समर ने अपने स्मार्टफोन को अपना हथियार बना लिया. ऑफिस से घर और घर से ऑफिस आने-जाने के समय को इस्तेमाल करने के लिए समर ने मेट्रो की कई घटनाओं को कैमरे में कैद किया और उनमें कई तरह के शानदार डूडल डाल दिए.
मेट्रो सिटी में रहने वालों की आधी जिंदगी सफर में ही कट जाती है. ऑफिस के आठ घंटों के बाद 3-4 घंटे की शिफ्ट बस, ऑटो, ट्रेन या फिर मेट्रो के सफर में लग जाती है. सफर में लगने वाले इस समय में बोरियत भरपूर होती है. कुछ इस रास्ते को सोकर काटते हैं. कुछ इस लंबे समय में किताबें, अखबार पढ़ते हैं या फिर मोबाइल पर चैट, फेसबुक, या फिल्म देखकर रास्ता काट लेते हैं.
दिल्ली मेट्रों में सफर करने वाले समर खान के लिए 1-1.30 घंटे का सफर करना रोज की बात थी. पहले तो वो खूब बोर होते लेकिन इस बोरियत को मिटाने के लिए उन्होंने 'मेट्रो डूडल' पर काम करना शुरू कर दिया.
और दो ही महीने में बोरियत मिटाने के लिए की गई उनकी इस शानदार डूडलिंग के इंस्टाग्राम पर 5,703 फॉलोअर हो गए हैं. आप चाहें तो समर के इस डूडल क्रिएटिविटी को उनके इंस्टाग्राम और फेसबुकपर फॉलो कर सकते हैं.
मेट्रो सिटी में रहने वालों की आधी जिंदगी सफर में ही कट जाती है. ऑफिस के आठ घंटों के बाद 3-4 घंटे की शिफ्ट बस, ऑटो, ट्रेन या फिर मेट्रो के सफर में लग जाती है. सफर में लगने वाले इस समय में बोरियत भरपूर होती है. कुछ इस रास्ते को सोकर काटते हैं. कुछ इस लंबे समय में किताबें, अखबार पढ़ते हैं या फिर मोबाइल पर चैट, फेसबुक, या फिल्म देखकर रास्ता काट लेते हैं.
दिल्ली मेट्रों में सफर करने वाले समर खान के लिए 1-1.30 घंटे का सफर करना रोज की बात थी. पहले तो वो खूब बोर होते लेकिन इस बोरियत को मिटाने के लिए उन्होंने 'मेट्रो डूडल' पर काम करना शुरू कर दिया.
और दो ही महीने में बोरियत मिटाने के लिए की गई उनकी इस शानदार डूडलिंग के इंस्टाग्राम पर 5,703 फॉलोअर हो गए हैं. आप चाहें तो समर के इस डूडल क्रिएटिविटी को उनके इंस्टाग्राम और फेसबुकपर फॉलो कर सकते हैं.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.