अभी अप्रैल में यमुना के किनारे वर्ल्ड कल्चर फेस्टिवल आयोजित करने का विवाद थमा भी नहीं था कि आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने अपने बयान से एक और तूफान खड़ा कर दिया. रविशंकर ने कहा कि मलाला युसुफजई नोबेल पुरस्कार पाने लायक नहीं है.
रविशंकर ने कहा, 'आजकल नोबेल प्राइज की कोई कीमत नहीं है. जब आप एक 16 की लड़की को ये अवॉर्ड देते हैं, जिसने कुछ नहीं किया है तो इसकी क्या कीमत रह जाती है? यह एक राजनीतिक पुरस्कार बन गया है.' इस बयान के बाद रविशंकर की तीखी आलोचना हुई.
यानी पिछले कुछ दिनों से रविशंकर किसी न किसी वजह से सुर्खियों में छाए रहे हैं. अब एक बार फिर से वह चर्चा में हैं. लेकिन इस बार वजह कोई विवाद या बयान नहीं है बल्कि इसकी वजह एक पुराना वीडियो है जो अब वायरल हो रहा है. दरअसल इस वीडियो में रविशंकर 2001 में आई फिल्म कलयुग के चर्चित गाने 'जिया धड़क-धड़क जाए' पर झूमते नजर आ रहे हैं.
देखें: जिया धड़क-धड़क गाने पर झूमते श्री श्री रविशंकर
4 मिनट 20 सेकेंड के इस वीडियो में रविशंकर अपने भक्तों को फूल बांटते नजर आ रहे हैं, जबकि बैकग्राउंड में उनके आश्रम में हो रहे सत्संग में जिया धड़क-धड़क गाना गाया जा रहा है. भक्तों को फूल बांटने के दौरान ही बीच-बीच में रविशंकर इस गाने पर नाचते नजर आ रहे हैं. वह इस गाने की धुन में इस कदर डूबे नजर आते हैं कि गाने के अलग-अलग स्टेप करते नजर आते हैं. भीड़ में मौजूद उनके भक्त तालियां बजाकर और चिल्लाकर उनका उत्साह बढ़ाते नजर आते हैं.
ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल जरूर हो गया है और इसने एक बार फिर से रविशंकर को चर्चा में ला दिया है.
लेकिन इन विवादों का शायद ही रविशंकर पर कोई असर पड़े. आखिर वे दूसरों को जीवन जीने की कला जो सिखाते हैं. इसलिए उन्हें खुद इतना तो अच्छी तरह पता ही होगा कि ऐसे विवादों से बेअसर कैसे रहा जाता है.
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