मैं कैसा मुसलमां हूं भाई?... इसका जवाब जरा जहनियत से सुनें. यदि किसी को ऐसा लगता है कि हर मुसलमान आतंकवादी है, तो उस ग्रंथी को निकालकर सुनें. क्योंकि...
इन दिनों एक शख्स इंटरनेट सेंसेशन बना हुआ है, नाम है हुसैन हैदरी. और वजह है उनकी कविता जिसमें उन्होंने एक मुसलमान का दर्द बयां किया है और पूछा है कि 'मैं कैसा मुसलमां हूं भाई'.
शख्स हिंदू हो या मुसलमान, पर खुद को व्यक्त करने के लिए हर कोई कविता नहीं गढ़ पाता. लेकिन हुसैन ने कविता के माध्यम से जो भाव व्यक्त किए वो न सिर्फ हर मुसलमान ने समझे बल्कि हर हिंदू को भी समझ आए. नतीजा ये, कि हुसैन हैदरी की ये कविता आज इंटरनेट पर वायरल है.
हुसैन खुद से सवाल कर रहे हैं-
सड़क पर सिगरेट पीते वक़्त जो अजां सुनाई दी मुझको
तो याद आया के वक़्त है क्या और बात ज़हन में ये आई
मैं कैसा मुसलमां हूं भाई?
मैं शिया हूं या सुन्नी हूं, मैं खोजा हूं या बोहरी हूं
मैं गांव से हूं या शहरी हूं, मैं बाग़ी हूं या सूफी हूं मैं क़ौमी हूं या ढोंगी हूं
मैं कैसा मुसलमां हूं भाई?
मैं सजदा करने वाला हूं, या झटका खाने वाला हूं
मैं टोपी पहनके फिरता हूं, या दाढ़ी उड़ा के रहता हूं
मैं आयत कौल से पढ़ता हूं, या फ़िल्मी गाने रमता हूं
मैं अल्लाह अल्लाह करता हूं, या शेखों से लड़ पड़ता हूं
मैं कैसा मुसलमां हूं भाई?
और इसके आगे जो जवाब आया उसे जहनियत से सुनें, दिलों में बस चुकी हर उस आवाज को निकाल कर सुनें जो कहती है कि हर मुसलमां आतंकवादी है, क्योंकि...
...ये हिंदुस्तानी मुसलमां हैं.
हुसैन इंदौर से हैं और चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं. 2015 में एक कंपनी के वित्त प्रमुख के रूप में नौकरी छोड़ने के बाद से हुसैन पूरी तरह से गीतकार और पटकथा लेखक बन गए हैं. और क्या लिखते हैं... वाह !!
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शख्स हिंदू हो या मुसलमान, पर खुद को व्यक्त करने के लिए हर कोई कविता नहीं गढ़ पाता. लेकिन हुसैन ने कविता के माध्यम से जो भाव व्यक्त किए वो न सिर्फ हर मुसलमान ने समझे बल्कि हर हिंदू को भी समझ आए. नतीजा ये, कि हुसैन हैदरी की ये कविता आज इंटरनेट पर वायरल है.
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तो याद आया के वक़्त है क्या और बात ज़हन में ये आई
मैं कैसा मुसलमां हूं भाई?
मैं शिया हूं या सुन्नी हूं, मैं खोजा हूं या बोहरी हूं
मैं गांव से हूं या शहरी हूं, मैं बाग़ी हूं या सूफी हूं मैं क़ौमी हूं या ढोंगी हूं
मैं कैसा मुसलमां हूं भाई?
मैं सजदा करने वाला हूं, या झटका खाने वाला हूं
मैं टोपी पहनके फिरता हूं, या दाढ़ी उड़ा के रहता हूं
मैं आयत कौल से पढ़ता हूं, या फ़िल्मी गाने रमता हूं
मैं अल्लाह अल्लाह करता हूं, या शेखों से लड़ पड़ता हूं
मैं कैसा मुसलमां हूं भाई?
और इसके आगे जो जवाब आया उसे जहनियत से सुनें, दिलों में बस चुकी हर उस आवाज को निकाल कर सुनें जो कहती है कि हर मुसलमां आतंकवादी है, क्योंकि...
...ये हिंदुस्तानी मुसलमां हैं.
हुसैन इंदौर से हैं और चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं. 2015 में एक कंपनी के वित्त प्रमुख के रूप में नौकरी छोड़ने के बाद से हुसैन पूरी तरह से गीतकार और पटकथा लेखक बन गए हैं. और क्या लिखते हैं... वाह !!
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.