इति कट्टरपंथाय नम:
1. कट्टरपंथी कई तरह के होते हैं जैसे 10वीं पास विद्यार्थी कई तरह के होते हैं. 47 फीसदी वाले कट्टरपंथी, 50 फीसदी वाले, 67 फीसदी वाले, 77 फीसदी वाले, 89 फीसदी वाले और 96 फीसदी वाले. ज्यों-ज्यों प्रतिशत ऊपर जाता है, उनकी क्षमता प्रति- कट्टरपंथी पैदा करने की बढ़ती जाती है. उनके एक-एक पोस्ट से दस पांच प्रति कट्टरपंथी पैदा हो जाते हैं. ऐसे में थोड़ी कमजोर प्रतिभा वाला कट्टरपंथी फिर भी ठीक है-उससे बात की जा सकती है. थोड़ा कम गोरा-चिट्टा, कम चिकना और कम सयाना कट्टरपंथी स्वीकार्य है-क्योंकि वो कई बार ठहरकर आपकी बात सुनता है.
2. यहां बात सिर्फ धार्मिक कट्टरपंथ की नहीं है, वैचारिक, राजनीतिक और जातीय कट्टरपंथ की भी है. मेरे एक मित्र ने कहा कि ये तो कट्टर और उदार तालिबान वाला मामला हो गया. मेरा मानना है कि दिन के चौबीसो घंटे कोई कट्टर या उदार नहीं रहता. ये सब एक माया है.
चौबीसों घंटे कोई कट्टर या उदार नहीं रहता |
3. जब मैंने लिखना शुरू किया था तो मैं 50 फीसदी से भी कम प्रतिभा वाला कट्टरपंथी था. ऐसे में अन्य विचार के कट्टरपंथियों को लगा कि मैं 'पोच' किया जा सकता हूं. वे मुझे अक्सर चाय पिलाते थे. बस वे धोखा खा गए और उन्होंने अपना 96 फीसदी कट्टरपंथी रूप दिखलाना शुरू कर दिया. ऐसे में मेरी औसत प्रतिभा भी धीरे-धीरे विकसित होने लगी और मैंने ज्यादा रियाज करना शुरू कर दिया. सालों बाद मैं भी 79 फीसदी के करीब पहुंच गया. अब उन्होंने मुझे चाय पिलाना बंद कर दिया!