हर बार क्यों उपद्रव की आग में खर डाल देते हैं ये नीले टिक लगे लोग !
आज जो हालात हैं उनको देखकर यही कहा जा सकता है कि किसी भी उपद्रव की स्थिति में सरकार को सबसे पहले सोशल मीडिया को नियंत्रित करने का प्रयास करना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि आधी मुसीबत की जड़ सोशल मीडिया है.
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उत्तर प्रदेश का कासगंज चर्चा में है. चर्चा का कारण गणतंत्र दिमाग पर तिरंगे को लेकर दो समुदायों में हुई भिड़ंत और उस भिड़ंत में गोली चलने से हुई एक युवक की मौत है. पुलिस का दावा है कि घटना के बाद इलाके में स्थिति को नियंत्रित कर लिया गया है और दोषियों तथा अराजक तत्वों पर कार्यवाही हो रही है. पुलिस, पीएसी, आरएएफ, एलआईयू सभी इस घटना के बाद मचे उत्पात पर खासे गंभीर नजर आ रहे हैं और प्रयासरत हैं कि कैसे जल्द से जल्द, माहौल सुरक्षा के लिहाज से अनुकूल हो जाए.
इलाके में पुलिस द्वारा तलाशी अभियान चलाया गया है. लोगों की धरपकड़ जारी है. हिंसा अलग-अलग रूपों में बदस्तूर जारी है. घटना पर नफरत और लाश की राजनीति जारी है. ऐसे में जिला प्रशासन और पुलिस लगातार दावे कर रही है कि "सबकुछ ठीक है". "सबकुछ ठीक है" से "स्थिति नियंत्रण में है" के दावों को पहली नजर में देखें तो सब "नार्मल" प्रतीत हो रहा है. मगर हकीकत और फसाने में फर्क है. सच्चाई इन दावों के ठीक विपरीत है.
जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. सोशल मीडिया पर वो वेरिफाइड अकाउंट सक्रिय हो गए हैं जो नफरत की आग में खर डाल माहौल को लगातार अशांत कर रहे हैं. कासगंज मामले पर सोशल मीडिया पर जो वेरिफाइड एकाउंट्स का रुख है उसको देखकर एक बात तो साफ है कि अभी इस मामले को और तूल दिया जाएगा. कहा जा सकता है कि उत्तर प्रदेश के कासगंज में हुई घटना के बाद सोशल मीडिया हमेशा की तरह दो वर्गों में विभाजित हो चुका है जिसमें एक वर्ग इस घटना को सही ठहरा रहा है दूसरा गलत.
सोशल मीडिया पर वेरिफाइड एकाउंट्स लिए लोगों को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि ऐसी घटनाएं लोगों के घरों में चिराग बुझा देती हैं. उन्हें बस इस बात से मतलब है कि कैसे वो घटना का पक्ष या विपक्ष लेकर ज्यादा से ज्यादा में अपने अन्दर भरा हुआ जहर उगलकर ज्यादा फॉलोवर जुटा सकें. इस मुद्दे पर दी गयी अपनी प्रतिक्रिया पर ज्यादा से ज्यादा लाइक और रिट्वीट पा सकें.
ये अपने आप में बेहद अजीब है कि, लोग सोशल मीडिया पर एक ऐसे वक़्त में भी नफरत और लाश की राजनीति करने से बाज़ नहीं आ रहे जिस वक़्त में लोग यूं ही एक दूसरे के खून के प्यासे बने हैं. सोशल मीडिया पर सक्रिय ये वेरिफाइड एकाउंट्स लगातार मॉर्फ तस्वीरों, भड़काऊ संदेशों, एक दूसरे की भावना को आहत बहुत आहत कर ललकारने वाले ट्वीट्स और फेसबुक पोस्ट से तिल से ताड़ बनाकर मामले को घिनौना रूप देने की कोशिश कर रहे हैं. कहा जा सकता है कि ये एक ऐसी कोशिश है जिसके भविष्य में परिणाम बेहद घातक और जानलेवा होंगे.
सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर कासगंज मामले के मद्देनजर "कासगंज" टाइप करिए. वहां जिन चीजों और जिन बातों पर आपकी नजर पड़ेगी वो कई मायनों में दिल देहला देने वाली हैं और हमें इस बात का एहसास कराने के लिए काफी हैं कि भले ही हमारे आस पड़ोस में "सब ठीक है" या "कुशल मंगल" है की स्थिति बनी हो मगर सोशल मीडिया पर स्थिति वैसी नहीं है. यहां लगातार ऐसे प्रयास हो रहे हैं जो न सिर्फ देश की अखंडता के लिए बड़ा खतरा है बल्कि जिनको देखकर महसूस होता है कि जब तक ये बातें नहीं हटती हम विकास से कोसों दूर हैं. कासगंज मामले पर जिन वेरिफाइड एकाउंट्स को सबसे ज्यादा लाइक और रिट्वीट मिल रहे हैं वो इस प्रकार हैं.
4th Pillar of our Democracy????#Kasganj ???? pic.twitter.com/cx26CeK0KX
— Maj Surendra Poonia (@MajorPoonia) January 28, 2018
Mughals and British imperialists also used to kill those who raised pro-India slogans, what happened in Kasganj is pretty much the same.
Then why do we celebrate Independence Day? We are still slaves of the terrorising mobs in our own country.
— Sonam Mahajan (@AsYouNotWish) January 28, 2018
#Kasganj Slogans: Bharat Mata ki Jay & Vande Mataram r cheerfully chanted by all Hindus, Jains, Buddhists, Shikhs, Christians, Jews & Jorostrians alike in India. Muslims, who r Responsible for blood bathed Partition in the name Islam, must b made 2 change their Imperial Mindset.
— DG Vanzara (@VanzaraDg) January 28, 2018
#Kasganj Country made Bombs & Pistol recovered from house of prime Accused Wasim who belongs to the Peaceful Oppressed Minority Community.
Pseudos still Silent.They won't visit #ChandanGupta's Family. He was a Hindu, a Nationalist, his Life has NO value to them.#KasganjClashes
— Jagrati Shukla (@JagratiShukla29) January 28, 2018
धार्मिक जुलूसों पर दंगों का लम्बा इतिहास है. तिरंगे पर दंगा शायद पहली बार देखा है.#कासगंज #Kasganj
— Manak Gupta (@manakgupta) January 28, 2018
Kasganj Violence: Police recovered crude bomb from Hotel Rashid, pistol from key accused Vaseem's home https://t.co/aQTt9A65nw
— Divya Kumar Soti (@DivyaSoti) January 28, 2018
Our friend, Amaresh Misra on the Kasganj violence. Do read and share. https://t.co/hZiASaTjQd
— Sanjiv Bhatt (IPS) (@sanjivbhatt) January 28, 2018
Leftists trying hard to change the narrative of Kasganj Incident & justifying murder of Chandan Gupta without any Proof. No video shows they were shouting offensive slogans. Crude bombs and Pistols recovered from the house of the main accused in Kasganj violence. What to say Now?
— Anshul Saxena (@AskAnshul) January 28, 2018
मेरा मीडिया के ठेकेदारों से सवाल है कि मृतक/पीड़ित का नाम,धर्म,जात सिर्फ तब ही क्यों बताया जाता है जब वह मुस्लिम/दलित हो और अपराधी का धर्म,जात सिर्फ तब क्यों बताते हो जब वह हिन्दू/तथाकथित उच्च जाति का हो?ये दोहरे मापदंड क्यों? है कोई जवाब?#Kasganj #Justice4Chandan #ChandanGupta pic.twitter.com/NkTsQqMc4G
— Jagrati Shukla (@JagratiShukla29) January 28, 2018
All places are equal, but a Dadri is more equal than a Kasganj! https://t.co/2orh2RJBOC
— Shefali Vaidya (@ShefVaidya) January 28, 2018
पंजीकृत अभियोगों में अब तक कुल 31 अभियुक्तों की गिरफ्तारी की जा चुकी है। 81 व्यक्तियों को निरोधात्मक कार्यवाही के अन्तर्गत गिरफ्तार किया गया है। एक व्यक्ति अभिषेक उर्फ चन्दन गुप्ता की मृत्यु हुई है। नौशाद घायल अवस्था में जिला अस्पताल में उपचार हेतु भर्ती है: UP Police on #Kasganj
— Aman Sharma (@AmanKayamHai_ET) January 28, 2018
सरकार दंगाई नेताओं के ख़िलाफ़ मुक़दमे वापिस लेने की तैयारी ना करे तो, देश, धर्म और अब तिरंगा के नाम पर नफ़रत फैलाने वालों के इतने हौसले बुलंद ना होते! #Kasganj
— Jayant Chaudhary (@jayantrld) January 28, 2018
Boys killed for saying #BharatMataKiJai at #Kasganj in INDIA!
Let this sink in! #Justice4Chandan
— Amrita Bhinder (@amritabhinder) January 28, 2018
बहरहाल इन ट्वीट्स को देखकर खुद-ब-खुद यकीन हो जाता है कि आखिर समस्या की जड़ क्या है? क्यों चीजें बिगडती हैं? कैसे तिल को ताड़ बनाकर लोगों को प्रभावित करने का काम किया जाता है. कह सकते हैं कि दंगे या किसी भी बवाल की स्थिति में सरकार को सोशल मीडिया पर भी वैसी ही कार्यवाही करनी चाहिए जैसी कार्यवाही वो उन स्थानों पर करती है जहां उपद्रव हुआ हो. अंत में बात खत्म करते हुए कहा जा सकता है कि देश का आधा माहौल उन वेरिफाइड ट्विटर एकाउंट्स ने खराब कर रखा है जिनका सिर्फ एक लक्ष्य है नफरत की राजनीति करना.
अगर सरकार इनको नियंत्रित कर ले तो चीजें उतनी खराब नहीं होंगी जितनी खराब आज वो हमारे सामने हैं. साथ ही हमें इस बात को भी समझना होगा कि हर बार दंगों की आग में खर डाल देते हैं ये नीले टिक वाले लोग. वो लोग जिनका असल मकसद सोशल मीडिया पर फॉलोवर जुटाना और सिर्फ और सिर्फ माहौल खराब करना है. अगर वक़्त रहते हमनें इनके एजेंडे को नहीं समझा तो आने वाले वक़्त में स्थिति बद से बदतर हो जाएगी.
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