एक सवाल से अनेक सवाल जुड़ जाते हैं. जब तक उस एक सवाल का जवाब हम लोगों को नहीं मिलता है. सवाल कैसे भी हों, सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput Suicide) की हत्या हुई थी या उसने खुदकुशी की, आखिर क्या हुआ था? किसान (Farmers protest) क्यों इतने आक्रोश में हैं, किसकी गलती है?
एक सवाल के कई जवाब मिल सकते हैं. आपका जवाब कुछ और है तो आपके दोस्त का जवाब कुछ और. हमारी मानसिकता उस सवाल के जवाब को ढूढ़ने में हमारी मदद करती है, लेकिन क्या वो मानसिकता आपके लिए ठीक है?
इस सवाल-जवाब के घेरे में हम ये भूल जाते हैं कि इसका हमारे मानसिक स्वस्थ्य पर क्या असर पड़ता है. चाहे कोविड की वैक्सीनेशन का टॉपिक हो या हाल ही में रिहाना का ट्वीट. हम अपनी लाइफ का ज्यादा समय सोशल मीडिया पर जवाब ढूढ़ने में बिता रहे हैं और यही सच है!
हमें यह समझने की जरूरत है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स हमारे खराब स्वास्थ्य का बहुत बड़ा कारण बन सकती है और इसके प्रभाव से आपको एंग्जायटी, डिप्रेशन, स्ट्रेस, अनिंद्रा, पैनिक अटैक हो सकते हैं.
जिस तरह बैलेंस फूड में आपको हर तरह के पोषक तत्व मिलते हैं. उसी तरह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स कैसे इस्तेमाल करना है, यह समझना भी जरूरी है. क्या आप खुद को अपडेट रखना चाहते हैं या फिर इंफॉर्मेशंस से इन्फ्लुएंस्ड होना चाहते है? बहुत ज्यादा इनफॉर्मेशन प्रॉसेस करने के लिए उतनी ही कैपेसिटी होनी चाहिए और जब आप कैपिसिटी से ज्यादा समझने की कोशिश करते हैं तब आप खुद के लिए प्रॉब्लम क्रिएट करते हैं. खाली समय में अक्सर आप आजकल क्या करते हैं? यह सवाल खुद से पूछिए.
युवा और वयस्क हर कोई सोशल मीडिया एडिक्शन से आज खुद को रोक नहीं पा रहा है. सोने के...
एक सवाल से अनेक सवाल जुड़ जाते हैं. जब तक उस एक सवाल का जवाब हम लोगों को नहीं मिलता है. सवाल कैसे भी हों, सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput Suicide) की हत्या हुई थी या उसने खुदकुशी की, आखिर क्या हुआ था? किसान (Farmers protest) क्यों इतने आक्रोश में हैं, किसकी गलती है?
एक सवाल के कई जवाब मिल सकते हैं. आपका जवाब कुछ और है तो आपके दोस्त का जवाब कुछ और. हमारी मानसिकता उस सवाल के जवाब को ढूढ़ने में हमारी मदद करती है, लेकिन क्या वो मानसिकता आपके लिए ठीक है?
इस सवाल-जवाब के घेरे में हम ये भूल जाते हैं कि इसका हमारे मानसिक स्वस्थ्य पर क्या असर पड़ता है. चाहे कोविड की वैक्सीनेशन का टॉपिक हो या हाल ही में रिहाना का ट्वीट. हम अपनी लाइफ का ज्यादा समय सोशल मीडिया पर जवाब ढूढ़ने में बिता रहे हैं और यही सच है!
हमें यह समझने की जरूरत है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स हमारे खराब स्वास्थ्य का बहुत बड़ा कारण बन सकती है और इसके प्रभाव से आपको एंग्जायटी, डिप्रेशन, स्ट्रेस, अनिंद्रा, पैनिक अटैक हो सकते हैं.
जिस तरह बैलेंस फूड में आपको हर तरह के पोषक तत्व मिलते हैं. उसी तरह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स कैसे इस्तेमाल करना है, यह समझना भी जरूरी है. क्या आप खुद को अपडेट रखना चाहते हैं या फिर इंफॉर्मेशंस से इन्फ्लुएंस्ड होना चाहते है? बहुत ज्यादा इनफॉर्मेशन प्रॉसेस करने के लिए उतनी ही कैपेसिटी होनी चाहिए और जब आप कैपिसिटी से ज्यादा समझने की कोशिश करते हैं तब आप खुद के लिए प्रॉब्लम क्रिएट करते हैं. खाली समय में अक्सर आप आजकल क्या करते हैं? यह सवाल खुद से पूछिए.
युवा और वयस्क हर कोई सोशल मीडिया एडिक्शन से आज खुद को रोक नहीं पा रहा है. सोने के पहले, जागने के ठीक बाद, मोबाइल फोन चेक करना एडिक्शन बन गया है. लेकिन ऐसा नहीं है कि इस आदत से आप खुद को दूर नहीं कर सकते, अभ्यास और कोशिश आपको एक पीसफुल लाइफ दे सकती है.
कुछ टिप्स को अपनाकर आप जिंदगी को औऱ बेहतर बना सकते हैं, जैसे-
1-अपने मोबाइल में सीमित ऐप्लिकेशन रखना
2-सोने के समय मोबाइल हटाकर किताबें पढ़ना या फिर बातें करना
3-सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लिमिटेड कमेंट या पोस्ट करना
4-गूगल पर उसी टॉपिक को सर्च करना जो आपके ग्रोथ के लिए हो
5-ह्यूमन कनेक्शन को ना बोलना
6-टेक्स्टिंग की जगह कॉल करना
7-लैपटॉप या फोन को यूज करने की लिमिट सेट करना
ये छोटी-छोटी बातें आपको पीसफुल रखेंगी और आप फिजिकली व मेंटली फिट रहेंगे. मैंने जो सवाल पूछा था कि आप खाली समय में क्या करते हैं? इस सवाल का जवाब आपके पास होगा ही, खाली समय में हम अक्सर मोबाइल यूज करते हैं या तो गेम खेल लिया, या फिर ऑनलाइन शॉपिंग कर लिया, चैटिंग कर ली, इंस्टाग्राम या फेसबुक यूज कर लिया.
समय से मूल्यावान कुछ नहीं होता है, अगर हम समय का सही प्रयोग करना सीख लें तो इससे बेहतर क्या है. लाइफ में बैलेंस तब आता है जब हम अपना समय हर जरूरी चीजों के लिए बराबर बांटे.
यह आर्टिकल पूरी रिसर्च और एक्सपीरियंस से लिख रही हूं. आप अनमोल हैं, आपका जीवन अनमोल है. इसे यूं न खोइए. हमारे लिए यह जरूरी हो जाता है कि हम खुद की लाइफ और अपने आऩे वाले जनरेशन की लाइफ पीसफुल रखने के लिए सोशल मीडिया के इफेक्ट्स और साइड इफेक्ट्स को समझें.
सोशल मीडिया, यह नाम ही हमें समझाता है कि यह सोशल कारणों के लिए है. इसलिए अपनी पर्सनल लाइफ में और भी चीजों को जगह दें. इसके बारे में खुद समझिए और दूसरों को भी समझाने की कोशिश कीजिए.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.