माया कोडनानी को 28 साल की सज़ा सुनाई गई थी. उनपर कार सेवकों की मौत पर भीड़ को भड़काने और बदले की भावना मन में डलने के आरोप में सज़ा सुनाई गई थी. गोधरा ट्रेन कांड के बाद गुजरात में जो दंगे हुए थे उसमें नरोदा पाटिया में भीड़ को भड़काने का आरोप माया कोडनानी पर लगाया गया था.
गुजरात में 2002 के नरोदा पाटिया दंगा (Naroda Patiya riot) मामले में दायर अपीलों पर शुक्रवार को गुजरात हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया. हाईकोर्ट ने माया कोडनानी को बरी कर दिया है, वहीं बाबू बजरंगी की सजा को बरकरार रखा है.
माया कोडनानी को 28 साल की सज़ा सुनाई गई थी. उनपर कार सेवकों की मौत पर भीड़ को भड़काने और बदले की भावना मन में डलने के आरोप में सज़ा सुनाई गई थी. गोधरा ट्रेन कांड के बाद गुजरात में जो दंगे हुए थे उसमें नरोदा पाटिया में भीड़ को भड़काने का आरोप माया कोडनानी पर लगाया गया था. इसके अलावा, बाबूभाई पटेल उर्फ बाबू बजरंगी को दोषी मान लिया गया है और साथ ही सुरेश लंगाडो उर्फ रिचर्ड चारा को भी दोषी पाया गया है.
28 फरवरी 2002 को जो नरसंहार हुआ था उसमें 97 मुसलमानों को जिंदा जला दिया था. इस मामले में भीड़ को भड़काने और बदला लेने के लिए उकसाने के आसोप में कुल 32 लोगों को दोषी करार दिया गया था. उनमें से 21 अब तक बरी हो गए हैं. गुजरात के इन दंगों में 1000 से भी ज्यादा लोगों की जान गई थी. इस मामले में 64 लोगों को आरोपी बनाया गया था जिनमें से तीन की मौत हो चुकी है. बाकी बचे 61 लोगों पर हत्या, आगजनी और दंगा भड़काने के आरोप थे. इनमें से अधिकांश को जमानत मिल गई थी.
माया कोडनानी पर आरोप था कि उन्होंने ये कहा था कि 'मुस्लिमों को मार दो, उनकी संपत्ति जला दो'. इतने भीषण आरोप के बाद भी सबूतों के आभाव में बरी होने वाली तत्कालीन मंत्री माया कोडनानी के केस में ट्विटर पर लोगों ने अपना गुस्सा दिखाना शुरू कर दिया है.
गुजरात में 2002 के नरोदा पाटिया दंगा (Naroda Patiya riot) मामले में दायर अपीलों पर शुक्रवार को गुजरात हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया. हाईकोर्ट ने माया कोडनानी को बरी कर दिया है, वहीं बाबू बजरंगी की सजा को बरकरार रखा है.
माया कोडनानी को 28 साल की सज़ा सुनाई गई थी. उनपर कार सेवकों की मौत पर भीड़ को भड़काने और बदले की भावना मन में डलने के आरोप में सज़ा सुनाई गई थी. गोधरा ट्रेन कांड के बाद गुजरात में जो दंगे हुए थे उसमें नरोदा पाटिया में भीड़ को भड़काने का आरोप माया कोडनानी पर लगाया गया था. इसके अलावा, बाबूभाई पटेल उर्फ बाबू बजरंगी को दोषी मान लिया गया है और साथ ही सुरेश लंगाडो उर्फ रिचर्ड चारा को भी दोषी पाया गया है.
28 फरवरी 2002 को जो नरसंहार हुआ था उसमें 97 मुसलमानों को जिंदा जला दिया था. इस मामले में भीड़ को भड़काने और बदला लेने के लिए उकसाने के आसोप में कुल 32 लोगों को दोषी करार दिया गया था. उनमें से 21 अब तक बरी हो गए हैं. गुजरात के इन दंगों में 1000 से भी ज्यादा लोगों की जान गई थी. इस मामले में 64 लोगों को आरोपी बनाया गया था जिनमें से तीन की मौत हो चुकी है. बाकी बचे 61 लोगों पर हत्या, आगजनी और दंगा भड़काने के आरोप थे. इनमें से अधिकांश को जमानत मिल गई थी.
माया कोडनानी पर आरोप था कि उन्होंने ये कहा था कि 'मुस्लिमों को मार दो, उनकी संपत्ति जला दो'. इतने भीषण आरोप के बाद भी सबूतों के आभाव में बरी होने वाली तत्कालीन मंत्री माया कोडनानी के केस में ट्विटर पर लोगों ने अपना गुस्सा दिखाना शुरू कर दिया है.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.