भगवान राम ने भले ही शबरी के चखे हुए बेर खा लिए थे, लेकिन इस पापी दुनिया में कोई राम नहीं है. हम और आप जैसे सामान्य लोग चखा हुआ खाना या झूठा खाना तो बर्दाश्त ही नहीं कर सकते. लेकिन तब क्या किया जाए जब आपका डिलिवरी बॉय ही शबरी बन बैठे?
ट्विटर पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. वीडियो में खाना डिलिवर करने वाले ऑनलाइन एप ज़ोमैटो के डिलिवरी बॉय को देख लीजिए. शुरुआत में आपको यही लगेगा कि कोई डिलिवरी बॉय खाना खा रहा है. लेकिन जैसे-जैसे वीडियो आगे बढ़ेगा आप समझ जाएंगे कि वो सिर्फ अपनी भूख ही नहीं मिटा रहा है बल्कि कस्टमर को बेवकूफ भी बना रहा है. ये वीडियो शायद आपका हाजमा खराब कर दे.
देखिए किस तरह खाना खाया, उसे फैलाकर एकसार कर दिया, फिर उसे अच्छे से पैक किया और फिर सील भी किया. और कस्टमर को लगा फ्रेश खाना डिलिवर हुआ है. देखा कैसे एक डिलिवरी बॉय आम आदमी के लिए शबरी बन गया. लेकिन यहां राम है कौन? हम बहुत सामान्य लोग हैं जिन्होंने अपनी सहूलियत के लिए और अपनी चटोरी जुबान को शांत करने के बेहद सुलभ साधन अपना रखा है, और वो है खाना ऑर्डर करना. और हम जैसे लोगों की ही बदौलत आज स्वीगी और ज़ोमेटो जैसे ऑनलाइन एप्पस की भी दुकान चल निकली है. बड़े शहरों में तो एप से खाना मंगवाना बहुत आम है. लेकिन इस वीडियो ने कहीं न कहीं इन एप्स की सच्चाई सामने ला दी है.
हालांकि ट्विटर पर लोग इसे लेकर बहुत चिंतित दिख रहे हैं. ज़ोमेटो को गालियां दे रहे हैं, कि भइया पैसे तो इतने लेते हो, लेकिन खाने की स्वच्छता की गारंटी...
भगवान राम ने भले ही शबरी के चखे हुए बेर खा लिए थे, लेकिन इस पापी दुनिया में कोई राम नहीं है. हम और आप जैसे सामान्य लोग चखा हुआ खाना या झूठा खाना तो बर्दाश्त ही नहीं कर सकते. लेकिन तब क्या किया जाए जब आपका डिलिवरी बॉय ही शबरी बन बैठे?
ट्विटर पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. वीडियो में खाना डिलिवर करने वाले ऑनलाइन एप ज़ोमैटो के डिलिवरी बॉय को देख लीजिए. शुरुआत में आपको यही लगेगा कि कोई डिलिवरी बॉय खाना खा रहा है. लेकिन जैसे-जैसे वीडियो आगे बढ़ेगा आप समझ जाएंगे कि वो सिर्फ अपनी भूख ही नहीं मिटा रहा है बल्कि कस्टमर को बेवकूफ भी बना रहा है. ये वीडियो शायद आपका हाजमा खराब कर दे.
देखिए किस तरह खाना खाया, उसे फैलाकर एकसार कर दिया, फिर उसे अच्छे से पैक किया और फिर सील भी किया. और कस्टमर को लगा फ्रेश खाना डिलिवर हुआ है. देखा कैसे एक डिलिवरी बॉय आम आदमी के लिए शबरी बन गया. लेकिन यहां राम है कौन? हम बहुत सामान्य लोग हैं जिन्होंने अपनी सहूलियत के लिए और अपनी चटोरी जुबान को शांत करने के बेहद सुलभ साधन अपना रखा है, और वो है खाना ऑर्डर करना. और हम जैसे लोगों की ही बदौलत आज स्वीगी और ज़ोमेटो जैसे ऑनलाइन एप्पस की भी दुकान चल निकली है. बड़े शहरों में तो एप से खाना मंगवाना बहुत आम है. लेकिन इस वीडियो ने कहीं न कहीं इन एप्स की सच्चाई सामने ला दी है.
हालांकि ट्विटर पर लोग इसे लेकर बहुत चिंतित दिख रहे हैं. ज़ोमेटो को गालियां दे रहे हैं, कि भइया पैसे तो इतने लेते हो, लेकिन खाने की स्वच्छता की गारंटी का क्या? वहीं लोग ये भी कह रहे हैं कि अब ज़ोमैटो से कभी खाना नहीं मंगवाएंगे.
तो सुनो चटोरों...जोमैटो से नहीं मंगवाओगे तो किसी और से मंगवाओगे, वहां के डिलिवरी बॉय की गारंटी मिलेगी? और रही बात स्वच्छता की तो रेस्टोरेंट के रसोइयों पर कितना भरोसा करते हो?
ये जमाना है कैमरों का और यूं समझिए कि किस्मत खराब थी बेचारे की, वरना तो हम सभी पापी हैं. थोड़ा उस डिलिवरी बॉय के बारे में भी सोचते हैं तो लगता है कि भूख लगी होगी बेचारे को, वरना अपने काम के साथ कोई क्यों बेइमानी करेगा. और भूख न भी लगी हो, तो अच्छा खाना पास में होकर भी भला किसका मन नहीं ललचता. एक डिलिवरी पर 35 से 40 रुपए पाने वाले डिलिवरी बॉय कहां रेस्त्रां का महंगा खाना खा पाते होंगे. स्वाभाविक है, उसने भी यही सोचा होगा कि किसी को क्या पता चलेगा... लेकिन पकड़ में आ गया. मामला मदुरई का था. और इस डिलिवरी बॉय को ज़ोमैटो ने नौकरी से निकाल दिया है.
पर ज़ोमैटो पर गुस्साने वालों, करीब दो महीने पहले का ये वीडियो देख लीजिए, ये भारत का नहीं है, ऑस्ट्रेलिया का है और एप है उबर. यहां भी डिलिवरी मैन खाने की खुशबू से मजबूर हो गया, और उसने ये भी नहीं देखा कि वो कहां खड़ा है. घर के बाहर ही उसने एक पीस निकाला और खा गया और हाथ पोंछ लिए अपनी पैंट से.
अब किसे दोष दें, खाना डिलिवर करने वाले सभी ऑनलाइन एप और डिलिवरी बॉयज़ का यही हाल है. हालांकि इन एप्स को अगर अपनी दुकान चलानी है तो सुरक्षा पर थोड़े पैसे और खर्चने होंगे. वैसे इन वीडियो को देखकर शिक्षा तो यही मिलती है कि घर का खाना ही सबसे स्वच्छ और सबसे स्वादिष्ट होता है.
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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.