क्यों मनमोहन सरकार की डबल डिजिट ग्रोथ भी छोटी है मोदी के सामने
कहा जा रहा है कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले ही मोदी सरकार की कमेटी ने कांग्रेस को अपनी तारीफ करने का एक मुद्दा दे दिया है. कुछ तो ये भी कह रहे हैं कि मोदी सरकार ने अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है.
-
Total Shares
मोदी सरकार ने जीडीपी की गणना के फार्मूला में जो बदलाव किया, उसके आधार पर पिछली सरकार के समय हुई ग्रोथ को नए सिरे से जाहिर करते हुए आंकड़े जारी किए गए हैं. इसके नतीजे में जाहिर हुआ है कि मनमोहन सरकार के कार्यकाल में डबल डिजिट ग्रोथ दर्ज की गई थी. यह समझ लेना चाहिए कि पहले 2004-05 को आधार मानकर जीडीपी का आंकलन होता था, अब 2011-12 के आधार पर हो रहा है. मनमोहन सरकार के दौर की आर्थिक नीतियों को कोसते रहे मोदी को आइना दिखाने के लिए कांग्रेस को मौका मिल गया है. सोशल मीडिया पर इसका असर दिख भी रहा है.
According to the new back series GDP data released by the Ministry of Statistics, taking 2011-12 as the base year, the Indian economy has achieved double-digit growth once in 2007-08 at 10.23 per cent and then in 2010-11 at 10.78 per cent.#DrSinghGDPkinghttps://t.co/Ecoh91PDOA
— Gujarat Congress (@INCGujarat) August 18, 2018
लेकिन तस्वीर जितनी साफ दिखती है, उतनी है नहीं. राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग द्वारा बनाई गई Committee on Real Sector Statistics ने एक आंकड़ा जारी किया है. इसके अनुसार मनमोहन सिंह के कार्यकाल में 2004-05 को आधार वर्ष मानकर जीडीपी ग्रोथ 9.6 फीसदी है. वहीं जब कमेटी ने 2011-12 को आधार वर्ष माना तो ये ग्रोथ डबल डिजिट में पहुंचकर 10.1 फीसदी हो गई.
कमेटी ने जो आंकड़ा जारी किया है, उसका ग्राफ भी देख लीजिए.
2002 से लेकर 2005 तक दुनिया में ही तेजी थी
अगर जीडीपी में हुई बढ़ोत्तरी को सिर्फ भारत के परिपेक्ष में न रखते हुए पूरी दुनिया में हुई ग्रोथ देखें, तो एक चौंकाने वाली तस्वीर सामने आएगी. दरअसल, जीडीपी की दर में ग्रोथ 2002 के बाद ही शुरू हो गई थी. बल्कि देखा जाए तो 2002 से 2003 के बीच एक तेज ग्रोथ देखी गई थी. इस दौरान न सिर्फ भारत की जीडीपी बढ़ रही थी, बल्कि चीन की जीडीपी भी तेजी से बढ़ रही थी. इतना ही नहीं, पूरी दुनिया की ओवरऑल जीडीपी भी बढ़ रही थी. दुनिया भर की जीडीपी में 2003 से लेकर 2007 तक बढ़ोत्तरी हुई, लेकिन 2007 में मंदी की मार ने सबकी ग्रोथ को एक झटके से नीचे ला पटका. अमेरिका की हालत सबसे खस्ता थी, जो 2008-09 में निगेटिव तक हो गया. आप नीचे दिए ग्राफ को देखेंगे तो ये बात भी समझ जाएंगे कि 2006-07 के दौरान हुई ग्रोथ का कारण दुनिया की अर्थव्यवस्था में आई तेजी थी, ना कि वो मनमोहन सरकार की कोशिशों का नतीजा था.
मंदी के बाद आई तेजी के पीछे सरकारी बैसाखी थी
2009-10 और 2010-11 दो ऐसे वर्ष थे, जब भारतीय अर्थव्यवस्था bail-out पैकेज के भरोसे चल रही थी. ग्लोबल मंदी से उद्योगों को उबारने के लिए सरकार ने खजाने खोल दिये थे. ऐसे में इस अवधि में दर्ज हुई ग्रोथ स्वाभाविक न होकर, सरकारी बैसाखी पर टिकी हुई थी. यही वजह रही कि 2011 में जब मनमोहन सरकार ने ये मदद बंद की तो अर्थव्यवस्था फिर गर्त में चली गई.
अब अगर भारत की तुलना में सिर्फ पड़ोसी देश चीन और भूटान के ग्राफ को एक बार देखा जाए तो ये समझ आएगा कि 2007 के दौरान ये दोनों ही पड़ोसी देश भारत से बहुत आगे थे, लेकिन भारत अब चीन और भूटान की जीडीपी ग्रोथ रेट के लगभग बराबरी पर खड़ा है. देखिए नीचे दिया ग्राफ.
अगर 2006-07 में आई तेजी के लिए कांग्रेस अपनी पीठ थपथपा रही है तो फिर 2007 के बाद आई भयानक मंदी के लिए उसे खुद को ही जिम्मेदार भी बताना चाहिए. दरअसल, वो उस दौरान आई ग्रोथ को भले ही 2004-05 को आधार वर्ष मानकर गणना की जाए या फिर 2011-12 को आधार वर्ष माना जाए, दोनों ही मामलों में कांग्रेस अपनी पीठ नहीं थपथपा सकती है. हां, जीडीपी की ग्रोथ रेट मनमोहन सरकार यानी कांग्रेस के कार्यकाल में डबल डिजिट तक पहुंची, ये रिकॉर्ड हमेशा याद रहेगा, लेकिन इसके लिए कांग्रेस नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में आई तेजी जिम्मेदार है.
मोदी सरकार ने अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली?
पीएम मोदी शुरू से ही मनमोहन सरकार की आर्थिक नीतियों को छोटा दिखाने की कोशिश करते रहे, लेकिन उनकी सरकार में इस कमेटी ने जो किया है उसने मोदी सरकार के प्रचार पर उल्टा प्रहार कर दिया है. कहा जा रहा है कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले ही मोदी सरकार की इस कमेटी ने कांग्रेस को अपनी तारीफ करने का एक मुद्दा दे दिया. कुछ तो ये भी कह रहे हैं कि मोदी सरकार ने अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली. लेकिन यहां आपको बता दें कि इन आंकड़ों से कांग्रेस का अपनी तारीफों के पुल बांधना ठीक वैसा ही है, जैसे 2014 में सत्ता में आने के बाद डीजल-पेट्रोल की कीमतें कम होने पर पीएम मोदी ने खुद को नसीबवाला बताया था और कहा था कि उनके नसीब से कीमतें कम हो रही हैं. जिस तरह उस समय कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट की वजह से डीजल-पेट्रोल सस्ते हुए थे, ठीक उसी तरह 2006-07 में जीडीपी ग्रोथ में आई तेजी वैश्विक तेजी का नतीजा थी, ना कि मनमोहन सरकार की कोशिशों का.
ये भी पढ़ें-
पाकिस्तान को 'भीख' न मांगनी पड़े, इसके लिए ये 5 काम करेंगे इमरान
कुछ तो बात होगी जो ग्वालियर के लड़के वाजपेयी को लखनऊ ने अपना लाड़ला बनाया
आपकी राय