pradeep mehra: मंजिलें क्या है, रास्ता क्या है? हौसला हो तो फासला क्या है...एक 19 साल के लड़का आज हम सभी के लिए हीरो बन गया है. सच में रात में भागते हुए इस लड़के को देखकर मोटीवेशन तो आपका भी जागा होगा? भाई, इस वीडियो को देखने के बाद हमारा तो दिन बन गया.
लोग कह रहे हैं कि इस वीडियो को सभी को अपने बच्चों को दिखाना चाहिए ताकि, वे सीख सकें कि जिंदगी में हार न मानना क्या होता है? कहने तो करोड़ों लोग अपनी मंजिल पाने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं, लेकिन इस बच्चे की आखों में कुछ तो ऐसी बात है जिसे लोग सैल्यूट कर रहे हैं. मासूम से दिखने वाले चेहरे के इस जोश पर आज सोशल मीडिया फिदा है.
अस्पताल में बीमार मां का इलाज, सुबह रसोई का काम, किसान पिता, गुजारा के लिए रेस्ट्रों में काम, इमारतों के बीच छोटा सा एक कमरा, देश प्रेम से लबरेज दिल, सपने की खातिर सड़कों पर जी तोड़ मेहनत करता हुआ, भागता हुआ लड़का...ऐसा लग रहा है कि किसी फिल्म का दृश्य चल रहा है. ठहरिए ये आपको भी पता है कि यह हकीकत है. एक 19 साल का लड़का बिना दुखड़ा रोए अपनी जिंदगी की खातिर कुछ करने की हिम्मत कर रहा है. उसे अपने सपने पूरे करने है इसलिए वो बस भाग ही रहा है. पहले अपने उत्तराखंड के अल्मोड़ा से और अब नोएडा की सड़कों पर.
हम जिसकी बात कर रहे हैं, उसका नाम प्रदीप मेहरा है. 12वीं के बाद कुछ करने की चाह में प्रदीप नोएडा आ गया. पेट पालने के लिए उसने मैकडॉनल्ड में काम कर लिया. वह सेना में भर्ती होना चाहता है. नौकरी की वजह से समय नहीं मिलता है तो वह रात के समय ही पीठ पर वही नौकरी वाला बैग लिए 10 कीलोमीटर दौड़ लगाकर अपने घर जाता है.
इससे किराया भी बच जाता है और दौड़ की प्रैक्टिस भी हो जाती...
pradeep mehra: मंजिलें क्या है, रास्ता क्या है? हौसला हो तो फासला क्या है...एक 19 साल के लड़का आज हम सभी के लिए हीरो बन गया है. सच में रात में भागते हुए इस लड़के को देखकर मोटीवेशन तो आपका भी जागा होगा? भाई, इस वीडियो को देखने के बाद हमारा तो दिन बन गया.
लोग कह रहे हैं कि इस वीडियो को सभी को अपने बच्चों को दिखाना चाहिए ताकि, वे सीख सकें कि जिंदगी में हार न मानना क्या होता है? कहने तो करोड़ों लोग अपनी मंजिल पाने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं, लेकिन इस बच्चे की आखों में कुछ तो ऐसी बात है जिसे लोग सैल्यूट कर रहे हैं. मासूम से दिखने वाले चेहरे के इस जोश पर आज सोशल मीडिया फिदा है.
अस्पताल में बीमार मां का इलाज, सुबह रसोई का काम, किसान पिता, गुजारा के लिए रेस्ट्रों में काम, इमारतों के बीच छोटा सा एक कमरा, देश प्रेम से लबरेज दिल, सपने की खातिर सड़कों पर जी तोड़ मेहनत करता हुआ, भागता हुआ लड़का...ऐसा लग रहा है कि किसी फिल्म का दृश्य चल रहा है. ठहरिए ये आपको भी पता है कि यह हकीकत है. एक 19 साल का लड़का बिना दुखड़ा रोए अपनी जिंदगी की खातिर कुछ करने की हिम्मत कर रहा है. उसे अपने सपने पूरे करने है इसलिए वो बस भाग ही रहा है. पहले अपने उत्तराखंड के अल्मोड़ा से और अब नोएडा की सड़कों पर.
हम जिसकी बात कर रहे हैं, उसका नाम प्रदीप मेहरा है. 12वीं के बाद कुछ करने की चाह में प्रदीप नोएडा आ गया. पेट पालने के लिए उसने मैकडॉनल्ड में काम कर लिया. वह सेना में भर्ती होना चाहता है. नौकरी की वजह से समय नहीं मिलता है तो वह रात के समय ही पीठ पर वही नौकरी वाला बैग लिए 10 कीलोमीटर दौड़ लगाकर अपने घर जाता है.
इससे किराया भी बच जाता है और दौड़ की प्रैक्टिस भी हो जाती है. वह अपना सपना पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता. मां को टीबी और लिवर संक्रमण है. वह अपनी सैलरी से मां का इलाज करा रहा है. हां उसके ऊपर थोडा-बहुत कर्ज है लेकिन गम नहीं है, क्योंकि उसे खुद पर भरोसा जो है.
प्रदीप का कहना है कि, सेना में जाने का शौक बचपने से था. भर्ती निकलेगी तो जरूर अप्लाई करूंगा. कभी हार नहीं मानूंगा, मेहनत करनी है, चाहे कितनी परेशानी आए, कोई बहाना नहीं ढूंढना है. अपने-अपने अंदर की आग होती है. काश बाकी लोग प्रदीप की इस कहानी से सीख ले सकें कि, लाख पेरशानियों के बाद जिंदगी तो यही है.
वो कहते हैं ना कि कोशिश करने वालों की हार नहीं होती. तभी तो सड़क पर भाग रहे प्रदीप पर फिल्ममेकर विनोद कापरी ने देख लिया. उन्होंने सोचा लड़का ऐसे भाग रहा है, शायद परेशान होगा. उन्होंने उसे लिफ्ट देने की बात बार-बार कही लेकिन उसने मना कर दिया. उसके बाद यह वीडियो इतना वायरल हुआ कि, रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ खुद प्रदीप की मदद के लिए आगे आए हैं. जनरल ने आश्वासन दिया है कि, आर्मी में जाने के सपने को पूरा करने के लिए वे प्रदीप को बेहतर ट्रेनिंग दिलवाएंगे.
रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ ने फिल्म निर्माता विनोद कापड़ी के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए लिखा कि 'उनका जोश प्रशंसनीय है. उनकी योग्यता के आधार पर भर्ती परीक्षा पास करने में उनकी मदद करने के लिए, मैंने कुमाऊं रेजिमेंट के कर्नल और पूर्वी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राणा कलिता के साथ बातचीत की है. वह अपनी रेजीमेंट में भर्ती के लिए युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं. जय हिन्द'
हम जानते हैं कि आप भी अपने सपने को पूरा करने के लिए लाख परेशानियों को दरकिनार कर मेहनत कर रहे हैं. आप यह सोचकर मायूस न हों कि किसी की नजर आप पर क्यों नहीं पड़ी? आप वायरल क्यों नहीं हुए? आपको किसी की मदद क्यों नहीं मिली? किसी की नजर पड़े ना पड़े, कोई मदद करे ना करे, सफलता तो आपकी मेहनत पर ही मिलेगी. इसलिए खुद पर भरोसा रखिए और आगे बढ़ते रहिए. बाकी सपने को तो पूरा होना ही है.
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