क्या ये सच नहीं है कि औरंगज़ेब ने हिंदुओं को धर्म-परिवर्तन करने के लिए कहा और जिसने नहीं माना उसका सिर काट डाला गया? क्या ये सच नहीं है कि गुरु तेग़ बहादुर उसके सामने चट्टान की तरह डट कर खड़े रहे? क्या ये सच नहीं है कि मुग़लों ने मंदिरों को तोड़ा? क्या ये सच नहीं है कि मुग़लों ने हिंदुओं की हत्याएं की? अगर है तो भारत के प्रधानमंत्री ने अपने देश के इतिहास से जुड़ी सच्चाई लाल क़िले से कही तो क्यों देश से ले कर विदेशों में बैठे सभी लिबरल लोगों को तकलीफ़ होने लगी. मतलब कल के मोदी जी लाल क़िले वाले भाषण के बाद ट्विटर दुःख में डूबा दिख रहा है.
दक्षिण एशिया के अतीत पर किताबें लिखने वाली डॉ. ऑड्रे ट्रुश्के मोदी सरकार की प्रखर विरोधी रही हैं. खुद को एक्टिविस्ट कहने वाली ऑड्रे भला इस मौके को कैसे छोड़ देतीं? सो ट्विटर पर उन्होंने कुछ यूं भड़ास निकाली-
तो अमेरिकी पत्रिका 'द अटलांटिक' के एडिटर डेविड फ्रम को दर्द हो रहा है कि आखिर मोदी 300 साल पहले मर चुके एक मुगल बादशाह के बारे में बातें क्यों कर रहे हैं.
इतनी तकलीफ़ क्यों हो रही है? क्या मोदी जी ने झूठ बोला है अपने भाषण में? क्या औरंगज़ेब दया और करुणा की मूर्ति था? क्या उसने गुरुओं की हत्याएं नहीं करवाईं? क्या उसके शासन काल में मंदिरों को नहीं तोड़ा गया? जवाब दीजिए.
डेविड फ्रम एक यहूदी परिवार में जन्मे हैं,...
क्या ये सच नहीं है कि औरंगज़ेब ने हिंदुओं को धर्म-परिवर्तन करने के लिए कहा और जिसने नहीं माना उसका सिर काट डाला गया? क्या ये सच नहीं है कि गुरु तेग़ बहादुर उसके सामने चट्टान की तरह डट कर खड़े रहे? क्या ये सच नहीं है कि मुग़लों ने मंदिरों को तोड़ा? क्या ये सच नहीं है कि मुग़लों ने हिंदुओं की हत्याएं की? अगर है तो भारत के प्रधानमंत्री ने अपने देश के इतिहास से जुड़ी सच्चाई लाल क़िले से कही तो क्यों देश से ले कर विदेशों में बैठे सभी लिबरल लोगों को तकलीफ़ होने लगी. मतलब कल के मोदी जी लाल क़िले वाले भाषण के बाद ट्विटर दुःख में डूबा दिख रहा है.
दक्षिण एशिया के अतीत पर किताबें लिखने वाली डॉ. ऑड्रे ट्रुश्के मोदी सरकार की प्रखर विरोधी रही हैं. खुद को एक्टिविस्ट कहने वाली ऑड्रे भला इस मौके को कैसे छोड़ देतीं? सो ट्विटर पर उन्होंने कुछ यूं भड़ास निकाली-
तो अमेरिकी पत्रिका 'द अटलांटिक' के एडिटर डेविड फ्रम को दर्द हो रहा है कि आखिर मोदी 300 साल पहले मर चुके एक मुगल बादशाह के बारे में बातें क्यों कर रहे हैं.
इतनी तकलीफ़ क्यों हो रही है? क्या मोदी जी ने झूठ बोला है अपने भाषण में? क्या औरंगज़ेब दया और करुणा की मूर्ति था? क्या उसने गुरुओं की हत्याएं नहीं करवाईं? क्या उसके शासन काल में मंदिरों को नहीं तोड़ा गया? जवाब दीजिए.
डेविड फ्रम एक यहूदी परिवार में जन्मे हैं, और पूछ रहे हैं कि 300 साल पहले मर चुके एक मुगल बादशाह के बारे में क्यों बात हो रही है. उन्हें यह सवाल करने से पहले खुद से पूछ लेना चाहिए कि क्या वे कभी हिटलर को भूूल सकते हैं? क्या वे कभी नाजीवाद को भूल सकते हैं? नाजीवाद के प्रति सचेत रहते हैं या नहीं?
खैर, अच्छा हुआ कि किसी ने तो हिम्मत दिखाई, और सच्चाई को सामने लाने की कोशिश की. नहीं तो इतिहास की किताबों में मुग़लों से महान तो कोई था ही नहीं. देश सच में जाग रहा है और ये अच्छी बात है. आप रो सकते हैं इस बात के लिए!
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