सुख भरे दिन बीते रे भइया अब दुख आयो रे...नहीं-नहीं ये हम नहीं कह रहे. गाने की ये लाइनें तो हर उस शख्स की दर्द भरी दास्तां को बयां कर रही हैं. जो एक साल से work from home पर था और अब ऑफिस का बुलावा (Return to Office) आ गया है कि, बहुत हो गया भाई लोग अब ऑफिस आने के लिए फिर से तैयार हो जाओ.
यह मेल (Office se mail aaya) देखकर ऐसा लगा जैसे कोई आर्मी का सैनिक कानों के पास आकर सावधान बोल रहा हो. लॉकडाउन के पहले का सीन तो आपको याद ही होगा. अरे वही जब आप धूल-पसीने में भागते-भागते ऑफिस पहुंचते थे. शाम तक ऐसा लगता था कि ग्लूकोन के ऐड वाले सूरज ने बड़ी सी पाइप लगाकर आपकी सारी एनर्जी सोख ली हो.
अब आप आ जाइए लॉकडाउन (Lock Down) और वर्क फ्रॉम होम (Work from Home) के दौर में जब आप रोज आराम से सोकर उठते थे और गरमा-गरम बेड टी आपका इंतजार करती थी. आप बिना नहाए-धोए चाय वाले कफ के साथ लैपटॉप लेकर बैठ जाते थे. पजामे में दिन शुरू होता था और पजामे ही खत्म हो जाता था. इसी में मीटिंग, प्रेजेंटेंशन सब हो जाता था. ऊपर से आप घरवालों पर काम करने का धौंस भी दिखा देते थे.
अब कल्पना कीजिए एक दिन आप लैपटॉप ओपन करते हैं और आपको ऑफिस से मेल आया दिख जाए, जिसमें ऑफिस खुलने (Return to Office) की बात की गई हो तब. सबसे पहले आपके मन में क्या ख्याल आएगा? मुझे तो मेरी रजाई याद आएगी. आलसपन इस वक्त अपनी हाइट पर है. घर क्या हमें तो अपने ही कमरे में रहने की आदत हो गई है. ऐसे में यह सारा आराम छो़डकर, लंबी दूरी तय कर ऑफिस जाना? भला इससे बड़ा जुल्म और क्या होगा?
इसी दर्द को एक लड़की Harjas Sethi ने अपनी वीडियो में बताया है जो फनी है और दुखदाई भी, क्योंकि यह उन लोगों के लिए है जिन्हें लगता है कि वे...
सुख भरे दिन बीते रे भइया अब दुख आयो रे...नहीं-नहीं ये हम नहीं कह रहे. गाने की ये लाइनें तो हर उस शख्स की दर्द भरी दास्तां को बयां कर रही हैं. जो एक साल से work from home पर था और अब ऑफिस का बुलावा (Return to Office) आ गया है कि, बहुत हो गया भाई लोग अब ऑफिस आने के लिए फिर से तैयार हो जाओ.
यह मेल (Office se mail aaya) देखकर ऐसा लगा जैसे कोई आर्मी का सैनिक कानों के पास आकर सावधान बोल रहा हो. लॉकडाउन के पहले का सीन तो आपको याद ही होगा. अरे वही जब आप धूल-पसीने में भागते-भागते ऑफिस पहुंचते थे. शाम तक ऐसा लगता था कि ग्लूकोन के ऐड वाले सूरज ने बड़ी सी पाइप लगाकर आपकी सारी एनर्जी सोख ली हो.
अब आप आ जाइए लॉकडाउन (Lock Down) और वर्क फ्रॉम होम (Work from Home) के दौर में जब आप रोज आराम से सोकर उठते थे और गरमा-गरम बेड टी आपका इंतजार करती थी. आप बिना नहाए-धोए चाय वाले कफ के साथ लैपटॉप लेकर बैठ जाते थे. पजामे में दिन शुरू होता था और पजामे ही खत्म हो जाता था. इसी में मीटिंग, प्रेजेंटेंशन सब हो जाता था. ऊपर से आप घरवालों पर काम करने का धौंस भी दिखा देते थे.
अब कल्पना कीजिए एक दिन आप लैपटॉप ओपन करते हैं और आपको ऑफिस से मेल आया दिख जाए, जिसमें ऑफिस खुलने (Return to Office) की बात की गई हो तब. सबसे पहले आपके मन में क्या ख्याल आएगा? मुझे तो मेरी रजाई याद आएगी. आलसपन इस वक्त अपनी हाइट पर है. घर क्या हमें तो अपने ही कमरे में रहने की आदत हो गई है. ऐसे में यह सारा आराम छो़डकर, लंबी दूरी तय कर ऑफिस जाना? भला इससे बड़ा जुल्म और क्या होगा?
इसी दर्द को एक लड़की Harjas Sethi ने अपनी वीडियो में बताया है जो फनी है और दुखदाई भी, क्योंकि यह उन लोगों के लिए है जिन्हें लगता है कि वे सदियों से घर में रहने वाले और बढ़िया-बढ़िया खाने वाले प्राणी हैं. बाकी दुनिया से उनका कोई वास्ता नहीं. ऐसा प्राणी तो छुट्टी वाले दिन भी अपने बिस्तर पर पड़े हुए ही मिलते हैं.
जब लॉकडाउन लगा था तो भी हमें दिक्कत हुई थी. वो वीरान शहर, सुनसान सड़कें हमें काटने को दौड़ती थीं. हम ऑफिस के दोस्तों और कॉफी टाइम को मिस करते थे. घर से दिन भर काम करके बोरियत सी होने लगी थी. वीकेंड का तो मजा ही किरकिरा हो गया था. वो कहते हैं ना इंसान के जो पास रहता है उसे उसकी कदर नहीं होती और जो पास में नहीं रहता वह उसके लिए परेशान रहता है.
लेकिन फिर हमें घर से काम (Working From) करने में मजा आने लगा. ना सुबह जल्दी उठने की टेंशन ना नहा-धोकर तैयार होने की झंझट. हमने तो दो जोड़ी कपड़ों में गुजारा करना भी सीख लिया. सारे कपड़े बांधकर रख दिए अलमारी में और आ गए पजामे में. लड़कियों के तो मेकअप रखे-रखे एक्सपायर हो गए. अब कहीं आना-जाना तो था नहीं इसलिए शॉपिंग भी नहीं की. अब हमें आदत हो गई है घर में रहने की.
आराम से बैठकर, लेटकर काम करने की. कोई डिश खाने का मन किया तो यू ट्यूब लगाया और घर पर ही बना लिया. वैसे भी हम भारतीय हर सिचुएशन में बहुत जल्दी ढल जाते हैं, लेकिन दिक्कत तब होती है जब एक आदत से दूसरे आदत में ढलने की बात आती है, क्योंकि हम बड़े वाले आसली हैं और इस समय हमारा आलस अपनी चरम सीमा पर है.
जब ऑफिस से बुलावे का मेल आता है तो लोगों को लगता है, क्यों भाई क्या दिक्कत है. रहने दो ना जैसे हैं. अब काम तो हम कर ही रहे हैं. पिछली गर्मी कितने मजे में बीती है और सर्दी भी. अब फिर गर्मी आने वाली है. ऐसे में ऑफिस के धक्के खाने पड़ेंगे. अब इतनी आदत हो गई है घर में रहने की लगता ये दुनिया ये महफिल मेरे काम की नहीं, अजीब लगता है ना ऑफिस जाने का सोच कर भी. हमें बस हमारा बिस्तर और लैपटॉप चाहिए, हम तो घर से ही काम करके क्रांति ला सकते हैं.
सबसे ज्यादा दिक्कत उन लोगों को हो रही है जो अपने होमटाउन में हैं. उन्हें लग रहा है बस दुनिया यही है. जो चाहो खाने को बना-बनाया मिल जाता है. अब ऑफिस आने में क्या दिक्कत है यह परेशानी वही समझ सकते हैं. दिन में अगर काम करने का मन नहीं किया तो थोड़ा आराम कर लेना और फिर उसके बाद लेट तक काम कर लेना, मतलब सबने अपने कंफर्ट के हिसाब से खुद को सेट कर लिया था. ऊपर से फैमिली का साथ और प्यार दो सोने पर सुहागा.
वर्क फ्रॉम ऑफिस से संबंधित एक ऐसी ही वीडियो वायरल हो रही है, जिसमें एक लड़की बता रही है कि उसके साथ एक दिल दहला देने वाली घटना हुई है. दरअसल, घटना यह है कि उसे ऑफिस से मेल आया है. रिटर्न टू ऑफिस यानी काम के लिए ऑफिस बुलाया जा सकता है. उसका कहना है कि क्या मतलब हुआ इसका? अब रजाई छोड़कर नहा-धोकर तैयार होकर ऑफिस जाना पड़ेगा. मतलब सब ठीक तो चल रहा है. अभी तो इन्होंने पूछा है कि आप कैसे फील कर रही हो और मेरा यह हाल हो गया है. वैसे में हम इंसान आदत के आदी हो जाते हैं.
कंपनी का रेवेन्यू बढ़ रहा है, ट्रांसपोर्ट और बिजली का बिल भी बच रहा है. तो फिर दिक्कत क्या है. बड़ी मुश्किल से मेरे डार्क सर्कल खत्म हुए हैं और टैनिंग गई है, तो फिर ऑफिस रिज्यूम करने का क्या मतलब है. मैंने तो सारे कपड़े भी बांधकर रख दिए हैं. ऑफिस जाने के नाम पर तो रूह ही कांप गई है.
अब वर्क फ्रॉम देकर आपने शेर के मुंह में खून लगा दिया है तो अब हो ना पाएगा. सिंपल सी बात है कुत्ते के मुंह में हड्डी देकर वापस छीनोगे तो वो गुर्रायेगा नहीं तो और क्या करेगा. आखिर में यह लड़की यह भी कहती है कि ये बस एंटरटेनमेंट के तौर पर है भाई, मुझे जॉब से मत निकालना, इस टाइम वैसे भी जॉब की किल्लत है. आप बोलोगे तो मैं आपके घर आकर भी काम करूंगी.
इस वीडियो को काफी पसंद किया जा रहा है क्योंकि लोग लड़की द्वारा कही गई बातों को खुद से जोड़ पा रहे हैं. लोग तो ये भी मना रहे हैं कि फिर से लॉकडाउन हो जाए और वर्क फ्रॉम का ये सिलसिला चलता रहे.
हां वो लोग जो यह बोलते हैं कि मुझे ऑफिस जाना है. घर से काम नहीं हो पाता, वे बस दिखावा करते हैं जबकि वे भी यही चाहते हैं कि जो जैसे चल रहा है बस वैसा ही चलता रहे. पिछले मार्च से अब एक साल होने वाला है. यह समय कैसे बीत गया पता भी नहीं चला. लड़कियां तो भूल ही गई हैं कि उनके पास कौन-कौन सी ड्रेस या लिपस्टिक शेड्स हैं. ना पार्लर जाना पड़ता है ना ही रोज यह सोचना पड़ता है कि आज क्या पहनूं. जब भी ऑफिस जाने की बात आती है बस यही ख्याल आता है थोड़े दिन और.
एक लड़की को ऑफिस को बुलाया आया तो क्या कहा आप खुद देखिए-
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