भारत और पाकिस्तान का नाम लेते ही आपके दिमाग में क्या आता है? झगड़ा, विवाद, राजनीति, हिंदू-मुसलमान, नरेंद्र मोदी, नवाज शरीफ और आजकल कुछ लोग ये भी कह सकते हैं कि पाकिस्तान का नाम सुनकर उन्हें सिद्धू की याद आती है. खैर, आपके जहन में कुछ भी आता हो, लेकिन एक बार सोचकर देखिए कि कितने लोग हिंदुस्तान-पाकिस्तान का नाम लेते ही सबसे पहले सैनिकों के बारे में सोचते होंगे?
इस बार कुछ ऐसा हुआ है जिसे सुनकर शायद दोनों देशों के लोगों का दिल खुश हो जाए. चेबरकुल नाम का एक शहर है. ये शहर रशिया की राजधानी मॉस्को से 1800 किलोमीटर दूर है. इस जगह पर एक ऐसा इवेंट हो रहा है जिसकी जानकारी शायद ज्यादा न हो, लेकिन यहां हिंदुस्तान और पाकिस्तान दोनों देशों के सैनिक एक ट्रेनिंग इवेंट के लिए पहुंचे हैं. ये इवेंट भी चीन के सौजन्य से क्योंकि यहां 8 देशों के सैनिक थे. शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (SCO) द्वारा ये इवेंट ऑर्गेनाइज किया गया है. ये पहली बार है जब भारत और पाकिस्तान के सैनिक ऐसे एक साथ आए हैं.
SCO 2001 में शंघाई में बनाया गया था. इसमें रशिया, चीन, किर्गिज गणराज्य, कज़ाकिस्तान, तजीकिस्तान और उज़बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने मिलकर इसे बनाया था. भारत और पाकिस्तान पहले इसे सहयोगी सदस्य थे और अब फुल टाइम मेंबर हैं. ये बदलाव पिछले साल ही हुआ है जब किंगडाओ (Qingdao) में पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस समिट में भाग लिया था.
इस इवेंट में भारत और पाकिस्तान की सेनाएं आतंकवाद से लड़ने, शांति बनाए रखने और आपदा से भिड़ने की ट्रेनिंग ले रही हैं. इस इवेंट में एक ऐसी चीज़ भी हुई जिसे देखकर शायद लोगों के चेहरे पर मुस्कान आ जाएगी.
इस इवेंट में भारत और पाकिस्तान के सैनिकों ने एक साथ भारतीय गानों पर डांस किया...
भारत और पाकिस्तान का नाम लेते ही आपके दिमाग में क्या आता है? झगड़ा, विवाद, राजनीति, हिंदू-मुसलमान, नरेंद्र मोदी, नवाज शरीफ और आजकल कुछ लोग ये भी कह सकते हैं कि पाकिस्तान का नाम सुनकर उन्हें सिद्धू की याद आती है. खैर, आपके जहन में कुछ भी आता हो, लेकिन एक बार सोचकर देखिए कि कितने लोग हिंदुस्तान-पाकिस्तान का नाम लेते ही सबसे पहले सैनिकों के बारे में सोचते होंगे?
इस बार कुछ ऐसा हुआ है जिसे सुनकर शायद दोनों देशों के लोगों का दिल खुश हो जाए. चेबरकुल नाम का एक शहर है. ये शहर रशिया की राजधानी मॉस्को से 1800 किलोमीटर दूर है. इस जगह पर एक ऐसा इवेंट हो रहा है जिसकी जानकारी शायद ज्यादा न हो, लेकिन यहां हिंदुस्तान और पाकिस्तान दोनों देशों के सैनिक एक ट्रेनिंग इवेंट के लिए पहुंचे हैं. ये इवेंट भी चीन के सौजन्य से क्योंकि यहां 8 देशों के सैनिक थे. शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (SCO) द्वारा ये इवेंट ऑर्गेनाइज किया गया है. ये पहली बार है जब भारत और पाकिस्तान के सैनिक ऐसे एक साथ आए हैं.
SCO 2001 में शंघाई में बनाया गया था. इसमें रशिया, चीन, किर्गिज गणराज्य, कज़ाकिस्तान, तजीकिस्तान और उज़बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने मिलकर इसे बनाया था. भारत और पाकिस्तान पहले इसे सहयोगी सदस्य थे और अब फुल टाइम मेंबर हैं. ये बदलाव पिछले साल ही हुआ है जब किंगडाओ (Qingdao) में पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस समिट में भाग लिया था.
इस इवेंट में भारत और पाकिस्तान की सेनाएं आतंकवाद से लड़ने, शांति बनाए रखने और आपदा से भिड़ने की ट्रेनिंग ले रही हैं. इस इवेंट में एक ऐसी चीज़ भी हुई जिसे देखकर शायद लोगों के चेहरे पर मुस्कान आ जाएगी.
इस इवेंट में भारत और पाकिस्तान के सैनिकों ने एक साथ भारतीय गानों पर डांस किया और खूब जमकर मस्ती की. इस डांस का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है और लोग इसे काफी पसंद भी कर रहे हैं.
ये वही सैनिक हैं जिन्हें सरहद पर एक दूसरे के खिलाफ खड़ा होना पड़ता है, ये वही सैनिक हैं जो हमारे देश की रक्षा करते हैं, ये वही सैनिक हैं जो सरहद पर मरते हैं और जिनके परिवारों को सबसे ज्यादा भुगतना पड़ता है. पर ये सैनिक आपस में कितना घुल मिल गए हैं और किस हद तक एक दूसरे के साथ सौहाद्र की भावना रखते हैं.
एक सवाल अब मन में घर कर गया है कि आखिर क्यों इन सैनिकों पर कोई कुछ नहीं कह रहा? जिस तरह नफरत सोशल मीडिया पर वायरल होती है क्या प्यार नहीं हो सकता? सिद्धू पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में गए तो इतनी राजनीति हुई. लोगों ने कई सवाल खड़े किए, मंत्री बोले, भाषण दिए गए, सफाई दी गई, लेकिन राजनीति से परे अगर देखा जाए तो हमारे देश एक साथ चल रहे हैं.
यहां भी भारत, पाकिस्तान, चीन और रशिया साथ दिख रहे हैं. सरकारें अपना काम कर रही हैं, शांती बहाल करने की कोशिश की जा रही है. एक बार अगर सरकार और विपक्ष की राजनीति से ऊपर उठकर देखें तो देश-विदेश में काफी कुछ ऐसा हो रहा है जिसकी तारीफ की जा सकती है जिससे कुछ सीखा जा सकता है, लेकिन राजनीति से ऊपर उठे कौन, कौन इतनी तकलीफ झेले, क्यों न चुनाव देखे जाएं, क्यों न वोट की राजनीति का हिस्सा बना जाए? जरा सोचकर देखिए कि राजनीति हमारी जिंदगी पर क्या असर डाल रही है और हम कितना कुछ अपनी जिंदगी से निकाल रहे हैं.
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