गोवा की अदालत से आए एक फैसले ने एक बार फिर लोगों के बीच एक नए संवाद को जन्म दे दिया है. मामला 2013 में एक महिला से यौन शोषण का था और आरोपों की जद में मशहूर पत्रकार तरुण आए थे. यौन शोषण जैसे गम्भीर अपराध से जुड़े इस मामले में तरुण तेजपाल को बड़ी राहत मिली है. तकरीबन 8 साल बाद गोवा की सेशन कोर्ट ने तरुण तेजपाल को बरी कर दिया है. वहीं सेशन कोर्ट के इस फैसले से गोवा सरकार संतुष्ट नहीं है और कहा है कि हम इस फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती देंगे. ध्यान रहे पूरा देश उस वक़्त सकते में आ गया था जब तरुण तेजपाल पर 2013 में गोवा के एक 5 स्टार होटल की लिफ्ट के अंदर महिला साथी के साथ यौन शोषण का आरोप लगा था देश हैरत में था कि क्या समाज को दिशा दिखाने वाला व्यक्ति भी ऐसे कुकर्म कर सकता है?
बताते चलें कि तहलका के फाउंडिंग मेंबर और जॉर्नलिस्ट तरुण तेजपाल पर उन्हीं की एक साथी ने रेप का आरोप लगाया था. गोवा पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया और तत्परता दिखाते हुए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की और तरुण तेजपाल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.मई 2014 से जमानत पर चल रहे तरुण तेजपाल के खिलाफ गोवा पुलिस ने 2846 पन्नों की चार्जशीट दायर की थी जिसके तहत उनपर गंभीर धाराएं लगाई गयीं और मुकदमा भी इन्हीं के मद्देनजर चला.
बात उस महिला साथी के आरोपों की हो तो बताया यही जाता है कि गोवा में तहलका का एक इवेंट था, मामले पर अपना पक्ष रखते हुए महिला ने कहा था किनउस रात जब वह एक गेस्ट को उसके कमरे तक छोड़ कर वापस लौट रही थी, तो इसी होटल के ब्लॉक 7 के एक लिफ्ट के सामने उसे उसके बॉस तरुण तेजपाल मिल गए. तेजपाल ने गेस्ट को दोबारा जगाने की बात कह अचानक उसे...
गोवा की अदालत से आए एक फैसले ने एक बार फिर लोगों के बीच एक नए संवाद को जन्म दे दिया है. मामला 2013 में एक महिला से यौन शोषण का था और आरोपों की जद में मशहूर पत्रकार तरुण आए थे. यौन शोषण जैसे गम्भीर अपराध से जुड़े इस मामले में तरुण तेजपाल को बड़ी राहत मिली है. तकरीबन 8 साल बाद गोवा की सेशन कोर्ट ने तरुण तेजपाल को बरी कर दिया है. वहीं सेशन कोर्ट के इस फैसले से गोवा सरकार संतुष्ट नहीं है और कहा है कि हम इस फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती देंगे. ध्यान रहे पूरा देश उस वक़्त सकते में आ गया था जब तरुण तेजपाल पर 2013 में गोवा के एक 5 स्टार होटल की लिफ्ट के अंदर महिला साथी के साथ यौन शोषण का आरोप लगा था देश हैरत में था कि क्या समाज को दिशा दिखाने वाला व्यक्ति भी ऐसे कुकर्म कर सकता है?
बताते चलें कि तहलका के फाउंडिंग मेंबर और जॉर्नलिस्ट तरुण तेजपाल पर उन्हीं की एक साथी ने रेप का आरोप लगाया था. गोवा पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया और तत्परता दिखाते हुए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की और तरुण तेजपाल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.मई 2014 से जमानत पर चल रहे तरुण तेजपाल के खिलाफ गोवा पुलिस ने 2846 पन्नों की चार्जशीट दायर की थी जिसके तहत उनपर गंभीर धाराएं लगाई गयीं और मुकदमा भी इन्हीं के मद्देनजर चला.
बात उस महिला साथी के आरोपों की हो तो बताया यही जाता है कि गोवा में तहलका का एक इवेंट था, मामले पर अपना पक्ष रखते हुए महिला ने कहा था किनउस रात जब वह एक गेस्ट को उसके कमरे तक छोड़ कर वापस लौट रही थी, तो इसी होटल के ब्लॉक 7 के एक लिफ्ट के सामने उसे उसके बॉस तरुण तेजपाल मिल गए. तेजपाल ने गेस्ट को दोबारा जगाने की बात कह अचानक उसे वापस उसी लिफ्ट के अंदर खींच लिया और उसके साथ जोर ज़बरदस्ती की.
जैसा कि हम बता चुके हैं मामले ने सोशल मीडिया को एक नई बहस में पड़ने का मौका दे दिया है. मामले के मद्देनजर सोशल मीडिया यूजर्स ने ख़ुद ब ख़ुद अपने को दो वर्गों में विभाजित कर लिया है. एक वर्ग तरुण के साथ है और बार बार यही बात कह रहा है कि महिला ने तरुण पर झूठे आरोप सिर्फ इसलिए लगाए ताकि वो नाम, पैसा और शोहरत हासिल कर सके. जबकि दूसरे वर्ग के तर्क दूसरे हैं. ये वर्ग महिला के साथ खड़ा है और सेशन कोर्ट के फैसले से खासा नाराज है.
मामले के तहत वो तमाम लोग जो महिला के साथ हैं जमकर भारतीय न्याय व्यवस्था की खिल्ली उड़ा रहे हैं. ऐसे लोगों का यही कहना है कि तरुण तेजपाल के बरी किये जाने ने उन लोगों का मनोबल बढ़ाया है जो रेप या ये कहें कि यौन शोषण जैसे अपराधों को बाएं हाथ का खेल समझते हैं.
आइये नजर डालें ट्विटर पर और समर्थन से लेकर विरोध तक हर उस चीज पर नजर डालें जो फ़िलहाल इस मामले के तहत तरुण तेजपाल को मिल रहा है.
तरुण तेजपाल के बरी होने के बाद ट्विटर पर हैश टैग मेन टू की शुरुआत ही गयी है. समर्थक सवाल कर रहे हैं कि जो इज्जत, शोहरत,नाम रुतबा तरुण तेजपाल ने कमाया था वो कब का चला गया. आखिर अब उसकी भरपाई कौन करेगा?
फैसले के बाद लोग ट्विटर पर यही कह रहे हैं कि जो आदमी निर्दोष था उसके साथ अच्छा नहीं हुआ.
जैसा कि हम बता चुके हैं तरुण के बरी होने से लोग बहुत नाराज भी हैं इसलिए ऐसे भी तमाम यूजर्स हैं जो इस बात को कह रहे हैं कि स्थिति जब ऐसी हो तो यदि किसी महिला का बलात्कार हो जाए या फिर वो यौन शोषण का शिकार हो, वो किसके पास जाए और शिकायत करे?
साफ़ है कि गोवा की सेशन ने एक साथ कई लोगों को आहत किया है और अब वो शायद ही न्याय या देश के कानून पर अपना विश्वास दिखा पाएं.
मामले पर यूजर्स किस हद तक नाराज हैं गर जो समझना ही तो उन प्रतिक्रियाओं का भी रुख किया जा सकता है जिनमें लोग कह रहे हैं कि अपने रसूख का प्रयोग करके अपराधियों का इस तरह बरी होना ही वो कारण है जिसके चलते महिलाएं अपने साथ हुए मामलों पर एफआईआर दर्ज कराने थाने नहीं जाती हैं.
मामले में कुछ चीजें ऐसी भी सामने आई हैं जिन्होंने पूरी न्याय प्रक्रिया को सवालों के घेरे में डाल दिया है.
खैर, तरुण तेजपाल के बरी होने पर गोवा सरकार शीर्ष अदालत जाती है नहीं? वहां पीड़िता को इंसाफ मिलता है या नहीं सवाल कई हैं जिनके जवाब वक़्त देगा लेकिन जो वर्तमान है उसमें देश का आम आदमी तरुण तेजपाल को देखकर ठगा हुआ महसूस कर रहा है. ऐसा शायद इसलिए न्याय गरीबों को नहीं मिलता. समय समय पर रसूख रुतबा और नाम उसे बेबस और लाचार कर ही देता है.
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