पुरुषों के बिना जीवन कैसा होगा, आप इसकी कल्पना तो नहीं कर सकते. लेकिन हां, एक खास समय के लिए पुरुषों को गायब कर देने की कल्पना तो की ही जा सकती है. लेकिन मजा उन्हें गायब करने में नहीं है, मजा वो सब कुछ करने में है जो पुरुषों की वजह से महिलाएं कर नहीं पाती हैं.
ट्विटर पर एक वायरल ट्रेंड चल पड़ा है, जिसमें महिलाएं बता रही हैं कि अगर रात में पुरुष न हों, जिससे उन्हें यौन शोषण का खतरा न हो तो वो क्या-क्या करना चाहेंगी. अमेरिका की सिविल राइट्स एक्टिविस्ट डेनियल मस्केटो ने ट्विटर पर महिलाओं से पूछा- 'अगर रात के 9 बजे पुरुषों पर कर्फ्यू लग जाए तो आप क्या करेंगी?'.
यहां पुरुषों को पूरी तरह से गायब नहीं किया गया लेकिन रात के वक्त उनके बाहर निकलने पर कर्फ्यू लगा दिया गया. जाहिर है ये कल्पना ही अपने आप में खुशी देने वाली है. सोचकर ही मन गद-गद हो उठता है कि रात को बाहर पुरुष न हों तो कितना कुछ कर सकती हैं महिलाएं. और यकीन मानिए महिलाओं ने जो उत्तर दिए वो भावुक कर देने वाले हैं.
अगर गहराई से इनकी छोटी-छोटी इच्छाओं के बारे में पढ़ेंगे तो आपकी आंखे नम हो जाएंगी. ये वो कुछ ख्वाहिशें हैं जो सिर्फ इसलिए पूरी नहीं हो पातीं कि बाहर कुछ पुरुष भी हैं, जिससे महिलाओं को खतरा है.
उदाहरण के तौर पर-
'मुझे कुछ भी करने की पूरी आजादी होगी. शहर में घूमो, बिना भय के किसी भी समय काम या पार्टी से लौटो, अब पीछे नहीं देखना पड़ेगा, काश मुझे इस तरह की आजादी मिल जाए.'
'रात को कानों में हेडफोन लगाकर स्पोर्ट्स ब्रा और शॉर्ट्स...
पुरुषों के बिना जीवन कैसा होगा, आप इसकी कल्पना तो नहीं कर सकते. लेकिन हां, एक खास समय के लिए पुरुषों को गायब कर देने की कल्पना तो की ही जा सकती है. लेकिन मजा उन्हें गायब करने में नहीं है, मजा वो सब कुछ करने में है जो पुरुषों की वजह से महिलाएं कर नहीं पाती हैं.
ट्विटर पर एक वायरल ट्रेंड चल पड़ा है, जिसमें महिलाएं बता रही हैं कि अगर रात में पुरुष न हों, जिससे उन्हें यौन शोषण का खतरा न हो तो वो क्या-क्या करना चाहेंगी. अमेरिका की सिविल राइट्स एक्टिविस्ट डेनियल मस्केटो ने ट्विटर पर महिलाओं से पूछा- 'अगर रात के 9 बजे पुरुषों पर कर्फ्यू लग जाए तो आप क्या करेंगी?'.
यहां पुरुषों को पूरी तरह से गायब नहीं किया गया लेकिन रात के वक्त उनके बाहर निकलने पर कर्फ्यू लगा दिया गया. जाहिर है ये कल्पना ही अपने आप में खुशी देने वाली है. सोचकर ही मन गद-गद हो उठता है कि रात को बाहर पुरुष न हों तो कितना कुछ कर सकती हैं महिलाएं. और यकीन मानिए महिलाओं ने जो उत्तर दिए वो भावुक कर देने वाले हैं.
अगर गहराई से इनकी छोटी-छोटी इच्छाओं के बारे में पढ़ेंगे तो आपकी आंखे नम हो जाएंगी. ये वो कुछ ख्वाहिशें हैं जो सिर्फ इसलिए पूरी नहीं हो पातीं कि बाहर कुछ पुरुष भी हैं, जिससे महिलाओं को खतरा है.
उदाहरण के तौर पर-
'मुझे कुछ भी करने की पूरी आजादी होगी. शहर में घूमो, बिना भय के किसी भी समय काम या पार्टी से लौटो, अब पीछे नहीं देखना पड़ेगा, काश मुझे इस तरह की आजादी मिल जाए.'
'रात को कानों में हेडफोन लगाकर स्पोर्ट्स ब्रा और शॉर्ट्स पहनूंगी.'
'अपनी सहेलियों के साथ नाइट आउट के लिए निकलूंगी जिसकी प्लानिंग हम सालों से कर रहे थे, लेकिन पुरुषों की वजह से कभी जा नहीं पाए.'
'रात को बीच पर बैठूंगी.'
'मैं अंधेरे में वॉक पर निकलूंगी, किसी आवाज से भी नहीं डरूंगी, बिना किसी घबराहट के कहीं जाने के बारे में सोचना ही मेरे लिए किसी ख्वाब जैसा है.'
'मेरा जीवन कितना बदल जाएगा. कितनी आजादी ! मैं हर जगह जा सकूंगी, हर जगह चल सकूंगी. गर्म रात में जब ठंडी हवाएं मुझे छुएंगी वो कितना खूबसूरत अनुभव होगा !'
'मैं सिर्फ दौड़ूंगी...मैं खूब दौड़ूंगी.'
'मैं हेडफोन लगाकर तेज संगीत सुनूंगी, पेड़ों की घनी कतारों के बीच दौड़ूंगी.'
'मेरा क्या, मेरी बेटियों की जीवन भी पूरी तरह से बदल जाएगा.'
'मैं हर जगह चलूंगी, देर रात जब शांति होगी तो खरीदारी भी करूंगी. मैं पब्लिक ट्रांसपोर्ट से जा सकूंगी और अपनी कार बेच दूंगी. और जब हम सहेलियां बाहर बीच पर होंगी और संगीत सुन रही होंगी तो हमें किसी की चिंता नहीं होगी.'
'मैं बाहर नाचूंगी, और पिऊंगी. और खुद पर ध्यान भी नहीं दूंगी. और अपनी सहेलियों के उन मैसेज का इंतजार भी नहीं करूंगी जिसमें वो कहतीं कि वो घर सही सलामत पहुंच गईं हैं.'
'मैं स्टोर जाउंगी, पार्क में घूमूंगी, मैं वहां ड्राइव करूंगी जहां रौशनी कम होती है और सितारों को देखूंगी, बार में जाऊंगी, और पीकर घर लौटूंगी, बाहर जाऊंगी तो घर पर मोबाइल छोड़ जाऊंगी, कोई चिंता ही नहीं.
'मुझे कार में बैठने के बाद कार लॉक नहीं करनी होगी, हमेशा फोन हाथ में ही रखना नहीं पड़ेगा. मैं जंगल में चलूंगी, क्योंकि रात में वो बहुत खूबसूरत लगते हैं.'
'मैं नदी के किनारे अकेले वॉक करूंगी, पूरी तरह रिलैक्स हो जाउंगी. मैं शहर की गलियों में भी घूम सकती हूं.'
'तारों के नीचे कहीं भी पैदल चल सकूंगी'.
'मैं सबसे खूबसूरत ड्रेस पहनूंगी क्योंकि तब मुझे उसे पहनने के लिए कोई नहीं टोकेगा.'
'घड़ी नहीं देखनी होगी और देरी होने की वजह से असहज नहीं होना पड़ेगा.'
ऐसी क्या बड़ी-बड़ी ख्वाहिशें हैं इन महिलाओं की, ये सिर्फ निडर होकर खुले आसमान के नीचे चलना ही तो चाहती हैं, इतना ही तो चाहती हैं कि उन्हें बार-बार ये न देखना पड़े कि कोई उनका पीछा तो नहीं कर रहा. अंधेरे में जाने से इस बात का डर न लगे कि अचानक से कोई सामने आकर उनपर टूट पड़ेगा. इतना ही कि रात के वक्त कोई उन्हें गंदी निगाहों से न देखे, और उन्हें अवसर न समझकर सिर्फ एक इंसान समझे. पर सिर्फ इसलिए कि बाहर पुरुष हैं और वो महिलाओं के साथ कुछ भी कर सकते हैं, महिलाएं अपनी जरूरत के लिए भी बाहर नहीं निकल पातीं.
इसे डर नहीं तो और क्या कहेंगे? पुरुषों के लिए ये गर्व की नहीं शर्म की बात है कि इस दुनिया में रहने वाली महिलाएं आज उन्हीं से डरती हैं. काश ये रातें, जितनी पुरुषों के लिए सुरक्षित हैं उतनी महिलाओं के लिए भी हो पातीं. लेकिन रातें तो दूर की बात है यहां तो दिन भी सुरक्षित नहीं हैं. क्या महिलाओं के लिए सुरक्षित माहौल देने के लिए पुरुषों से उम्मीद की जा सकती है या फिर महिलाओं को इसी तरह की कल्पनाएं करके खुश रहना पड़ेगा...? जवाब जो भी हो, लेकिन पुरुष अगर महिलाओं के बारे में गहराई से सोचेंगे तो सिर्फ शर्मिंदा ही होंगे.
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