हालात जब ये हों कि हर न्यूज़ चैनल और सोशल मीडिया पर लखनऊ के विवेक तिवारी हत्या मामले पर खबरें पसरी हों. समाज का गुस्सा कॉन्सटेबल द्वारा चलाई गई गोली पर हो, तो एक दूसरे कॉन्सटेबल की तस्वीर आकर मन का गुस्सा थोड़ा शांत कर जाती है.
समाज में पुलिस वालों की छवि किस तरह की है ये तो हम सभी जानते हैं. लेकिन ये भी दुर्भाग्य ही है कि बुराई अच्छाई से ज्यादा दिखाई देती है. पर यहां एक अच्छाई तस्वीर के रूप में दिखाई दे रही है जो बहुत खूबसूरत भी है. जहां एक कॉन्सटेबल लाठी या बंदूक के साथ नहीं बल्कि एक छोट से बच्चे के साथ दिख रहा है. पुलिसवाले की ये तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है.
तेलंगाना से आई इस तस्वीर की कहानी बड़ी दिलचस्प है. महबूबनगर की आईपीएस ऑफिसर रीमा राजेश्वरी ने ये तस्वीर ट्विटर पर शेयर की. उन्होंने लिखा है कि हेड कॉन्स्टेबल ऑफिसर मुजीबुर्रहमान जो बॉयज़ जूनियर कॉलेज में SCTPC परीक्षा के दौरान ड्यूटी पर थे, वो एक रोते बच्चे को चुप कराने की कोशिश कर रहे हैं जिसकी मां अंदर हॉल में परीक्षा दे रही है.'
जाहिर है किसी भी मां के लिए मातृत्व और करियर दोनों को साथ लेकर चलना तब तक बेहद मुश्किल होता है जब तक कि कोई मदद उसे नहीं मिलती. पर ये मदद एक पुलिस ऑफिसर की होगी ये भी आश्चर्य की बात है. वो भी उस तरह की मदद जो पुलिस के काम और उसकी छवि से जरा भी मेल नहीं खाती. हमने शायद ही किसी पुलिसकर्मी को एक नन्हे बच्चे के साथ खेलते हुए देखा होगा. इस तस्वीर की सबसे खास बात मुजीबुर्रहमान के चेहरे के भाव हैं जो उतने ही सच्चे हैं जितनी मासूम एक बच्चे की मुस्कान होती...
हालात जब ये हों कि हर न्यूज़ चैनल और सोशल मीडिया पर लखनऊ के विवेक तिवारी हत्या मामले पर खबरें पसरी हों. समाज का गुस्सा कॉन्सटेबल द्वारा चलाई गई गोली पर हो, तो एक दूसरे कॉन्सटेबल की तस्वीर आकर मन का गुस्सा थोड़ा शांत कर जाती है.
समाज में पुलिस वालों की छवि किस तरह की है ये तो हम सभी जानते हैं. लेकिन ये भी दुर्भाग्य ही है कि बुराई अच्छाई से ज्यादा दिखाई देती है. पर यहां एक अच्छाई तस्वीर के रूप में दिखाई दे रही है जो बहुत खूबसूरत भी है. जहां एक कॉन्सटेबल लाठी या बंदूक के साथ नहीं बल्कि एक छोट से बच्चे के साथ दिख रहा है. पुलिसवाले की ये तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है.
तेलंगाना से आई इस तस्वीर की कहानी बड़ी दिलचस्प है. महबूबनगर की आईपीएस ऑफिसर रीमा राजेश्वरी ने ये तस्वीर ट्विटर पर शेयर की. उन्होंने लिखा है कि हेड कॉन्स्टेबल ऑफिसर मुजीबुर्रहमान जो बॉयज़ जूनियर कॉलेज में SCTPC परीक्षा के दौरान ड्यूटी पर थे, वो एक रोते बच्चे को चुप कराने की कोशिश कर रहे हैं जिसकी मां अंदर हॉल में परीक्षा दे रही है.'
जाहिर है किसी भी मां के लिए मातृत्व और करियर दोनों को साथ लेकर चलना तब तक बेहद मुश्किल होता है जब तक कि कोई मदद उसे नहीं मिलती. पर ये मदद एक पुलिस ऑफिसर की होगी ये भी आश्चर्य की बात है. वो भी उस तरह की मदद जो पुलिस के काम और उसकी छवि से जरा भी मेल नहीं खाती. हमने शायद ही किसी पुलिसकर्मी को एक नन्हे बच्चे के साथ खेलते हुए देखा होगा. इस तस्वीर की सबसे खास बात मुजीबुर्रहमान के चेहरे के भाव हैं जो उतने ही सच्चे हैं जितनी मासूम एक बच्चे की मुस्कान होती है.
इस तस्वीर से दो बातें बहुत साफ हैं- एक तो ये कि आज लड़कियों की शिक्षा के प्रति समाज की सोच बदली है. और उनका समर्थन भी समाज कर रहा है. ये तस्वीर न सिर्फ उस युवा मां के लिए सपोर्ट ही है बल्कि देश की सभी माओं के लिए भी संदेश दे रही है कि वो कोशिश तो करें...समाज उनके साथ है. और दूसरी ये पुलिस वालों के प्रति समाज ने जो छवि अपने मन में बसा रखी है उसे अब तोड़ने की जरूरत है. समाज में अच्छे और बुरे हर तरह के लोग होते हैं. लेकिन कुछ बुरे लोगों की वजह से पूरे सिस्टम को गलत कहना जरा भी उचित नहीं. और ये बात ये तस्वीर खुद कह रही है. जिसे देखते हुए नजर हटाने की इच्छा ही नहीं होती.
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