बीते दिनों गैस सिलेंडर यानी LPG सिलेंडर की कीमतों में 50 रुपये का इजाफा किया गया था. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने एलपीजी सिलेंडर की कीमतों पर हुई इस बढ़ोत्तरी को लेकर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर तंज कसा. राहुल गांधी ने बाकायदा ट्वीट कर बताया कि 2014 में कांग्रेस और 2022 में भाजपा सरकार के दौरान एलपीजी सिलेंडर के दामों में कितना अंतर था. राहुल गांधी ने ट्वीट में कीमतों की तुलना करते हुए लिखा कि '2014 में कांग्रेस सरकार में एलपीजी सिलेंडर की कीमत 410 रुपये थी. जिस पर सब्सिडी 827 रुपये थी. वहीं, 2022 में भाजपा सरकार के दौरान एलपीजी सिलेंडर के दाम 999 रुपये हैं. और, सब्सिडी भी खत्म कर दी गई है. आज के एक सिलेंडर की कीमत पर तब दो सिलेंडर मिलते थे. केवल कांग्रेस गरीब और मध्यम वर्गीय भारतीय परिवारों की भलाई के लिए काम करती है. यह हमारी आर्थिक नीति का मूल है.' हालांकि, गैस सिलेंडर की कीमतों पर राहुल गांधी का ये ट्वीट उन पर ही बैकफायर कर गया. आसान शब्दों में कहा जाए, तो गैस सिलेंडर की कीमतों पर राहुल गांधी ने ट्वीट करके अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली. आइए जानते हैं कैसे...
LPG cylinder price: PA vs NDA govt
- सब्सिडी का सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर होता है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो जितनी ज्यादा सब्सिडी किसी चीज पर दी जाएगी. सरकार पर उतना ही बोझ बढ़ता जाएगा. यहां बोझ को कर्ज के दबाव के रूप में देखा जा सकता है. दरअसल, सब्सिडी देने के लिए सरकार को पैसों की जरूरत होती है. इस स्थिति में कोई भी सरकार या तो विदेशी बैंकों से कर्ज लेती है या फिर सिलेंडर या तेल उपलब्ध कराने वाली कंपनियों को बॉन्ड वगैरह जारी करती हैं. बीते दिनों ऑयल...
बीते दिनों गैस सिलेंडर यानी LPG सिलेंडर की कीमतों में 50 रुपये का इजाफा किया गया था. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने एलपीजी सिलेंडर की कीमतों पर हुई इस बढ़ोत्तरी को लेकर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर तंज कसा. राहुल गांधी ने बाकायदा ट्वीट कर बताया कि 2014 में कांग्रेस और 2022 में भाजपा सरकार के दौरान एलपीजी सिलेंडर के दामों में कितना अंतर था. राहुल गांधी ने ट्वीट में कीमतों की तुलना करते हुए लिखा कि '2014 में कांग्रेस सरकार में एलपीजी सिलेंडर की कीमत 410 रुपये थी. जिस पर सब्सिडी 827 रुपये थी. वहीं, 2022 में भाजपा सरकार के दौरान एलपीजी सिलेंडर के दाम 999 रुपये हैं. और, सब्सिडी भी खत्म कर दी गई है. आज के एक सिलेंडर की कीमत पर तब दो सिलेंडर मिलते थे. केवल कांग्रेस गरीब और मध्यम वर्गीय भारतीय परिवारों की भलाई के लिए काम करती है. यह हमारी आर्थिक नीति का मूल है.' हालांकि, गैस सिलेंडर की कीमतों पर राहुल गांधी का ये ट्वीट उन पर ही बैकफायर कर गया. आसान शब्दों में कहा जाए, तो गैस सिलेंडर की कीमतों पर राहुल गांधी ने ट्वीट करके अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली. आइए जानते हैं कैसे...
LPG cylinder price: PA vs NDA govt
- सब्सिडी का सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर होता है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो जितनी ज्यादा सब्सिडी किसी चीज पर दी जाएगी. सरकार पर उतना ही बोझ बढ़ता जाएगा. यहां बोझ को कर्ज के दबाव के रूप में देखा जा सकता है. दरअसल, सब्सिडी देने के लिए सरकार को पैसों की जरूरत होती है. इस स्थिति में कोई भी सरकार या तो विदेशी बैंकों से कर्ज लेती है या फिर सिलेंडर या तेल उपलब्ध कराने वाली कंपनियों को बॉन्ड वगैरह जारी करती हैं. बीते दिनों ऑयल कंपनियों को कांग्रेस सरकार के दौरान जारी किए गए ऑयल बॉन्ड काफी चर्चा में रहे थे. दरअसल, ये ऑयल बॉन्ड सब्सिडी के एवज में दिए जाते हैं. जिससे जनता पर महंगे तेल का बोझ न पड़े. लेकिन, इससे भविष्य में आने वाली सरकार पर कर्ज का दबाव बढ़ जाता है. क्योंकि, एक निश्चित समय बाद इन्हें चुकाना भी होता है.
- एक बिंदु के बाद सब्सिडी किसी भी अर्थव्यवस्था को खत्म करने की वजह बन सकती है. लेकिन, 2014 में आम चुनाव होने थे. और, उस दौरान जनता को महंगा सिलेंडर और पेट्रोल-डीजल देकर कांग्रेस सरकार गुस्सा नहीं करना चाहती थी. जिस वजह से कांग्रेस सरकार ने लोगों को भारी सब्सिडी दी. और, उससे उपजे कर्ज के दबाव को आज की नरेंद्र मोदी सरकार झेल रही है. राजनातिक हितों को साधने के लिए उस दौरान कांग्रेस सरकार ने जनता को तत्कालीन हालातों से रूबरू कराने की जगह उन्हें सब्सिडी का धोखा दिया. वैसे, राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में खुद ही जिक्र कर दिया कि 2014 में कांग्रेस सरकार गैस सिलेंडर पर 827 रुपये की सब्सिडी देती थी. जिसकी वजह से जनता को गैस सिलेंडर 410 रुपये का मिलता था. वहीं, 2022 की भाजपा सरकार में सिलेंडर पर सब्सिडी शून्य है.
- कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने एक बार फिर से अपनी राजनीतिक अपरिपक्वता का परिचय इस ट्वीट में करा दिया. दरअसल, अर्थशास्त्र की किसी भी किताब में सब्सिडी के बारे में खोजने पर यही मिलता है कि इसकी भरपाई टैक्सपेयर्स के पैसों से ही की जाती है. इसके बावजूद राहुल गांधी ने ट्विटर पर कांग्रेस सरकार के दौरान दी जा रही सब्सिडी को इस तरह से पेश किया. जैसे कांग्रेस सरकार ने देश के गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों को बहुत राहत पहुंचाई हो. जबकि, ये साफ है कि एक तरफ सब्सिडी देकर दूसरे जरियों से सरकार इस पैसे को वसूल ही लेती है. इतना ही नहीं, सरकार की ओर से दी जाने वाली सब्सिडी का बोझ अगली कई पीढ़ियों पर पड़ता है.
- राहुल गांधी के ट्वीट से एक बात और निकल कर सामने आती है कि 2014 में कांग्रेस की सरकार के दौरान एलपीजी सिलेंडर की कुल कीमत 827 रुपये की सब्सिडी और 410 रुपये को जोड़कर 1237 रुपये थी. वहीं, 2022 की भाजपा सरकार में इसकी कीमत 999 रुपये ही है. राहुल गांधी के तुलनात्मक नजरिये से देखा जाए, तो मोदी सरकार के राज में एलपीजी सिलेंडर 238 रुपये सस्ता है. जबकि, कांग्रेस सरकार के दौरान यह महंगा था. वैसे, सब्सिडी किसके पैसों से दी जाती है, ये बात आज के समय में कोई छुपा हुआ तथ्य नहीं है. तो, जब सब्सिडी के पैसे जनता के ही जेब से जाने हैं, तो इससे अच्छा है कि सब्सिडी न ही दी जाए. क्योंकि, कान सीधे पकड़ो या घुमाकर. असर एक ही होना है.
- डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर यानी डीबीटी योजना के तहत केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार गलत तरीके से सब्सिडी का फायदा लेने वाले लाखों लोगों को इस दायरे से बाहर किया है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर यानी डीबीटी योजना में गरीब और मध्यम वर्ग के उन लोगों को राहत मिल रही है, जो सच में इसके हकदार हैं. इस योजना के आने से पहले देश में लिए गए हर गैस कनेक्शन को सब्सिडी दी जाती थी. जिसमें एक ही घर में कई कनेक्शन, सुविधा संपन्न लोगों को भी सब्सिडी मिलने जैसी कई खामियों को दूर किया गया है.
- वैसे, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ये बताना भूल गए कि 2014 में जिस दौरान एलपीजी सिलेंडर सब्सिडी का खेल चल रहा था. उस दौरान लोगों को गैस सिलेंडर बुक करने के बाद 15 दिन डिलीवरी मिलती थी. लोगों को सिलेंडर के लिए लाइन लगानी पड़ती थी. गैस सिलेंडर की ब्लैक मार्केटिंग चरम पर थी. मोदी सरकार के दौरान अब एक फोन कॉल पर ही गैस सिलेंडर बुक हो जाता है. इतना ही नहीं, अगर किसी महीने गैस सिलेंडर जल्दी खत्म हो जाता है, तो दूसरे एलपीजी सिलेंडर को बुक करने के लिए किसी तरह की रोक-टोक नहीं है.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.