Zomato की 10 मिनट में फूड डिलीवरी सर्विस, लेकिन जरा उस डिलीवरी बॉय के बारे में सोचिए जो अपनी जान जोखिम में डालकर आपके घर तक पहुंचता है, क्या उसकी जान की कोई कीमत नहीं? वे तो पहले से ही बारिश, आंधी, तूफान, तपती धूप और कड़ाके की सर्दी में आप तक खाना पहुंचाते हैं लेकिन अब..?
दरअसल, जोमैटो (Zomato) ने अपने ग्राहकों को नई सेवा देने की घोषणा की है. जिसके तहत गरमा-गरम खाना महज 10 मिनट में आपके घर पहुंच जाएगा. इस घोषणा के बाद ही सोशल मीडिया पर बवाल मच गया. जोमैटो के इस फैसले को लेकर सोशल मीडिया पर लोग दो हिस्सों में बट गए हैं.
एक वर्ग के लिए यह खुशखबरी है. वे उत्साहित हैं कि, अब उनका भोजन कुछ ही समय में उन्हें मिल जाएगा. वहीं दूसरा वर्ग डिलीवरी बॉय की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं, इसलिए वे इस फैसले का विरोध कर रहे हैं.
एक तरफ लोग इसे राहत भरी खबर बता रहे हैं, वहीं कई का मानना है कि इस तरह के फैसले की क्या जरूरत थी? 10 मिनट डिलीवरी का असर तो उसके ऊपर होगा जो हमारे घरों तक खाना लेकर आएगा. उसके ऊपर किस तरह का दबाव रहेगा? रोड पर आखिर वह किस स्पीड में बाइक चलाएगा? क्या सड़क पर चलने वाले दूसरे लोगों को खतरी नहीं होगा? आखिर 10 मिनट में ऐसा क्या बन बन जाएगा और आप तक पहुंच जाएगा? विरोध करने वाले लोगों का मानना है कि, सड़क पर किस तरह का गंदा रस रहता है, यह सभी जानते हैं. तो क्या कुछ मिनट के लिए किसी की जिंदगी को खतरे में डालना सही है? माना कि इसके बदले उन्हें पैसे मिलते हैं. नौकरी करना सबकी जरूरत है लेकिन इसके लिए किसी को मजबूर करना कहां से सही है?
दरअसल, फाउंडर दीपिंदर गोयल ने एक ब्लॉग के जरिए इस बात की...
Zomato की 10 मिनट में फूड डिलीवरी सर्विस, लेकिन जरा उस डिलीवरी बॉय के बारे में सोचिए जो अपनी जान जोखिम में डालकर आपके घर तक पहुंचता है, क्या उसकी जान की कोई कीमत नहीं? वे तो पहले से ही बारिश, आंधी, तूफान, तपती धूप और कड़ाके की सर्दी में आप तक खाना पहुंचाते हैं लेकिन अब..?
दरअसल, जोमैटो (Zomato) ने अपने ग्राहकों को नई सेवा देने की घोषणा की है. जिसके तहत गरमा-गरम खाना महज 10 मिनट में आपके घर पहुंच जाएगा. इस घोषणा के बाद ही सोशल मीडिया पर बवाल मच गया. जोमैटो के इस फैसले को लेकर सोशल मीडिया पर लोग दो हिस्सों में बट गए हैं.
एक वर्ग के लिए यह खुशखबरी है. वे उत्साहित हैं कि, अब उनका भोजन कुछ ही समय में उन्हें मिल जाएगा. वहीं दूसरा वर्ग डिलीवरी बॉय की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं, इसलिए वे इस फैसले का विरोध कर रहे हैं.
एक तरफ लोग इसे राहत भरी खबर बता रहे हैं, वहीं कई का मानना है कि इस तरह के फैसले की क्या जरूरत थी? 10 मिनट डिलीवरी का असर तो उसके ऊपर होगा जो हमारे घरों तक खाना लेकर आएगा. उसके ऊपर किस तरह का दबाव रहेगा? रोड पर आखिर वह किस स्पीड में बाइक चलाएगा? क्या सड़क पर चलने वाले दूसरे लोगों को खतरी नहीं होगा? आखिर 10 मिनट में ऐसा क्या बन बन जाएगा और आप तक पहुंच जाएगा? विरोध करने वाले लोगों का मानना है कि, सड़क पर किस तरह का गंदा रस रहता है, यह सभी जानते हैं. तो क्या कुछ मिनट के लिए किसी की जिंदगी को खतरे में डालना सही है? माना कि इसके बदले उन्हें पैसे मिलते हैं. नौकरी करना सबकी जरूरत है लेकिन इसके लिए किसी को मजबूर करना कहां से सही है?
दरअसल, फाउंडर दीपिंदर गोयल ने एक ब्लॉग के जरिए इस बात की जानकारी दी है. उन्होंने लिखा है कि 'मुझे लगने लगा था कि जोमैटो का 30 मिनट की डिलीवरी का औसत समय धीमा है. यह जल्द ही ट्रेंड से बाहर हो जाएगा. अगर हम इसे नहीं बदलते हैं तो कोईल और ये काम करेगा. टेक इंडस्ट्री में बने रहने का सिर्फ एक ही तरीका है इनोवेशन करना और आगे बढ़ना है. इसलिए अब हम अपने 10 मिनट फूड डिलवरी ऑफरिंग, जोमैटो इंस्टा के साथ आ रहे हैं.'
उनका कहना है कि, हम डिलीवरी ब्वॉय पर तेजी से भोजन पहुंचाने के लिए कोई दबाव नहीं डालते हैं. न ही हम देर से भोजन पहुंचाने पर उन्हें सजा देते हैं. डिलीवरी ब्वॉय को भोजन पहुंचान के समय के बारे में सूचित नहीं किया जाता है. उनके ऊपर समय का कोई दबाव नहीं होता, इसलिए उनकी जान जोखिम में नहीं होती.'
जोमैटो के 10 मिनट डिलीवरी प्लान में नियम और शर्तें लागू हैं
लोगों ने सवाल उठाए तो गोयल ने बताया कि बड़े फिनिशिंग स्टेशनों के नेटवर्क पर जल्दी डिलीवरी करने का वादा निर्भर करेगा, जो अधिक डिमांड वाले ग्राहकों वाले इलाकों के करीब होगा. यानी डिलीवरी बॉय को रेस्ट्रों से ग्राहक तर पहुंचने में अधिक दूरी तय नहीं करनी होगी. डिलीवरी पार्टनर को अधिक दूर नहीं जाना पड़ेगा तो वे सामान्य रूप से भी गाड़ी चलाएंगे तो आराम से कस्टमर तक तय समय में ही पहुंच जाएंगे, उन्हें समय की जानकारी नहीं दी जाएगी.
10 मिनट डिलीवरी में लिमीटेड और फास्ट सेलिंग मेन रखा जाएगा. जिसे तैयार करने में 2 से 4 मिनट का समय लगेगा. रेस्त्रां से ग्राहक की औसतन दूरी 1, 2 कीलोमीटर रहेगी. डिलीवरी करने का औसतन समय 20 KMPh के हिसाब से 3 से 6 मिनट रहेगा. इसके साथ ही गोयल ने बताया कि 10 मिनट डिलीवरी सर्विस सेफ रहेगी. सभी डिलीवरी बॉय को रोड सेफ्टी को लेकर ट्रेनिंग दी जाएगी और उन्हें रोड सेफ्टी और लाइफ इंश्योरेंस भी दिया जाएगा. ब्रेड, ऑमलेट, पोहा, कॉफी, चाय, बिरयानी, मोमोज, मैगी आदि के 10 मिनट में आप तक पहुंचने की उम्मीद कर सकते हैं. 2 मिनट में मैगी तो आज तक न बनी फिर ये सारे फूड बनकर आप तक पहुंच भी जाएंगे...
इसे पढ़ने के बाद भी लोग संतुष्ट नहीं हुए क्योंकि वे जानते हैं कि डिलीवरी ब्वॉय को क्या-क्या फेस करना पड़ता है. ऊपर से रेंटिंग सिस्टम. कौस सी कंपनी अपने कर्मचारियों पर डायरेक्ट रूप से दबाव बनाती है. जोमैटो के इस फैसले को रेस्टोरेंट फेडरेशन भी सही नहीं मान रहा.
वहीं कार्ति चिदंबरम का कहना है कि 'यह बिल्कुल बेतुकी सेवा है. इससे डिलीवरी करने वालों पर बेकार का दबाव बढ़ेगा, जो ना तो कंपनी के कर्मचारी हैं ना ही उन्हें कोई फायदा या सिक्योरिटी मिलती है. उनके पास तो जोमैटो से बार्गेनिंग करने की ताकत भी नहीं है.'
इस मुद्दे को चिदंबरम ने संसद में भी उठाया था और इसे लेकर सरकार को एक चिट्ठी भी लिखी है. उनका कहना है कि वे आगे भी इस मुद्दे पर नजर बनाए रखेंगे.
देखिए सोशल मीडिया पर लोग क्या कह रहे हैं?
जोमैटो का यह फैसली खतरनाक और अनावश्यक है. यह सड़कों पर लोगों के जीवन को खतरे में डाल देगा. इसलिए इससे बचा जाना चाहिए. किसी को भी इतनी जल्दी या इतनी बेवकूफी नहीं है वह सिर्फ 10 मिनट में ही खाए.
10 मिनट में ताजा बनाकर डिलीवर हो जाएगा? डिलीवरी बॉय की जान जोखिम में क्यों डाल रहे हैं?
प्रो 30 मिनट की डिलीवरी ही ठीक थी, 20 मिनट तो ज्यादतर लोग तो व्हाट्सएप, एफबी, ट्विटर पर ही बिताएंगे.
डिलीवरी बॉय जल्दी में आ रहा होगा, सामान्य से अधिक गति से बाइक चला रहा होगा. सिर्फ चंद मिनट की देरी से किसी की जान जोखिम में क्यों डाली जाए. भले ही मुझे 10 मिनट की डिलीवरी चुनने का मौका मिले, मैं इसका चुनाव नहीं करूंगा.
10 मिनट में घर तक गरमा-गरम खाना, मैं यह बात पचा नहीं पा रहा हूं...
असल में जोमैटो वैसे भी 30 मिनट में फूड डिलीवरी करता है. डिलीवरी बॉय भी तो जॉब करते हैं लेकिन कुछ लोग उन्हें इंसान ही नहीं समझते, तो कर्मचारी तो दूर की बात है. कई लोग तो ऐसे भी हैं जो 5 मिनट की देरी भी बर्दाश्त नहीं करते और डिलीवरी बॉय की शिकायत दर्ज कर देते हैं, जैसे वह साक्षात मशीन है, बस बटन दबाया और खाना खुद चलकर आप तक पहुंच गया.
लोगों के लिए मोबाइल से डिलीवरी बॉय की खराब रेटिंग करने में मजह कुछ सेकेण्ड ही तो लगते हैं, ऐसे में 10 मिनट डिलीवरी सिस्टम में वे क्या ही करेंगे, आप अंदाजा लगा लीजिए. वैसे क्या आप जौमैटे के इस फैसले के पक्ष में हैं?
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.