इंस्टाग्राम, फेसबुक और ट्विटर वाले इस दौर में कहां कोई बात छिपती है. वायरल दिल्ली मेट्रो गर्ल भी नहीं छिप पाई. दिल्ली मेट्रो में DIY ब्रालेट और स्कर्ट से रातों रात इंटरनेट सेंसेशन बनी लड़की की पहचान रिदम चनाना के रूप में हुई है. लड़की जिन कपड़ों में मेट्रो में सफर करने के बाद वायरल हुई उसकी तुलना बॉलीवुड एक्टर उर्फी जावेद से की जा रही है. दिल्ली मेट्रो गर्ल यानी रिदम भले ही माय बॉडी माय चॉइस का राग अलापते हुए पूरे सोशल मीडिया पर छाई हो लेकिन समाज की लड़की की इस गतिविधि पर मिली जुली राय है. एक वर्ग लड़की को जायज ठहरा रहा है तो वहीं देश की एक बड़ी आबादी ऐसी है जिसका मानना है कि फ्रीडम ऑफ स्पीच और आधुनिकता के नाम पर कल्चरल नरसंहार इस तरह नहीं किया जा सकता. लड़की जो कर रही है उसका मकसद नंगई और अश्लीलता के नाम पर इंस्टाग्राम और फेसबुक पर चंद फॉलोवर जुटाना है. लोगों की इस राय पर रिदम की थ्योरी अलग है और जैसी उसकी बातें हैं उनमें हमें गहरा विरोधाभास दिखाई दे रहा है.
दरअसल सोशल मीडिया पर अपने अतरंगे पहनावे के बल पर पॉपुलर होने वाली रिदम से इंडिया टुडे ने बात की है. और ये अपने में दुर्भाग्यपूर्ण है कि जैसी बातें दिल्ली मेट्रो गर्ल ने कही हैं उनमें सच कम और झूठ की मात्रा बहुत ज्यादा है. वायरल होने वाली रिदम से 'इंडिया टुडे' ने सवाल किया कि उसकी ऐसी ड्रेस पहनने की कहानी क्या है. साथ ही वो समाज की नजरों और प्रतिक्रयाओं से कैसे डील करती है.
सवालों पर अपना पक्ष रखते हुए रिदम ने कहा कि, 'मैं क्या पहनूं क्या नहीं इसकी मुझे आजादी है. मैं यह किसी पब्लिसिटी स्टंट के लिए या प्रसिद्ध होने के लिए नहीं कर रही हूं. मुझे परवाह नहीं है कि लोग क्या कहते...
इंस्टाग्राम, फेसबुक और ट्विटर वाले इस दौर में कहां कोई बात छिपती है. वायरल दिल्ली मेट्रो गर्ल भी नहीं छिप पाई. दिल्ली मेट्रो में DIY ब्रालेट और स्कर्ट से रातों रात इंटरनेट सेंसेशन बनी लड़की की पहचान रिदम चनाना के रूप में हुई है. लड़की जिन कपड़ों में मेट्रो में सफर करने के बाद वायरल हुई उसकी तुलना बॉलीवुड एक्टर उर्फी जावेद से की जा रही है. दिल्ली मेट्रो गर्ल यानी रिदम भले ही माय बॉडी माय चॉइस का राग अलापते हुए पूरे सोशल मीडिया पर छाई हो लेकिन समाज की लड़की की इस गतिविधि पर मिली जुली राय है. एक वर्ग लड़की को जायज ठहरा रहा है तो वहीं देश की एक बड़ी आबादी ऐसी है जिसका मानना है कि फ्रीडम ऑफ स्पीच और आधुनिकता के नाम पर कल्चरल नरसंहार इस तरह नहीं किया जा सकता. लड़की जो कर रही है उसका मकसद नंगई और अश्लीलता के नाम पर इंस्टाग्राम और फेसबुक पर चंद फॉलोवर जुटाना है. लोगों की इस राय पर रिदम की थ्योरी अलग है और जैसी उसकी बातें हैं उनमें हमें गहरा विरोधाभास दिखाई दे रहा है.
दरअसल सोशल मीडिया पर अपने अतरंगे पहनावे के बल पर पॉपुलर होने वाली रिदम से इंडिया टुडे ने बात की है. और ये अपने में दुर्भाग्यपूर्ण है कि जैसी बातें दिल्ली मेट्रो गर्ल ने कही हैं उनमें सच कम और झूठ की मात्रा बहुत ज्यादा है. वायरल होने वाली रिदम से 'इंडिया टुडे' ने सवाल किया कि उसकी ऐसी ड्रेस पहनने की कहानी क्या है. साथ ही वो समाज की नजरों और प्रतिक्रयाओं से कैसे डील करती है.
सवालों पर अपना पक्ष रखते हुए रिदम ने कहा कि, 'मैं क्या पहनूं क्या नहीं इसकी मुझे आजादी है. मैं यह किसी पब्लिसिटी स्टंट के लिए या प्रसिद्ध होने के लिए नहीं कर रही हूं. मुझे परवाह नहीं है कि लोग क्या कहते हैं. उर्फी जावेद से तुलना किये जाने पर रिदम ने ये कहकर पल्ला झाड़ने की कोशिश की कि वह उर्फी जावेद से बिलकुल भी प्रेरित नहीं हूं. दिल्ली मेट्रो गर्ल ने ये भी कहा कि मुझे यह भी नहीं पता था कि वह (उर्फी जावेद )कौन थी.'
चनाना ने ये भी बताया है कि उसके परिवार के सदस्य उसकी पसंद से काफी नाखुश हैं और उसे अपने पड़ोसियों से नियमित रूप से धमकियां मिलती हैं. लेकिन उसे इस बात की परवाह नहीं है कि लोग उसके बारे में क्या सोचते हैं. भले ही अपने ऊपर लगे आरोपों पर रिदम ने सफाई दे दी हो लेकिन उसकी बातें झूठी इसलिए हैं क्योंकि उन्होंने जो भी किया वो सोशल मीडिया पर फॉलोवर जुटाने के लिए किया.
रिदम बीते कई हफ़्तों से इंस्टाग्राम पर अतरंगे कपड़ों में फोटो शेयर कर रही थी लेकिन क्योंकि वो एक साधारण लड़की थी और उसे कोई जानता नहीं था इसलिए तब वो अपने मकसद में कामयाब नहीं हुई. बाद में वो इन्हीं कपड़ों में मेट्रो में यात्रा करने निकली. इसका नतीजा ये निकला कि उसका वीडियो वायरल हुआ. वो सुर्ख़ियों में आई और महज कुछ घंटों में इंस्टाग्राम पर उसके फॉलोवर्स की संख्या 565 से 9 हजार का आंकड़ा पार कर गयी है और हर बीतते लम्हें के साथ इसमें इजाफा हो रहा है. कह सकते हैं कि जिस सोच को ध्यान में रखकर रिदम ने सुर्खियां पाई वो कामयाब हुई.
रिदम की ड्रेस अश्लीलता की पराकाष्ठा है इसलिए वीडियो सामने आने के बाद डीएमआरसी ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है और बयान जारी किया है. जब इस बारे में रिदम को बताया गया तो अपनी बातों से उसने डीएमआरसी को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की. रिदम के अनुसार दिल्ली मेट्रो की ट्रेनों के अंदर वीडियोग्राफी नहीं करने की पॉलिसी है. “यह अजीब है कि डीएमआरसी अब मेट्रो के अंदर वीडियोग्राफी नहीं करने के अपने नियम को भूल गई है. अगर उन्हें मेरे पहनावे से दिक्कत है तो उन्हें इसे शूट करने वालों से भी दिक्कत होनी चाहिए.
कपड़ों पर रिदम ने दिए हैं अजीबोगरीब तर्क
चूंकि रिदम के कपड़ों को देखकर एक बड़ा वर्ग है जो संस्कृति की दुहाई दे रहा है इसपर अपना पक्ष रखते हुए रिदम ने कहा है कि ये चॉइस कोई एक दिन में नहीं आई. ये एक पूरी प्रक्रिया है. वहीं उसने ये भी कि मैं भी एक रूढ़िवादी परिवार से ताल्लुक रखती हूं जहां मुझे वह करने की इजाजत नहीं थी जो मैं चाहती थी इसलिए एक दिन मैंने फैसला किया कि मैं वही करूंगी जो मैं चाहती हूं. इसके पीछे रिदम का तर्क वही है जो आज के माहौल में बहुत कॉमन है. रिदम का फंडा भी वही है कि My Life, My Rule.
तो क्या झूठी है दिल्ली मेट्रो गर्ल?
वायरल वीडियो पर रिदम का तर्क है कि भले ही वीडियो आज वायरल हुआ है लेकिन मैं कई महीनों से ऐसे कपडे पहन कर यात्रा कर रही हूं. वहीं उसने ये भी बताया कि मुझे दिल्ली की पिंक लाइन पर यात्रा करने की अनुमति नहीं दी गई है, लेकिन किसी भी अन्य लाइन पर मुझे इस तरह की समस्या का सामना नहीं करना पड़ा है. ये स्टेटमेंट झूठ इसलिए है कि रिदम का वीडियो आज सामने आया है. दौर क्योंकि सोशल मीडिया का है इसलिए अगर इस तरह के कपड़ों में रिदम पहले बाहर निकली होती तो और कुछ होता न होता उसका वीडियो पहले ही बहार आ जाता. वहीं जब सुरक्षा को लेकर सवाल हुआ तो उसने ये भी बताया है कि, 'मैंने ऐसी किसी समस्या का सामना नहीं किया और जब भी छेड़खानी हुई मैंने उन्हें नजरंदाज किया.
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