मथुरा स्थित कृष्ण जन्मभूमि चर्चा में है. कारण बना है उत्तर प्रदेश का इलाहाबाद उच्च न्यायालय. जिसने एक बड़ा फैसला दिया है. हाई कोर्ट चाहता है कि मथुरा स्थित वाराणसी स्थित ज्ञानवापी की तर्ज पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में भी वीडियोग्राफी के माध्यम से सर्वे कराया जाए. कोर्ट ने निर्देशित किया है कि ये पूरी प्रक्रिया 4 महीने के अंदर हो. इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस पीयूष अग्रवाल की बेंच ने मथुरा जिला अदालत में सर्वे को लेकर लंबित याचिका पर चार महीने में फैसला सुनाने का आदेश दिया है. बताते चलें कि भगवान श्रीकृष्ण विराजमान के वकील मनीष यादव ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद के विवादित परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराए जाने और और निगरानी के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किए जाने की मांग को लेकर मथुरा की जिला अदालत में गत वर्ष एक अर्जी दाखिल की थी.
चूंकि इस अर्जी को लेकर कुछ हुआ नहीं था मनीष ने इलाहाबाद हाई कोर्ट का रुख किया था. मनीष की मांग थी कि हाई कोर्ट इस मामले में दखल दे ताकि विवाद का निपटारा हो. हाई कोर्ट ने मनीष की इस अर्जी का संज्ञान लिया है और इसपर सुनवाई करते हुए निचली अदालत से आख्या मांगी थी. मनीष की अर्जी पर मथुरा की अदालत क्या फैसला लेती है ये देखना इसलिए भी दिलचस्प है.
ज्ञानवापी के बाद श्री कृष्ण जन्मभूमि पर पूरे देश की नजर है. ज्ञात हो कि अपनी अर्जी में मनीष ने मांग की थी कि विवादित परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराए जाने का आदेश दिया जाए और साथ ही सर्वेक्षण की निगरानी के लिए कोर्ट कमिश्नर भी नियुक्त किया जाए. चूंकि मामले ने सुर्खियां बटोरनी शुरू कर दी है इस पर याचिकाकर्ता मनीष...
मथुरा स्थित कृष्ण जन्मभूमि चर्चा में है. कारण बना है उत्तर प्रदेश का इलाहाबाद उच्च न्यायालय. जिसने एक बड़ा फैसला दिया है. हाई कोर्ट चाहता है कि मथुरा स्थित वाराणसी स्थित ज्ञानवापी की तर्ज पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में भी वीडियोग्राफी के माध्यम से सर्वे कराया जाए. कोर्ट ने निर्देशित किया है कि ये पूरी प्रक्रिया 4 महीने के अंदर हो. इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस पीयूष अग्रवाल की बेंच ने मथुरा जिला अदालत में सर्वे को लेकर लंबित याचिका पर चार महीने में फैसला सुनाने का आदेश दिया है. बताते चलें कि भगवान श्रीकृष्ण विराजमान के वकील मनीष यादव ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद के विवादित परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराए जाने और और निगरानी के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किए जाने की मांग को लेकर मथुरा की जिला अदालत में गत वर्ष एक अर्जी दाखिल की थी.
चूंकि इस अर्जी को लेकर कुछ हुआ नहीं था मनीष ने इलाहाबाद हाई कोर्ट का रुख किया था. मनीष की मांग थी कि हाई कोर्ट इस मामले में दखल दे ताकि विवाद का निपटारा हो. हाई कोर्ट ने मनीष की इस अर्जी का संज्ञान लिया है और इसपर सुनवाई करते हुए निचली अदालत से आख्या मांगी थी. मनीष की अर्जी पर मथुरा की अदालत क्या फैसला लेती है ये देखना इसलिए भी दिलचस्प है.
ज्ञानवापी के बाद श्री कृष्ण जन्मभूमि पर पूरे देश की नजर है. ज्ञात हो कि अपनी अर्जी में मनीष ने मांग की थी कि विवादित परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराए जाने का आदेश दिया जाए और साथ ही सर्वेक्षण की निगरानी के लिए कोर्ट कमिश्नर भी नियुक्त किया जाए. चूंकि मामले ने सुर्खियां बटोरनी शुरू कर दी है इस पर याचिकाकर्ता मनीष यादव ने अपना पक्ष रखा है. मनीष ने इस बात को स्वीकार किया है कि परिसर की वीडियोग्राफी होगी और और इसे सम्बंधित अधिकारीयों की देख रेख में अंजाम दिया जाएगा.
क्योंकि ज्ञानवापी के बाद श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले को पूरा देश टकटकी बांधे देख रहा है इसलिए जो कुछ भी इलाहाबाद हाई कोर्ट में हुआ उसने ट्विटर पर भी लोगों के बीच खूब उत्सुकता पैदा की. मामले पर तमाम तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही है और लोग अपनी समझ के मुताबिक इस संवेदनशील मामले पर अपनी राय रख रहे हैं. आइये नजर डालें ट्विटर पर और देखें कि इस मसले पर लोगों ने क्या-क्या और कितना कहा है.
जानकारी के बाद लोग न्यूज़ चैनल के स्क्रीन शॉट शेयर कर रहे हैं और यही कह रहे हैं कि आखिरकार एक अच्छी खबर आ ही गयी.
ट्विटर पर तमाम यूजर ऐसे हैं जिन्होंने स्पष्ट संदेश देते हुए कह दिया है कि अब मथुरा की बारी है.
खबर के बाद लोग एक सुर में इस बात को दोहरा रहे हैं कि कान्हा हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे.
ट्विटर पर तमाम यूजर्स इस बात को लेके संशय में हैं कि क्या श्री कृष्णजन्मभूमि का सर्वे भी कुछ कुछ ज्ञानवापी की ही तर्ज पर होगा?
मामले के मद्देनजर लोगों को मौज लेने का पूरा बहाना मिला है. लोग ईदगाह के गुंबदों की तुलना नॉएडा के ध्वस्त किये गए ट्विन टावर्स से कर रहे हैं.
ट्विटर पर तमाम यूजर्स ऐसे भी हैं जो इस पूरे मामले को 2024 के चुनाव से भी जोड़कर देख रहे हैं.
वीडियो ग्राफी बताए गए समय तक पूरी होती है? मामले पर कोर्ट का क्या फैसला होता है सवाल तमाम हैं जिनके जवाब वक़्त देगा लेकिन जिस तरह लंबित मामले पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बड़ी बात कही है तमाम लोगों को इसमें उम्मीद की किरण नजर आ रही है. लोग यही मान रहे हैं कि जिस तरह अयोध्या और काशी में सत्य की जीत हुई ठीक वैसा ही नजारा हमें मथुरा में भी देखने को मिलेगा.
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