सोशल मीडिया को आजकल लोगों के मददगार माध्यम के तौर पर जाना जाता है. लेकिन तब क्या हो जब ये माध्यम आपके लिए मुसीबत बन जाए. कुछ ऐसा ही हुआ सऊदी अरब में नौकरी के लिए जाने वाले एक भारतीय मुस्लिम के साथ. इस भारतीय ने सऊदी अरब में अपने एम्पलॉयर द्वारा किए जाने वाले शोषण की कहानी का दर्द एक वीडियो में कैद किया. फिर उसे दिल्ली के एक मानवाधिकार कार्यकर्ता के पास भेज दिया. इस एक्टिविस्ट ने यह वीडियो फेसबुक पर शेयर कर दिया, इस उम्मीद के साथ इससे उस पीडि़त को वतन वापस आने का मौका मिल जाएगा.
लेकिन हुआ इसके उलट, पहले तो उन्हें सऊदी सरकार ने गलत जानकारी देने का आरोप लगाकर गिरफ्तार किया और अब तो ये भी नहीं पता कि वह कहां हैं, उनकी मां उन्हें फोन करके-करके परेशान हो गई हैं लेकिन उनका कुछ पता नहीं है. आइए जानें सऊदी में फंसे एक भारतीय की ऐसी कहानी जो वहां नौकरी की तलाश में गए हजारों लोगों का दुख साझा करती है.
क्या है सऊदी में फंसे भारतीय की दुखभरी कहानीः
अपनी रोजी रोटी की तलाश में दो साल पहले अब्दुल सत्ता मकंद रसऊदी अरब पहुंचे थे. 35 वर्षीय सत्तार कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले के डांडेली के रहने वाले हैं. चार बच्चों के पिता सत्तार 2014 से ही सऊदी अरब की एक कंस्ट्रकनश इंजीनियरिंग फर्म अल खोबार में बतौर ट्रक ड्राइवर काम कर रहे हैं.
सत्तार के साथ मुश्किल ये है कि उनकी कंपनी ने पिछले लगभग दो सालों से उन्हें न ही छुट्टी दी है और न ही उन्हें भारत वापस लौटने की इजाजत दे रही है क्योंकि उनका इकामा (वर्क परमिट) कंपनी ने अपने कब्जे में ले रखा है. सत्तार का कहना है कि कंपनी ने उनसे जबरन डॉक्यूमेंट्स पर साइन करवा लिए. अपनी इसी कहानी को उन्होंने सोशल मीडिया पर इस उम्मीद में साझा किया था कि इससे उन्हें शायद वतन वापसी में मदद मिले लेकिन इसके बाद जो हुआ, वह हिम्मत टूटने वाला था.
सोशल मीडिया से मांगी मदद, बन गया मुसीबत!
सत्ता ने अपन दर्द दिल्ली...
सोशल मीडिया को आजकल लोगों के मददगार माध्यम के तौर पर जाना जाता है. लेकिन तब क्या हो जब ये माध्यम आपके लिए मुसीबत बन जाए. कुछ ऐसा ही हुआ सऊदी अरब में नौकरी के लिए जाने वाले एक भारतीय मुस्लिम के साथ. इस भारतीय ने सऊदी अरब में अपने एम्पलॉयर द्वारा किए जाने वाले शोषण की कहानी का दर्द एक वीडियो में कैद किया. फिर उसे दिल्ली के एक मानवाधिकार कार्यकर्ता के पास भेज दिया. इस एक्टिविस्ट ने यह वीडियो फेसबुक पर शेयर कर दिया, इस उम्मीद के साथ इससे उस पीडि़त को वतन वापस आने का मौका मिल जाएगा.
लेकिन हुआ इसके उलट, पहले तो उन्हें सऊदी सरकार ने गलत जानकारी देने का आरोप लगाकर गिरफ्तार किया और अब तो ये भी नहीं पता कि वह कहां हैं, उनकी मां उन्हें फोन करके-करके परेशान हो गई हैं लेकिन उनका कुछ पता नहीं है. आइए जानें सऊदी में फंसे एक भारतीय की ऐसी कहानी जो वहां नौकरी की तलाश में गए हजारों लोगों का दुख साझा करती है.
क्या है सऊदी में फंसे भारतीय की दुखभरी कहानीः
अपनी रोजी रोटी की तलाश में दो साल पहले अब्दुल सत्ता मकंद रसऊदी अरब पहुंचे थे. 35 वर्षीय सत्तार कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले के डांडेली के रहने वाले हैं. चार बच्चों के पिता सत्तार 2014 से ही सऊदी अरब की एक कंस्ट्रकनश इंजीनियरिंग फर्म अल खोबार में बतौर ट्रक ड्राइवर काम कर रहे हैं.
सत्तार के साथ मुश्किल ये है कि उनकी कंपनी ने पिछले लगभग दो सालों से उन्हें न ही छुट्टी दी है और न ही उन्हें भारत वापस लौटने की इजाजत दे रही है क्योंकि उनका इकामा (वर्क परमिट) कंपनी ने अपने कब्जे में ले रखा है. सत्तार का कहना है कि कंपनी ने उनसे जबरन डॉक्यूमेंट्स पर साइन करवा लिए. अपनी इसी कहानी को उन्होंने सोशल मीडिया पर इस उम्मीद में साझा किया था कि इससे उन्हें शायद वतन वापसी में मदद मिले लेकिन इसके बाद जो हुआ, वह हिम्मत टूटने वाला था.
सोशल मीडिया से मांगी मदद, बन गया मुसीबत!
सत्ता ने अपन दर्द दिल्ली के एक सोशल ऐक्टिविस्ट कुंदन श्रीवास्त्व को बताया. 12 मार्च को अब्दुल सत्तार ने अपनी दुखभरी कहानी का वीडियो कुंदन को भेजा. कुंदन ने यह सोचकर ये वीडियो फेसबुक पर पोस्ट कर दिया कि ये कहानी जानकार भारत सरकार अब्दुल की मदद करेगी. रोते हुए ट्रक ड्राइवर अब्दुल का ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और इसने दुनिया भर की मीडिया का ध्यान अपनी ओर खींचा. वीडियो में रोते हुए सत्तार ने बताया कि 'कंपनी न तो उन्हें सैलरी देती है और न ही खाने के पैसे.'
ये वीडियो वायरल हो तो गया और इस पर मीडिया का भी ध्यान चला गया लेकिन इसके परिणाम सत्तार की उम्मीदों के उलट हुए और इसके परिणाम सत्तार के लिए बेहद घातक साबित हुए. एक भारतीय कामगार के शोषण के आरोपों से बौखलाई सऊदी अरब की कंपनी ने पहले तो वीडियो अपलोड करने वाले कुंदन को इसे तुरंत हटाने और माफी मांगने की चेतावनी दी और अगले ही दिन सऊदी पुलिस ने अब्दुल सत्तार को 'झूठी जानकारी फैलाने' के आरोपों में जेल में डाल दिया.
कुंदन ने इस वीडियो को इस उम्मीद के साथ अपने फेसबुक पेज से डिलीट कर दिया और माफी मांग ली कि इससे सऊदी सरकार अब्दुल को रिहा कर देगी. लेकिन ये सिर्फ एक छलावा साबित हुआ. सत्तार को रिहा तो किया गया लेकिन अगले ही दिन उसे पुलिस ने फिर से गिरफ्तार कर लिया. इस बार की गिरफ्तारी ज्यादा डरावनी थी क्योंकि सत्तार को गिरफ्तारी के बाद कहां ले जाया गया इसका कुछ पता नहीं है. सत्तार का फोन नंबर और ईमेल पर संपर्क करने पर कोई जवाब नहीं मिल रहा है. सत्तार की मां उसे लगातार फोन कर रही हैं लेकिन उसके बारे में कोई जानकारी नहीं है. उन्होंने बताया कि सत्तार से आखिरी बार उनकी बात पांच दिन पहले हुई थी और उसके दोस्तों ने बताया कि वह जेल में है.
कुंदन ने सत्तार की मदद के लिए भारत सरकार से अपील की है लेकिन उनका कहना है कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से अपील किए जाने के बाद उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. कुंदन का कहना है कि सत्तार ने उनसे कहा था कि उसकी जिंदगी खतरे में है.
सरकार द्वारा पिछले साल जारी आंकड़ों के मुताबिक सऊदी अरब में इस समय 28 लाख भारतीय रोजी-रोटी की तलाश में गए हुए हैं. इनमें से ज्यादातर को वहां अच्छे पैसे मिलते हैं लेकिन देश के वीजा स्पॉन्सरशिप सिस्टम खलाफा से यहां कई अप्रवासी मजदूरों का शोषण भी किया जाता है.
अब्दुल सत्तार जैसी ही कहानी गल्फ देशों में कमाई के लिए गए हजारों भारतीय की है. ये दुख भरी दास्तां शायद तभी खत्म होगी जब इन लोगों को रोजगार की तलाश में अपना देश छोड़कर नहीं जाना पड़ेगा.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.