Smog की चादर में ढंकी दिल्ली खांस रही है. उसे सांस लेने में दिक्कत महसूस हो रही है. जिन सड़कों पर कल तक गाड़ियों की लम्बी कतारें थीं वहां आज पूर्व की अपेक्षा शांति है. शहर में, सड़कों से लेकर गलियों तक. बसों से लेकर ऑटो और मेट्रो तक ज्यादातर जगहों पर सन्नाटा पसरा है या फिर जहां नहीं है और लोग चल रहे हैं, वहां उनके चेहरे पर मास्क है. इस दहली हुई दिल्ली के पतन के पीछे की वजह हम खुद हैं. आज हम जो भी भोग रहे हैं या फिर भविष्य में हमें जो भी मिलेगा उसके पीछे हमारा अतीत है. वो अतीत जिसने हमेशा ही अपने आस पास को, अपने पर्यावरण को नजरअंदाज किया और सीना चौड़ा कर ये कहा कि, हमारे अकेले के करने से क्या होगा? आज जब हमें अपनी गलती का एहसास हुआ तब तक बहुत देर हो चुकी है.
दिल्ली हाई कोर्ट के दखल के बाद और शहर में बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर पुनः odd-even नीति की वापसी हो गयी है. दिल्ली हाई कोर्ट से निर्देश मिलने के बाद दिल्ली सरकार ने यह फैसला किया है. खबर है कि राष्ट्रीय राजधानी में 13 नवंबर-17 नवंबर के दरम्यान ऑड-इवन की व्यवस्था लागू रहेगी. यानी इवन दिन पर इवन रजिस्ट्रेशन नंबरों वाली गाड़ियां व ऑड दिनों पर ऑड नंबरों वाली गाड़ियां ही चल सकेंगी.
बढ़ते प्रदूषण और अचानक आए स्मॉग पर दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की वजह से 'आपातकालीन स्थिति' पैदा गई है. अदालत ने दिल्ली सरकार से वाहनों के लिए ऑड-इवन स्कीम लाने और क्लाउड सीडिंग (कृत्रिम बारिश) कराने पर विचार करने के लिए कहा है. स्मॉग और बढ़ते प्रदूषण पर कोर्ट अपना काम कर रहा है, मगर इसपर राजनीति बदस्तूर जारी है. और ये राजनीति चल रही है दिल्ली के मुख्यमंत्री...
Smog की चादर में ढंकी दिल्ली खांस रही है. उसे सांस लेने में दिक्कत महसूस हो रही है. जिन सड़कों पर कल तक गाड़ियों की लम्बी कतारें थीं वहां आज पूर्व की अपेक्षा शांति है. शहर में, सड़कों से लेकर गलियों तक. बसों से लेकर ऑटो और मेट्रो तक ज्यादातर जगहों पर सन्नाटा पसरा है या फिर जहां नहीं है और लोग चल रहे हैं, वहां उनके चेहरे पर मास्क है. इस दहली हुई दिल्ली के पतन के पीछे की वजह हम खुद हैं. आज हम जो भी भोग रहे हैं या फिर भविष्य में हमें जो भी मिलेगा उसके पीछे हमारा अतीत है. वो अतीत जिसने हमेशा ही अपने आस पास को, अपने पर्यावरण को नजरअंदाज किया और सीना चौड़ा कर ये कहा कि, हमारे अकेले के करने से क्या होगा? आज जब हमें अपनी गलती का एहसास हुआ तब तक बहुत देर हो चुकी है.
दिल्ली हाई कोर्ट के दखल के बाद और शहर में बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर पुनः odd-even नीति की वापसी हो गयी है. दिल्ली हाई कोर्ट से निर्देश मिलने के बाद दिल्ली सरकार ने यह फैसला किया है. खबर है कि राष्ट्रीय राजधानी में 13 नवंबर-17 नवंबर के दरम्यान ऑड-इवन की व्यवस्था लागू रहेगी. यानी इवन दिन पर इवन रजिस्ट्रेशन नंबरों वाली गाड़ियां व ऑड दिनों पर ऑड नंबरों वाली गाड़ियां ही चल सकेंगी.
बढ़ते प्रदूषण और अचानक आए स्मॉग पर दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की वजह से 'आपातकालीन स्थिति' पैदा गई है. अदालत ने दिल्ली सरकार से वाहनों के लिए ऑड-इवन स्कीम लाने और क्लाउड सीडिंग (कृत्रिम बारिश) कराने पर विचार करने के लिए कहा है. स्मॉग और बढ़ते प्रदूषण पर कोर्ट अपना काम कर रहा है, मगर इसपर राजनीति बदस्तूर जारी है. और ये राजनीति चल रही है दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह और केंद्र सरकार के बीच.
दिल्ली समेत उत्तरी राज्यों में प्रदूषण का लगातार बढ़ना जहां एक तरफ मुख्यमंत्री केजरीवाल को चिंतित किये हुए है तो वहीं इस चिंता से पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी परेशान हैं मगर उन्होंने पासे को केंद्र सरकार के बोर्ड पर डालते हुए साफ कह दिया है कि इस समस्या पर केंद्र सरकार के हस्तक्षेप किए जाने की ज़रूरत है. पराली जलाए जाने पर भी कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपना रुख साफ कर दिया है और कहा है कि, पराली जलाने की समस्या से अकेले पंजाब नहीं निपट सकता है. पराली जलाने के संबंध में केंद्र को किसानों के लिए मुआवजा तुरंत मंजूर करना चाहिए.
बहरहाल, मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट के दखल और हो रही राजनीति पर लोगों की मिश्रित राय है. सोशल नेटवर्किंग साईट ट्विटर पर ऑड-इवन टॉप ट्रेंड में है और लोग लगातार इसपर अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं. ट्विटर पर कुछ लोगों का मानना है कि ये सरकार का एक बेकार फैसला है तो वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनका ये मानना है कि ये एक व्यर्थ का प्रयास है और सरकार इससे केवल आम आदमी को परेशान कर उसका समय बर्बाद कर रही है.
ट्विटर पर आए हुए ज्यादातर ट्वीट्स देखकर एक बात तो साफ है कि लोग सरकार के इस फैसले से खुश नहीं हैं और उनका मानना है कि इस नीति के द्वारा एक बार फिर से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल केंद्र को घेर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कोसेंगे ताकि उन्हें भरपूर मीडिया लाइमलाइट मिल पाए. वहीं दूसरी तरफ ट्विटर पर कुछ ऐसे यूजर भी हैं जिनको लगता है कि इस तरह के छोटे-छोटे प्रयासों से ही कई सारी बड़ी समस्याओं का अंत कर पर्यावरण संरक्षण कर पाएंगे.
ये भी पढ़ें -
'मैं दिल्ली आई, और मुझे तुरंत इन 5 आदतों से तौबा करना पड़ा'
फ्री-मेट्रो हो सकता है ऑड-ईवेन से ज्यादा इको-फ्रेंडली
दिल्ली में 24 गुना प्रदूषण के लिए दिल्ली वाले खुद जिम्मेदार
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.