दुनिया के किसी अन्य देश के मुकाबले भारत में गोरेपन को लेकर खासा ऑब्सेशन है. लड़के चाहे खुद कम रंग के या सीधे कहें तो सांवले भी हों तो प्रायः डिमांड यही रहती है कि जिस लड़की से उनकी शादी हो, वो 'गोरी' हो. वहीं वो लड़कियां जिनका रंग कम है उनको समाज में किन दुश्वारियों का सामना करना पड़ता है शायद हमें बताने की ज़रूरत बिल्कुल भी नहीं है. ध्यान रहे 'काली' 'गोरी' स्किन टोन की ये बहस एक ऐसे समय में चल रही है जब इंसान मंगल पर जीवन तलाश रहा है और विज्ञान और तकनीक की बड़ी बड़ी बातें कर रहा है. काले और गोरे रंग ने समाज में खाई क्यों बनाई? बात इसकी बड़ी वजहों की हो तो विज्ञापन और टेलीविजन /फिल्मों को भी इसकी एक अहम वजह माना जा सकता है. अभी दिन ही कितने हुए हैं Fair & Lovely को Glow & Lovely बने हुए. जिक्र फिल्मों का हुआ है तो ये भी अपने में दिलचस्प है कि समानता की बड़ी-बड़ी बातों के बावजूद गोरी लड़की ही 'हिरोइन' होगी. कम ही देखने को मिला है कि किसी सांवले रंग की अभिनेत्री को फ़िल्म या टीवी सीरियल में मेन लीड लिया गया है. हालांकि सुंदरता को गोरे काले के तराजू पर रखकर तौलने वालों की आलोचना भी इसी समाज में हो रही है लेकिन जैसे हालात हैं इसमें भी संदेह की गुंजाइश नहीं है कि सोच बदलने में अभी लंबा वक्त लगेगा.
रंगभेद के इस मसले या कहें कि सुंदरता के मद्देनजर काले गोरे के इस फर्जीवाड़े पर कहीं से तो शुरुआत होनी ही थी लेकिन इसके लिए फैशन जगत के चुनिंदा लोगों में शुमार सब्यसाची का सामने आना और अपने एक कलेक्शन के लिए बतौर मॉडल मसाबा गुप्ता को चुनना वाक़ई सुखद है. बताते चलें कि मसाबा गुप्ता ने सब्यसाची के ब्राइडल कलेक्शन के तहत एक फोटोशूट कराया है. इस फोटोशूट में जहां एक...
दुनिया के किसी अन्य देश के मुकाबले भारत में गोरेपन को लेकर खासा ऑब्सेशन है. लड़के चाहे खुद कम रंग के या सीधे कहें तो सांवले भी हों तो प्रायः डिमांड यही रहती है कि जिस लड़की से उनकी शादी हो, वो 'गोरी' हो. वहीं वो लड़कियां जिनका रंग कम है उनको समाज में किन दुश्वारियों का सामना करना पड़ता है शायद हमें बताने की ज़रूरत बिल्कुल भी नहीं है. ध्यान रहे 'काली' 'गोरी' स्किन टोन की ये बहस एक ऐसे समय में चल रही है जब इंसान मंगल पर जीवन तलाश रहा है और विज्ञान और तकनीक की बड़ी बड़ी बातें कर रहा है. काले और गोरे रंग ने समाज में खाई क्यों बनाई? बात इसकी बड़ी वजहों की हो तो विज्ञापन और टेलीविजन /फिल्मों को भी इसकी एक अहम वजह माना जा सकता है. अभी दिन ही कितने हुए हैं Fair & Lovely को Glow & Lovely बने हुए. जिक्र फिल्मों का हुआ है तो ये भी अपने में दिलचस्प है कि समानता की बड़ी-बड़ी बातों के बावजूद गोरी लड़की ही 'हिरोइन' होगी. कम ही देखने को मिला है कि किसी सांवले रंग की अभिनेत्री को फ़िल्म या टीवी सीरियल में मेन लीड लिया गया है. हालांकि सुंदरता को गोरे काले के तराजू पर रखकर तौलने वालों की आलोचना भी इसी समाज में हो रही है लेकिन जैसे हालात हैं इसमें भी संदेह की गुंजाइश नहीं है कि सोच बदलने में अभी लंबा वक्त लगेगा.
रंगभेद के इस मसले या कहें कि सुंदरता के मद्देनजर काले गोरे के इस फर्जीवाड़े पर कहीं से तो शुरुआत होनी ही थी लेकिन इसके लिए फैशन जगत के चुनिंदा लोगों में शुमार सब्यसाची का सामने आना और अपने एक कलेक्शन के लिए बतौर मॉडल मसाबा गुप्ता को चुनना वाक़ई सुखद है. बताते चलें कि मसाबा गुप्ता ने सब्यसाची के ब्राइडल कलेक्शन के तहत एक फोटोशूट कराया है. इस फोटोशूट में जहां एक तरफ मसाबा बला की खूबसूरत लग रही हैं तो वहीं उन्होंने अपने अंदाज में सुंदरता की एक नई परिभाषा लिखी है.
मसाबा ने भले ही सभ्यसाची के जरिये सुंदरता की नई परिभाषा लिख दी हो लेकिन क्योंकि हिंदुस्तान जैसे देश में सुंदरता का केवल और केवल एक मानक यानी गोरापन है जिन्हें सभ्यसाची को ट्रोल करना है या भला बुरा कहना है उन्होंने अपना काम बदस्तूर जारी रखा है.
चूंकि सभ्यसाची मुखर्जी ने ये सभी तस्वीरें अपने इंस्टाग्राम पेज पर डाली है तो जहां तस्वीरों पर मसाबा और इस मुहीम की तारीफ हो रही है तो वहीं एक से एक भद्दे और वाहियात कमेंट्स की भरमार भी है. अक्सर ही अपनी बोल्डनेस की वजह से सुर्खियों में रहने वाली मसाबा ट्रोल्स/ आलोचकों के निशाने पर हैं. तमाम लोग ऐसे हैं जो इसी बात को दोहरा रहे हैं कि यदि सभ्यसाची को अपने इस नए ब्राइडल कलेक्शन के लिए मॉडल रखना ही था तो उन्हें ऐसी महिला का चयन करना चाहिए था जो सच में 'सुंदर' होती.
उपरोक्त पंक्ति में 'सुंदर' शब्द पर गौर करियेगा और इसे इसलिए भी ध्यान में रखियेगा क्यों कि गोरापन सिर्फ भारत में ही एक हव्वे के रूप में देखा जाता है.सभ्यसाची के लिए मसाबा मॉडल बनी हैं और क्योंकि रंग के चलते उनकी आलोचना हो रही है तो इतना आपको ज़रूर जानना चाहिए कि इंटरनेशनल फैशन जगत में टॉप मॉडल अश्वेत महिलाएं ही हैं जिन्होंने न केवल अपनी अदाओं से दुनिया को दीवाना बनाया हुआ है बल्कि किसी डिज़ाइनर को अगर इन्हें अपना कलेक्शन पहनाकर रैंप पर चलाना हो तो महीनों नहीं बल्कि सालों पहले डेट लेनी पड़ती है.
खैर बात यहां मसाबा के नए अवतार और सुंदरता की नई परिभाषा की हुई है तो हम बस ये कहकर अपनी बातों को विराम देंगे कि मसाबा और सभ्यसाची दोनों ही ने एक नए अध्याय को रच दिया है देखना दिलचस्प रहेगा कि इसे आगे बढ़ाने की हिम्मत कौन जुटाता है.
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