घर में नहीं दाने अम्मा चलीं भुनाने... ये कहावत है और पाकिस्तान है. मतलब मुल्क के जैसे हाल हैं, पेट्रोल डीजल तो अलग बात है. लोगों को खाने को खाना नहीं मिल रहा. आटे तेल के लिए मरने मारने की नौबत है.पीएम शहबाज बस इस उम्मीद में हैं कि सऊदी और तुर्की जैसे मुस्लिम परास्त देश उनकी तरफ रहम की निगाह से देख लें और झोली में कुछ डाल दें ताकि कुछ दिन अच्छे से गुजर जाए. इसमें कोई शक नहीं कि पाकिस्तान कि हालत बेहद ख़राब है लेकिन जैसा लोगों का टशन है यकीन ही नहीं हो रहा कि मुल्क इस भयानक दौर से गुजर रहा. न यकीन हो तो लाहौर बार चुनावों को ही देख लीजिये.
चुनावों में जैसे बेख़ौफ़ होकर वकील गोलियां चला रहे हैं बड़े बड़े आतंकी भी एक बार को शर्म से लाल हो जाएं. इंटरनेट पर लाहौर बार चुनावों से जुड़े तमाम वीडियो आ रहे हैं. जिसमें पिस्टल तो छोटी चीज है. ऐसे ही एक वीडियो में एक वकील खुलेआम सड़कों पर AK-47 चलाता घूम रहा है. वकील साहब जिस अंदाज में बंदूक चला रहे हैं उनका तरीका नौसिखियों वाला है ही नहीं. ऐसा लग रहा उसने सरहद से सटे किसी आतंकी कैम्प में भरी पूरी ट्रेनिंग ली है.
वहीं दूसरे वीडियो भी सामने आए हैं जिनमें लोग वैसे गोलियां दाग रहे जैसे उनके हाथ खिलौने की बंदूक लग गयी हो और वो एक दूसरे के साथ चोर सिपाही खेल रहे हों. अब ऐसे वीडियो देखकर भी अगर कोई पाकिस्तानी अपने को शांतिप्रिय बताए तो स्वाभाविक है कि लोग उसकी नीयत पर सवाल उठांएगे.
सोचने वाली बात ये है कि जिस मुल्क में कानून के रहनुमा वकील सरेराह आतंकियों की तरह गोलियां दाग...
घर में नहीं दाने अम्मा चलीं भुनाने... ये कहावत है और पाकिस्तान है. मतलब मुल्क के जैसे हाल हैं, पेट्रोल डीजल तो अलग बात है. लोगों को खाने को खाना नहीं मिल रहा. आटे तेल के लिए मरने मारने की नौबत है.पीएम शहबाज बस इस उम्मीद में हैं कि सऊदी और तुर्की जैसे मुस्लिम परास्त देश उनकी तरफ रहम की निगाह से देख लें और झोली में कुछ डाल दें ताकि कुछ दिन अच्छे से गुजर जाए. इसमें कोई शक नहीं कि पाकिस्तान कि हालत बेहद ख़राब है लेकिन जैसा लोगों का टशन है यकीन ही नहीं हो रहा कि मुल्क इस भयानक दौर से गुजर रहा. न यकीन हो तो लाहौर बार चुनावों को ही देख लीजिये.
चुनावों में जैसे बेख़ौफ़ होकर वकील गोलियां चला रहे हैं बड़े बड़े आतंकी भी एक बार को शर्म से लाल हो जाएं. इंटरनेट पर लाहौर बार चुनावों से जुड़े तमाम वीडियो आ रहे हैं. जिसमें पिस्टल तो छोटी चीज है. ऐसे ही एक वीडियो में एक वकील खुलेआम सड़कों पर AK-47 चलाता घूम रहा है. वकील साहब जिस अंदाज में बंदूक चला रहे हैं उनका तरीका नौसिखियों वाला है ही नहीं. ऐसा लग रहा उसने सरहद से सटे किसी आतंकी कैम्प में भरी पूरी ट्रेनिंग ली है.
वहीं दूसरे वीडियो भी सामने आए हैं जिनमें लोग वैसे गोलियां दाग रहे जैसे उनके हाथ खिलौने की बंदूक लग गयी हो और वो एक दूसरे के साथ चोर सिपाही खेल रहे हों. अब ऐसे वीडियो देखकर भी अगर कोई पाकिस्तानी अपने को शांतिप्रिय बताए तो स्वाभाविक है कि लोग उसकी नीयत पर सवाल उठांएगे.
सोचने वाली बात ये है कि जिस मुल्क में कानून के रहनुमा वकील सरेराह आतंकियों की तरह गोलियां दाग रहे हैं. अगर वहां इमरान खान या नवाज शरीफ टाइप कोई आदमी हाफिज सईद या मसूद अजहर को औलिया या संत महात्मा बता दे. तो हमें हैरत में आकर दांतों तले अंगुलियां दबाने की कोई जरूरत है ही नहीं. हम स्वतः मान लेंगे कि जिस मुल्क का अल्लाह ही हाफिज है. वहां अगर हाफिज साधू महात्मा है तो इसमें उस बेचारे की कोई गलती है ही नहीं.
यूं तो सलाह का कोई मतलब है नहीं बावजूद इसके पाकिस्तान के हुक्मरानों को अपने देश की ये तस्वीर देखनी चाहिए और समझना चाहिए कि अगर आज की तरीक में उनके ऊपर दुनिया हंस रही हैं, अफसोस कर रही है तो वो यूं ही बेवजह नहीं है.
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