सबरीमला... वो तीर्थ जहां भगवान अयप्पा की पूजा की जाती है. वो तीर्थ जहां महिलाओं का प्रवेश वर्जित था (10 से 50 साल की उम्र वाली महिलाओं का). ये वो तीर्थ है जहां हर साल लाखों श्रद्धालु अपने ईष्ट के दर्शन के लिए आते हैं, लेकिन फिलहाल ये तीर्थ किसी आस्था या पर्व के कारण नहीं बल्कि विवादों के कारण चर्चा में है. सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के बाद अब इस तीर्थ स्थान को अखाड़ा बना दिया गया है. एक के बाद एक महिलाएं यहां आ रही हैं, लेकिन ये तय करना मुश्किल हो रहा है कि ये महिलाएं वाकई अयप्पा मंदिर में प्रार्थना करने आ रही हैं या फिर ये असल में ये सिर्फ पब्लिसिटी स्टंट है. इसी कड़ी में रेहाना फातिमा भी एक बार सबरीमला से वापस आ चुकी हैं. अब तृप्ति देसाई उस मंदिर में प्रवेश करने के लिए केरल गई हैं. पर उन्हें केरल एयरपोर्ट से बाहर ही निकलने नहीं दिया जा रहा.
तृप्ति देसाई ने खुली चुनौती दी थी कि वो 16 तारीख को केरल पहुंचेंगी और 17 को सबरीमला पर जाएंगी. इसपर सबरीमला समर्थकों ने एयरपोर्ट को ही घेर लिया है और तृप्ति देसाई अभी तक एयरपोर्ट से ही बाहर नहीं आ पाई हैं.
तृप्ति देसाई और उनकी टीम को कोचिन एयरपोर्ट से बाहर निकलने नहीं दिया जा रहा
जहां तक सबरीमला विवाद की बात है तो ट्विटर ने अपनी राय देना शुरू कर दिया है.
तृप्ति देसाई को ट्विटर की तरफ से फेक फेमिनिज्म फैलाने के लिए दोष दिया जा रहा है. लोगों का मानना है कि तृप्ति ये सब कुछ किसी तरह की पब्लिसिटी पाने के लिए कर रही हैं.
कुछ लोग तो तृप्ति की पिछली जिंदगी से लेकर उनके द्वारा किए गए कामों को लेकर भी फैसला सुना रहे हैं.
सिर्फ तृप्ति देसाई पर ही नहीं बल्कि लोग सुप्रीम कोर्ट पर भी अपना गुस्सा निकाल रहे हैं और कह रहे हैं कि आखिर तृप्ति देसाई को इस तरह से करने की क्या जरूरत थी.
तृप्ति देसाई ने इसके पहले कई मंदिरों में इसी प्रकार एंट्री ली हैं और वो कामियाब भी हुई हैं. इसके पहले वो नासिक के त्रयंबिकेश्वर मंदिर के गर्भगृह में, हाजी अली दरगाह में, शनि शिंग्नापुर में जाकर प्रार्थना कर चुकी हैं.
जिन लोगों को भगवान अयप्पा में आस्था है वो लोग ये नहीं चाहते कि तृप्ति देसाई या कोई भी महिला भगवान अयप्पा के दर्शन करने जाए. इसके अलावा, इसे कई मायनों में राजनीतिक मुद्दा भी बनाया जा रहा है.
इस मामले को हिंदुत्व से जोड़कर भी देखा जा रहा है. देश भर में लोग ये कह रहे हैं कि हिंदुओं के रिवाजों को ज्यादातर तोड़ा जाता है और साथ ही साथ लोग सबरीमला के रिवाजों की भी बात कर रहे हैं क्योंकि सबरीमला का रिवाज है कि तीर्थ यात्रियों को 41 दिनों तक व्रत रखना होता है.
सबरीमला में जाने के लिए कई नियम हैं और वहां किसी भी धर्म, जाति या उम्र का इंसान जा सकता है सिवाए 10 से 50 साल के बीच की महिलाओं के.
पर इस सबके बीच कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्होंने तृप्ति देसाई के मामले को सपोर्ट किया और इसे एक बेहतर कदम मानते हैं.
इसके ही साथ नेताओं की राजनीति भी शुरू हो गई है जिसमें धर्म को आखाड़े में लाया जा रहा है.
तृप्ति देसाई की बात की जाए तो ये अलग होगा, लेकिन अगर अयप्पा मंदिर और सबरीमला की बात करें तो वहां इस साल दर्शन के लिए लगभग 700 महिलाओं ने रजिस्ट्रेशन करवाया है. ये वो महिलाएं हैं जो सबरीमला के दर्शन करना चाहती हैं और अयप्पा की पूजा करना चाहती हैं.
सबरीमला के मामले में ये कहना की जो भी महिलाएं वहां जा रही हैं वो सिर्फ पब्लिसिटी के लिए जा रही हैं ये तो गलत होगा क्योंकि रजिस्ट्रेशन बताते हैं कि इनमें वो महिलाएं भी हैं जो सिर्फ श्रद्धा के लिए वहां जाना चाहती हैं. पर अभी भी मुद्दा यही है कि क्या वाकई महिलाओं को वहां जाने दिया जाएगा?
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