मतगणना के बाद आखिरकार यूपी, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर का चुनावी रण अपने अंतिम दौर में पहुंच गया है. देश के 5 राज्यों में जहां हमने भारतीय जनता पार्टी को करिश्मा करते हुए देखा. तो वहीं जैसे परिणाम कांग्रेस के पक्ष में आए, पुष्टि हो गई कि कांग्रेस पार्टी आज के समय में भले ही कितनी ही बड़ी बातें क्यों न कर ले वो जनाधार और जनता का विश्वास दोनों ही खो चुकी है. जैसी करारी शिकस्त इन चुनावों में एक पार्टी के रूप में कांग्रेस ने देखी है तमाम तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं और दिलचस्प ये कि इन सवालों की गिरफ्त में पार्टी आलाकमान से लेकर राहुल गांधी की नीतियों तक सब हैं.
राहुल गांधी गलती मान भी लें तो क्या जो चूक हुई है वो छोटी मोटी नहीं बल्कि बहुत बड़ी है
एक ऐसे समय में जब कांग्रेस के सामने 2024 के मद्देनजर करो या मरो की स्थिति हो, पार्टी की ये परफॉरमेंस इस बात की भी तस्दीख करती हुई दिखाई दे रही है कि चुनाव के लिए कांग्रेस न तो तैयार थी और न ही उसने वो गंभीरता दिखाई जिसकी उम्मीद उससे की जा रही थी.
ध्यान रहे चुनाव पूर्व माना यही गया था कि भले ही उत्तर प्रदेश में भाजपा को चोट देने के लिए कांग्रेस को एड़ी से लेकर छोटी तक का जोर लगाना पड़े लेकिन पंजाब गोवा और उत्तराखंड वो राज्य थे जहां उसकी जटिलताएं और चुनौतियां कम थीं.
जैसे नतीजे आए हैं, उनपर राहुल गांधी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि जनादेश जीतने वालों को शुभकामनाएं. मैं सभी कांग्रेस कार्यकर्ताओं और स्वयंसेवकों को उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण के लिए धन्यवाद देता हूं. हम इससे सीखेंगे और भारत के लोगों के हितों के लिए काम करते रहेंगे.'
वहीं इस शर्मनाक हार के फ़ौरन बाद कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी पत्रकारवार्ता कर खानापूर्ति कर दी है. हार पर कांग्रेस का पक्ष रखते हुए सुरजेवाला ने कहा है कि 5 राज्यों के नतीजे कांग्रेस पार्टी की उम्मीदों के विपरीत आए हैं.
सुरजेवाला ने ये भी कहा है कि हम मानते हैं कि हम लोगों का आशीर्वाद पाने में नाकाम रहे. साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि सोनिया गांधी ने परिणामों का आत्मनिरीक्षण करने के लिए जल्द ही कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक बुलाने का फैसला किया है.
5 राज्यों और वहां हुए चुनावों के मद्देनजर भले ही कांग्रेस ने बड़ी बड़ी बातें की हो लेकिन जो आंकड़े चुनाव आयोग ने जारी किये हैं वो इस बात की पुष्टि करते नजर आ रहे हैं कि कांग्रेस दयनीय स्थिति में है और यदि ऐसा ही चलता रहा तो वो समय दूर नहीं है जब कोई कांग्रेस पार्टी का नाम लेवा न होगा.
कांग्रेस भले ही पंजाब और गोवा में जीत के लिए आशान्वित रही हो मगर जिस तरह राहुल गांधी ने अपनी कमियां मानी हैं एक बार फिर सवाल खड़े हो रहे हैं और कहा यही जा रहा है कि आखिर ऐसा लिजलिजा रवैया कब तक देखने को मिलेगा.
5 राज्यों के परिणामों और उसमें कांग्रेस के प्रदर्शन ने सोशल मीडिया पर भी एक बिलकुल नयी डिबेट को जन्म दे दिया है. कई यूजर हैं जिनका मानना है कि 5 राज्यों के मद्देनजर यदि कांग्रेस अपना आत्मसात कर भी ले तो कुछ खास नहीं निकलने वाला और यदि कुछ निकला भी तो बस इतना कि कांग्रेस के इस घटिया प्रदर्शन में गांधियों की कोई भूमिका नहीं है. दोष कांग्रेस कार्यकर्ताओं का है जो गांधी परिवार का सन्देश लोगों तक नहीं पहुंचा पाए.
सोशल मीडिया पर यूजर ये भी कह रहे हैं कि यदि बहुत हुआ तो इसके लिए सोनिया गांधी से, राहुल से, प्रियंका से, हर उस शख्स से माफ़ी मांग ली जाएगी तो कांग्रेस परिवार से जुड़ा है.
इस बात में कोई संदेह नहीं है कि कांग्रेस हारी है और बहुत बुरी तरह से हारी है लेकिन जैसा रुख पार्टी से हमदर्दी रखने वाले लोगों या बहुत सीधे कहें तो कांग्रेस कार्यकर्ताओं का है वो विचलित करने वाला है.
बात सीधी और एकदम साफ़ है ऐसी दुर्गति के बाद राहुल गांधी का खुले मन से हार स्वीकार कर लेना समस्या का समाधान नहीं है. यदि उन्हें पार्टी को बचाए रखना है तो उन्हें थोड़ और बड़े कदम उठाने की ज़रुरत है. अब तक जैसा देश ने देखा है चुनावों के प्रति न तो कांग्रेस पार्टी में वो गंभीरता है और न ही जुझारूपन और यही वो बात है जो कांग्रेस को भाजपा से जुदा करती है.
बहरहाल, हम फिर इस बात को दोहराना चाहेंगे कि सिर्फ हार स्वीकार कर लेना समस्या का हल नहीं है. यदि वाक़ई कांग्रेस को बचाना है तो आला कमान को आगे आना होगा और एक पार्टी के रूप में कांग्रेस में शुरू से लेकर आखिर तक कई अहम परिवर्तन करने होंगे.
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