पानी के साथ यहां से वहां बहता रहता है, न सड़ता है, न गलता है. अमेरिका के रिसर्चर्स की रिपोर्ट के मुताबिक इस समय धरती पर करीब 9.1 अरब टन प्लास्टिक है. इस समय दुनिया की आबादी करीब 7.6 अरब है. यानी हर व्यक्ति पर लगभग 1.2 टन का प्लास्टिक है. दक्षिण पैसिफिक में स्थित हैंडरसन आइलैंड (Henderson Island) प्लास्टिक पर 2015 में गई ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ तस्मानिया की साइंटिस्ट Jennifer Lavers के अनुसार इस आइलैंड पर करीब 18 टन प्लास्टिक है. आपको जानकर हैरानी होगी कि NESCO ने इसे वर्ल्ड हेरिटेज घोषित किया है, जहां पर अभी तक इंसान नहीं पहुंच सका है. तो इतना सारा प्लास्टिक आया कैसे? दरअसल, समुद्र के बीच में स्थित इस आइलैंड पर लहरों के साथ रोजाना करीब 3,500 प्लास्टिक की चीजें आती हैं और यहां जमा होती जाती हैं.
यानी ये कहना गलत नहीं होगा कि जो भी प्लास्टिक हम नदियों में फेंक रहे हैं, वह एक ना एक दिन नदी हमें वापस कर ही देती है, भले ही इसके लिए उसे बाढ़ जैसा विकराल रूप ही क्यों न लेना पड़े. लेकिन इंसान की सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि वह अपनी गलतियों से कुछ नहीं सीखता. ना ही उस पर जो गुजरती है, उससे कोई सबक लेता है. केरल में कूड़ा वापस नदी में डालना उस वक्त बेहद जरूरी था ये सही है, लेकिन उस कूड़े को पुल से बाहर निकाल कर सड़क के किनारे कहीं जमा भी किया जा सकता था, जिसे बाद में हटा दिया जाता. खैर, जो कई सालों तक हमने नदी में डाला, उसे नदी ने हमें वापस कर दिया. अब दोबारा हमने उसे नदी में डाल दिया है, तो तैयार रहिए उस दिन के लिए जब दोबारा ये नदियां हमारा सारा कचरा हमें वापस करेंगी.
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