हाल ही में एक खबर आई थी. फेसबुक ने हज़ारों पेज और प्रोफाइल डिलीट की थीं. इनमें से 700 पेज कांग्रेस के थे जो किसी न किसी तरह से सोशल मीडिया का मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट तोड़ते पाए गए थे. इस लोकसभा चुनाव में सोशल मीडिया कंपनियों ने बेहद संजीदगी से फेक न्यूज रोकने और अनैतिक तरीकों से इलेक्शन की पोस्ट शेयर करने के खिलाफ काम कर रही हैं. इसमें धारा 126 (RP ACT) का भी जिक्र है और सोशल मीडिया कंपनियां ये भी ध्यान रखेंगी कि किसी भी संसद क्षेत्र में जहां वोटिंग होनी हो वहां 48 घंटे पहले तक सोशल मीडिया का इस्तेमाल किसी भी प्रत्याशी द्वारा सीधे प्रचार के लिए न किया जाए.
जहां लोकसभा चुनाव 2019 में घोषणा पत्र में सोशल मीडिया अकाउंट्स का लेखा जोखा और सभी चुनावी विज्ञापनों को चुनाव आयोग द्वारा सत्यापित करने की बात जगजाहिर है वहीं जिस चीज़ को लोग नजरअंदाज कर रहे हैं वो ये कि इस बार आचार संहिता सोशल मीडिया पर भी लागू है. सोशल मीडिया खासतौर पर फेसबुक और वॉट्सएप पर चुनाव के दौरान ध्यान रखना जरूरी है. अगर ऐसा नहीं किया गया तो आपका अकाउंट बैन हो सकता है. पर क्या ध्यान रखने की जरूरत है?
1. फेसबुक पर ऐसा प्रचार मुश्किल में डाल सकता है-
फेसबुक पर अपने पसंदीदा नेता या पार्टी को लेकर पोस्ट शेयर करना आम बात है और ऐसा करना कोई गैरकानूनी नहीं है, लेकिन एक से ज्यादा पेज का इस्तेमाल कर फेसबुक के जरिए किसी पार्टी का प्रचार करना गलत है. फेसबुक ने जिन पेज को हटाया था उनमें से अधिकतर किसी एक इंसान द्वारा चलाए जा रहे थे और साथ ही साथ ये पॉलिटिकल एड्स भी बहुत ज्यादा दे रहे थे. कोड ऑफ कंडक्ट में राजनीतिक विज्ञापनों को लेकर भी बात की गई है कि इनकी डिटेल्स इलेक्शन कमीशन को दी जाएगी.
हाल ही में एक खबर आई थी. फेसबुक ने हज़ारों पेज और प्रोफाइल डिलीट की थीं. इनमें से 700 पेज कांग्रेस के थे जो किसी न किसी तरह से सोशल मीडिया का मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट तोड़ते पाए गए थे. इस लोकसभा चुनाव में सोशल मीडिया कंपनियों ने बेहद संजीदगी से फेक न्यूज रोकने और अनैतिक तरीकों से इलेक्शन की पोस्ट शेयर करने के खिलाफ काम कर रही हैं. इसमें धारा 126 (RP ACT) का भी जिक्र है और सोशल मीडिया कंपनियां ये भी ध्यान रखेंगी कि किसी भी संसद क्षेत्र में जहां वोटिंग होनी हो वहां 48 घंटे पहले तक सोशल मीडिया का इस्तेमाल किसी भी प्रत्याशी द्वारा सीधे प्रचार के लिए न किया जाए.
जहां लोकसभा चुनाव 2019 में घोषणा पत्र में सोशल मीडिया अकाउंट्स का लेखा जोखा और सभी चुनावी विज्ञापनों को चुनाव आयोग द्वारा सत्यापित करने की बात जगजाहिर है वहीं जिस चीज़ को लोग नजरअंदाज कर रहे हैं वो ये कि इस बार आचार संहिता सोशल मीडिया पर भी लागू है. सोशल मीडिया खासतौर पर फेसबुक और वॉट्सएप पर चुनाव के दौरान ध्यान रखना जरूरी है. अगर ऐसा नहीं किया गया तो आपका अकाउंट बैन हो सकता है. पर क्या ध्यान रखने की जरूरत है?
1. फेसबुक पर ऐसा प्रचार मुश्किल में डाल सकता है-
फेसबुक पर अपने पसंदीदा नेता या पार्टी को लेकर पोस्ट शेयर करना आम बात है और ऐसा करना कोई गैरकानूनी नहीं है, लेकिन एक से ज्यादा पेज का इस्तेमाल कर फेसबुक के जरिए किसी पार्टी का प्रचार करना गलत है. फेसबुक ने जिन पेज को हटाया था उनमें से अधिकतर किसी एक इंसान द्वारा चलाए जा रहे थे और साथ ही साथ ये पॉलिटिकल एड्स भी बहुत ज्यादा दे रहे थे. कोड ऑफ कंडक्ट में राजनीतिक विज्ञापनों को लेकर भी बात की गई है कि इनकी डिटेल्स इलेक्शन कमीशन को दी जाएगी.
पॉलिटिकल विज्ञापनों का लेखा-जोखा भी फेसबुक की तरफ से पेश किया गया है.
फेसबुक ने कितने पेज और अकाउंट सस्पेंड किए ये जानकारी यहां है- कांग्रेस से जुड़े करीब 700 फेसबुक पेज झूठा प्रचार करते पकड़े गए!
2. किसी धर्म, जाति, व्यक्ति को लेकर की गई आपत्तीजनक टिप्पणी से रहें दूर-
ये सभी सोशल मीडिया अकाउंट्स के लिए है. फेसबुक, वॉट्सएप, ट्विटर आदि कहीं पर भी अगर नफरत फैलाने या सांप्रदाइक भाषण, कमेंट, मीम शेयर करने की बात सामने आई तो किसी यूजर का अकाउंट सस्पेंड हो सकता है. यहां वीडियो, फोटो, टेक्स्ट मैसेज आदि शेयर करना भी भारी पड़ सकता है. एक बार हो सकता है कोई बच जाए, लेकिन बार-बार नहीं बच पाएगा. लगातार अगर ऐसा हो रहा है तो वॉट्सएप से नंबर भी ब्लॉक हो सकता है.
3. फेक न्यूज से कर लीजिए तौबा-तौबा-
इन चुनावों में फेक न्यूज फैलाने वाले लोगों पर भी कड़ा शिकंजा है और सीधे उन पेज को सस्पेंड किया जा रहा है जो फेक न्यूज फैला रहे हैं. एडिट किया हुआ वीडियो, फोटो सब खास तौर पर देखा जा रहा है. वॉट्सएप हो या फेसबुक अगर कोई अकाउंट फेक न्यूज फैला रहा है तो उसे तुरंत ही सस्पेंड किया जाएगा.
4. स्पैम मैसेज भेजने से बचें-
स्पैम मैसेज तो वैसे भी फेसबुक, वॉट्सएप या किसी भी अन्य सोशल मीडिया साइट के लिए बैन होते हैं. वॉट्सएप के FAQ सेक्शन में साफ तौर पर लिखा है कि यूजर को स्पैम मैसेज भेजने से बचना चाहिए. किसी भी यूजर के अकाउंट से अगर बार-बार ऑटोमैटिक मैसेज जा रहे हैं तो ये शक के दायरे में आ जाता है.
ये बात इलेक्शन के समय कुछ ज्यादा ही ध्यान दी जा रही है. कंपनी ने न सिर्फ भारतीय सेंटर पर बल्कि अपने आधिकारिक ऑफिस (कैलिफोर्निया, सिंगापुर आदि) से भी भारतीय इलेक्शन पर नजर रखनी शुरू कर दी है इसकी जानकारी खुद फेसबुक ने दी थी. ऐसे में स्पैम मैसेज करने वाले अकाउंट अगर किसी राजनीतिक पार्टी के पक्ष में हैं तो ये खतरनाक स्थिति है.
5. किसी अन्य यूजर के कॉन्टैक्ट का इस्तेमाल न करें-
किसी अन्य यूजर की कॉन्टैक्स लिस्ट में अपने मैसेज भेजने की कोशिश न करें. इसका मतलब सिर्फ ये होगा कि कोई किसी अंजान व्यक्ति से संपर्क करने की कोशिश कर रहा है. दोस्त, रिश्तेदार, माता-पिता का फोन लेकर उनके कॉन्टैक्ट को मैसेज करना या राजनीतिक प्रचार करना सही नहीं है. और ये सोशल मीडिया अकाउंट को ब्लॉक करवाने के लिए भी काफी है. अगर किसी नंबर से बार-बार ऐसा हो रहा है तो उसकी जांच हो सकती है और ऐसे में न सिर्फ स्पैम मैसेज भेजने वाले का नंबर बल्कि वो नंबर जिससे भेजे जा रहे हैं उसे भी बैन किया जा सकता है.
6. ब्रॉडकास्ट मैसेज का ज्यादा इस्तेमाल नहीं करना है-
भले ही वॉट्सएप में सिर्फ 5 लोगों को मैसेज फॉर्वर्ड की सुविधा है, लेकिन ब्रॉडकास्ट में तो एक ही बार में कई कॉन्टैक्ट को मैसेज भेजा जा सकता है. किसी एक नंबर से कई लोगों को मैसेज करना गलत माना जा सकता है. अगर ये ब्रॉडकास्ट बार-बार हो रहे हैं तो उनकी जांच जरूर होगी और गलती से ये चुनाव प्रचार या फेक न्यूज जैसा कुछ हो गया तो यकीनन नंबर ब्लॉक हो जाएगा. साथ ही, ऐसे कॉन्टैक्ट की रिपोर्ट भी की जा सकती है जो बार-बार मैसेज भेजकर परेशान कर रहे हों, ऐसे में भी यूजर्स को दिक्कत हो सकती है.
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आखिर क्यों बैन कर दिए जाते हैं वायरल एप्स?
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.