सोशल मीडिया पर अर्नब रे नाम के एक एनआरआई शख्स ने भारत में अपने प्रवास के दौरान डिलिवरी सर्विस को लेकर कुछ किस्से साझा किए हैं. अर्नब रे ने बताया है कि अमेरिका जैसे देश में डिलिवरी सर्विस की हालत भारत की तुलना में कितनी खराब है. उन्होंने डिलिवरी बॉय से जुड़े उन किस्सों को साझा किया है, जो उन्होंने कोरोना काल और उसके बाद अमेरिका जैसे विकसित देश में झेले हैं. जिन्हें पढ़कर कोई भी कह देगा कि हमारे डिलिवरी बॉय दुनिया में सर्वोत्तम हैं.
पहले पढ़िए किस्से
अर्नब रे सिलसिलेवार ट्वीट में लिखा है कि भारत में रहते हुए तीन सप्ताह हो गए हैं. और, यहां की डिलिवरी सर्विस की कार्यक्षमता एक चौंकाने वाली बात है. जो लोग भारत में रहते हैं, उन्हें लॉस एंजेलिस जैसे शहरों की खराब डिलिवरी सेवाओं के बारे में नहीं पता है. कुछ किस्से... कोरोना के चरम के दौरान हमने एक ग्रोसरी डिलिवरी की पेड सर्विस को अपनाया. इसके बावजूद हफ्तों तक उस पर स्लॉट नहीं मिला. जब मिला, तो डिलिवरी बॉय ने दो दिन की देरी से ग्रोसरी डिलिवर कीं. और, केवल आधा ही सामान खरीद कर लाया. हमें डिलिवरी कैंसिल करनी पड़ी. मैंने एक फूड डिलिवरी एप को दो बार इस्तेमाल किया. एक बार, डिलिवरी बॉय तीन घंटे बाद आया. दूसरी बार, डिलिवरी बॉय गलत स्टोप पर चला गया. और, सही स्टोर पर उसके बंद होने के बाद पहुंचा. दो घंटे बाद फोन उठाया. और, अंग्रेजी भी नहीं बोल पा रहा था.
मुझे उस समय अपने खाने के पैसों को वापस लेने के लिए एक घंटे तक फोन पर बात करनी पड़ी. जो करीब 200 डॉलर का बिल था. उन्होंने कहा कि वो ऐसा नहीं कर सकते हैं. क्योंकि, पैसे रेस्टोरेंट को दिए जा चुके हैं. जिसके बाद मुझे अपनी...
सोशल मीडिया पर अर्नब रे नाम के एक एनआरआई शख्स ने भारत में अपने प्रवास के दौरान डिलिवरी सर्विस को लेकर कुछ किस्से साझा किए हैं. अर्नब रे ने बताया है कि अमेरिका जैसे देश में डिलिवरी सर्विस की हालत भारत की तुलना में कितनी खराब है. उन्होंने डिलिवरी बॉय से जुड़े उन किस्सों को साझा किया है, जो उन्होंने कोरोना काल और उसके बाद अमेरिका जैसे विकसित देश में झेले हैं. जिन्हें पढ़कर कोई भी कह देगा कि हमारे डिलिवरी बॉय दुनिया में सर्वोत्तम हैं.
पहले पढ़िए किस्से
अर्नब रे सिलसिलेवार ट्वीट में लिखा है कि भारत में रहते हुए तीन सप्ताह हो गए हैं. और, यहां की डिलिवरी सर्विस की कार्यक्षमता एक चौंकाने वाली बात है. जो लोग भारत में रहते हैं, उन्हें लॉस एंजेलिस जैसे शहरों की खराब डिलिवरी सेवाओं के बारे में नहीं पता है. कुछ किस्से... कोरोना के चरम के दौरान हमने एक ग्रोसरी डिलिवरी की पेड सर्विस को अपनाया. इसके बावजूद हफ्तों तक उस पर स्लॉट नहीं मिला. जब मिला, तो डिलिवरी बॉय ने दो दिन की देरी से ग्रोसरी डिलिवर कीं. और, केवल आधा ही सामान खरीद कर लाया. हमें डिलिवरी कैंसिल करनी पड़ी. मैंने एक फूड डिलिवरी एप को दो बार इस्तेमाल किया. एक बार, डिलिवरी बॉय तीन घंटे बाद आया. दूसरी बार, डिलिवरी बॉय गलत स्टोप पर चला गया. और, सही स्टोर पर उसके बंद होने के बाद पहुंचा. दो घंटे बाद फोन उठाया. और, अंग्रेजी भी नहीं बोल पा रहा था.
मुझे उस समय अपने खाने के पैसों को वापस लेने के लिए एक घंटे तक फोन पर बात करनी पड़ी. जो करीब 200 डॉलर का बिल था. उन्होंने कहा कि वो ऐसा नहीं कर सकते हैं. क्योंकि, पैसे रेस्टोरेंट को दिए जा चुके हैं. जिसके बाद मुझे अपनी क्रेडिट कार्ड कंपनी को कॉल कर बिल को रद्द करवाना पड़ा. अब कोरोना के बाद उपजी लोगों की कमी की समस्या (सीधे कैश ट्रांसफर ने डिलिवरी बॉय को मिलने वाले मिनिमम वेज इंसेंटिव को खत्म कर दिया), जिससे पिज्जा डिलिवरी तक खत्म हो गई. और, फूड चेन्स उपभोक्ताओं को अपना भोजन लेने के लिए छूट देने लगीं. 'द्वारे सरकार' जैसी टीएमसी की योजनाओं में कमी हो सकती है. लेकिन, अमेरिका में सरकार आपके घर जेल या बेदखली का नोटिस देने के अलावा कोई डिलिवरी करने के लिए आपके दरवाजे पर नहीं आएगी.
जब मेरे माता-पिता को कोरोना हुआ. तो, लोग मेरे घर आए और आरटीपीसीआर की जांच की. इसी सर्विस के लिए अमेरिका में वरिष्ठ नागरिकों को अर्जेंट केयर सेंटर में 4 से 5 घंटे का इंतजार करना पड़ता है. जबकि, वहां पर संक्रमण होने का सबसे ज्यादा खतरा है. कोरोना काल में ही मैंने अमेरिका में शराब डिलिवरी एप का इस्तेमाल किया था. केवल उसकी समय से डिलिवरी सर्विस सबसे बेहतरीन थी. डिलिवरी बॉय समय पर रम की बोतल के साथ पहुंच गया था. और, कस्टमर केयर को फोन भी नहीं करना पड़ा.
मेरी राय
आज की तारीख में ग्रोसरी का सामान किसी भी एप से ऑर्डर करने के अंगुलियों पर गिने जा सकने वाले मिनटों आपके घर पर होता है. फूड डिलिवरी एप पर भी खाना ऑर्डर करने पर गरमागरम ही आप तक पहुंचता है. इतना ही नहीं, ये डिलिवरी बॉय कोरोना काल के दौरान भी अपना काम बखूबी कर रहे थे. कई बार गूगल रास्ता भटका देता. तो, कहीं चौथे माले पर भारी-भरकम सामान लादकर पहुंचाने में देर हो जाती. तो, लोगों का पारा सातवें आसमान पर पहुंच जाता था. आसान शब्दों में कहा जाए, तो सर्दी, गर्मी, बरसात के मौसम में ये डिलिवरी बॉय आपका ऑर्डर समय से और सही से पहुंचाने के लिए जीतोड़ मेहनत करते हैं. लेकिन, इसे पहुंचाने वाले डिलिवरी बॉय के बारे में शायद ही बहुत से लोग सोचते होंगे. डिलिवरी बॉय को टिप देने जैसी बातें तो खैर भारतीय समाज के एक बड़े हिस्से से अभी भी अछूता ही है. वैसे भी भारत में श्रम की कोई कीमत भले न हो. लेकिन, मानवीय मूल्यों की तो है ही. तो, कम से कम डिलिवरी बॉय का सम्मान तो किया ही जा सकता है.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.