Facebook और Twitter सोशल मीडिया के दो बड़े प्लेटफॉर्म जिनके बिना शायद आज हम अपने जीवन की कल्पना ही नहीं कर सकते. जिस वक्त ये दो प्लेटफॉर्म बने उद्देश्य था Networking मगर आज जैसा स्वरूप इन दोनों ही प्लेटफॉर्म्स का है जहां एक तर इनके बलबूते पर्याप्त मात्रा में नफरत फैलाई जा रही है तो वहीं दूसरी तरफ़ इसका इस्तेमाल व्यक्ति अपने अंदर छुपी कुंठा को जगजाहिर करने के लिए कर रहा है. सवाल हो सकता है कि सोशल मीडिया की कमियां बताती ये तमाम बातें? वजह हैं Team India के कप्तान Virat Kohli और उनकी पत्नी Anushka Sharma. अभी कुछ ही घंटे हुए हैं विराट और अनुष्का को बेटी हुई है.जानकारी विराट ने खुद अपने सोशल मीडिया एकाउंट से साझा की है. जानकारी पर बधाई संदेश की बाढ़ आई है. मगर वो लोग जो मौका कोई भी हो अपने भौंडेपन से बाज नहीं आते. उन्हें एक बार फिर बेशर्मी दिखाने का मौका मिल गया है. ट्विटर पर विराट के पोस्ट पर बधाई संदेशों के बीच बीच में तमाम ऐसे कॉमेंट्स हैं, जिनको पढ़कर महसूस यही होता है कि, बेशर्मों का न तो दीन होता है और न ही ईमान. ये अपने को कूल दिखाने के चक्कर में कई बार इतना ज्यादा बोल जाते हैं जिनसे सुनते और पढ़ते हुए न केवल खीझ होती है बल्कि इस बात का भी एहसास हो जाता है कि इन बीमारों को ठीक करने की दवा जल्द से जल्द आए नहीं तो स्थिति बेहद गंभीर हो जाएगी.
बात सीधी और शीशे की तरह साफ है एक ऐसे समय में जब तकनीक अपने सबसे बेहतरीन रूप में हो और हर चीज डिजिटल हो रही हो तो कूल बनने में बुराई नहीं है. जैसी परिस्थितियां आज की हैं कूल होना वक़्त की जरूरत है. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर हम कूल बनने के लिए किन कीमतों को चुका रहे हैं? क्या अश्लीलता की पराकाष्ठा ही कूल होने का...
Facebook और Twitter सोशल मीडिया के दो बड़े प्लेटफॉर्म जिनके बिना शायद आज हम अपने जीवन की कल्पना ही नहीं कर सकते. जिस वक्त ये दो प्लेटफॉर्म बने उद्देश्य था Networking मगर आज जैसा स्वरूप इन दोनों ही प्लेटफॉर्म्स का है जहां एक तर इनके बलबूते पर्याप्त मात्रा में नफरत फैलाई जा रही है तो वहीं दूसरी तरफ़ इसका इस्तेमाल व्यक्ति अपने अंदर छुपी कुंठा को जगजाहिर करने के लिए कर रहा है. सवाल हो सकता है कि सोशल मीडिया की कमियां बताती ये तमाम बातें? वजह हैं Team India के कप्तान Virat Kohli और उनकी पत्नी Anushka Sharma. अभी कुछ ही घंटे हुए हैं विराट और अनुष्का को बेटी हुई है.जानकारी विराट ने खुद अपने सोशल मीडिया एकाउंट से साझा की है. जानकारी पर बधाई संदेश की बाढ़ आई है. मगर वो लोग जो मौका कोई भी हो अपने भौंडेपन से बाज नहीं आते. उन्हें एक बार फिर बेशर्मी दिखाने का मौका मिल गया है. ट्विटर पर विराट के पोस्ट पर बधाई संदेशों के बीच बीच में तमाम ऐसे कॉमेंट्स हैं, जिनको पढ़कर महसूस यही होता है कि, बेशर्मों का न तो दीन होता है और न ही ईमान. ये अपने को कूल दिखाने के चक्कर में कई बार इतना ज्यादा बोल जाते हैं जिनसे सुनते और पढ़ते हुए न केवल खीझ होती है बल्कि इस बात का भी एहसास हो जाता है कि इन बीमारों को ठीक करने की दवा जल्द से जल्द आए नहीं तो स्थिति बेहद गंभीर हो जाएगी.
बात सीधी और शीशे की तरह साफ है एक ऐसे समय में जब तकनीक अपने सबसे बेहतरीन रूप में हो और हर चीज डिजिटल हो रही हो तो कूल बनने में बुराई नहीं है. जैसी परिस्थितियां आज की हैं कूल होना वक़्त की जरूरत है. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर हम कूल बनने के लिए किन कीमतों को चुका रहे हैं? क्या अश्लीलता की पराकाष्ठा ही कूल होने का पैमाना है? क्या बिना भौंडेपन का परिचय दिए छोटे से लेकर बड़े तक किसी भी मुद्दे पर अपनी बातें नहीं रखी जा सकतीं?
आगे कुछ और बात शुरू करने से पहले बता दें कि बीते कुछ घंटों के अंतराल में पिता बने विराट की पोस्ट पर जिस तरह कुछ लोग कुतर्क कर रहे हैं हम उन्हें बस यही बताना चाहेंगे कि उनका ये अंदाज कूल नहीं बल्कि फूहड़ है और यदि वो नहीं समझते हैं और अपनी गलती नहीं मानते हैं तो उन्हें कोई अधिकार नहीं है कि वो सभ्य समाज में रहें और शराफत का चोला ओढ़कर शरीफों की ज़िंदगी बिताएं.
आप ख़ुद ही बताइए कि एक व्यक्ति जो विश्व पटल पर भारत का माथा ऊंचा किये हुए है, जिसकी जर्सी में तिरंगा है, जिसे न केवल देश में बल्कि विदेशों तक में लोग प्यार करते और उसपर अपनी जान लुटाते हों अगर उसके घर बेटी हुई और कोई ये पूछ बैठे कि क्या उसने और उसकी पत्नी ने सेक्स किया तो दुःख भी होगा और गुस्सा भी आएगा.
उपरोक्त कमेंट बानगी भर है. जिस तरह अच्छाई के साथ बुराई जुड़ी होती है उसी तरह विराट के पोस्ट में भी ऐसे तमाम कमेंट्स हैं जिनको पढ़कर इस बात का अंदाजा बखूबी लगाया जा सकता है कि ' कुल दिखने के लिए बेशर्मी पर उतरे मानव को इंसान बनने में अभी लंबा वक्त लगेगा.
वाक़ई बड़ा अजीब है सस्ते ट्रोल्स का वाहियात बातें करना और उसपर भी अजीब है अपने को सभ्य कहलाने वाले लोगों का उन बातों को लाइक करना उन्हें रीट्वीट करना उनपर उससे भी बढ़कर प्रतिकिया देना.
देखिए अच्छे मौकों पर हंसी मजाक करने में कदाचित बुराई नहीं है लेकिन जब हम हंसी मजाक के नाम पर भौंडेपन और अश्लीलता पर उतर जाएं तो बातें भी होंगी और सवाल भी खड़े होंगे. विराट के पोस्ट पर जो कुछ भी हो रहा है वो हो सकता है कुछ लोगों के लिए मजाक हो लेकिन ये कहीं से भी हल्की बात नहीं है.
वो तमाम लोग जो किसी अच्छे मौके पर आदतन अपनी कुटिलता का परिचय दे देते हैं ईमानदारी से इस बात का जवाब दें कि जिस तरह की बातें हो रही हैं क्या उसे जस्टिफाई किया जा सकता है? क्या यही मजाक जब कोई उनके साथ करेगा तो वो उसे पसंद करेंगे? जवाब है नहीं.
तो बात बस इतनी है कि जब हमारे अंदर इस तरह के मजाक झेलने की हिम्मत नहीं है तो आखिर किस मुंह से हम इस तरह का मजाक विराट कोहली - अनुष्का या फिर किसी अन्य सेलिब्रिटी से कर रहे हैं.
बहरहाल इस तरह की ट्रोलिंग और भौंडेपन पर कहने बताने को बहुत कुछ है लेकिन अब हम आगे कोई बात और इस मुद्दे पर इसलिए नहीं कहना चाहेंगे क्योंकि इन बातों का कोई फायदा नहीं है. बाकी समझाया उसको जाता है जिसमें चीजों को समझने की सलाहियत हो जो बेशर्म है उसकी बेशर्मी आज भी जारी है और कल भी रहेगी.
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