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Updated: 03 जनवरी, 2018 12:24 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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यूं तो अंग्रेजों को 70 साल पहले ही देश से खदेड़ दिया गया था, लेकिन उनसे जुड़े एक मामले पर इस बार मुंबई धधक उठी है. 200 साल पहले हुई अंग्रेजों की एक जीत का जश्न कब देखते ही देखते हिंसा में बदल गया, किसी को पता ही नहीं चला. अंजाम ये हुआ कि सड़कों पर प्रदर्शन शुरू हो गए और बहुत सी गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया. इस हिंसा में एक व्यक्ति की मौत भी हो गई है. जहां एक ओर इसका कारण दलितों और दक्षिणपंथी समूह के बीच हुआ विवाद बताया जा रहा है वहीं इसका एक दूसरा पहलू भी है. इस हिंसा को सीधे-सीधे राजनीति से जोड़ते हुए दलितों की तरफ से भाजपा पर निशाना साधा रहा है.

दलित, पुणे, मुंबई, हिंसा200 साल पहले हुई अंग्रेजों की एक जीत का जश्न कब देखते ही देखते हिंसा में बदल गया, किसी को पता ही नहीं चला.

ये हैं सियासी साजिश के संकेत !

जिस कार्यक्रम की वजह से मुंबई में हिंसा फैल गई है, उसमें दलित नेता और हाल ही में गुजरात विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करते हुए विधायक चुने गए जिग्नेश मेवानी भी शामिल थे. उनके अलावा कार्यक्रम में जेएनयू छात्र नेता उमर खालिद, रोहित वेमुला की मां राधिका, भीम आर्मी अध्यक्ष विनय रतन सिंह और पूर्व सांसद और डॉ. भीमराव अंबेडकर के पौत्र प्रकाश अंबेडकर भी शामिल थे. ये सभी लोग दलितों और दूसरे पक्ष के बीच पैदा हुए विवाद से फैली हिंसा के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. उनके ओर से भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं.

आखिर क्यों मनाया जा रहा था ये जश्न?

दरअसल, 1 जनवरी 1818 को पुणे जिले में भीमा-कोरेगांव की लड़ाई में अंग्रेजों ने पेशवा बाजीराव द्वितीय को हराया था. उस वक्त दलितों को अछूत माना जाता था. अंग्रेजों की ओर से बहुत से दलितों ने भी इस लड़ाई में हिस्सा लिया था. इसे लेकर ही हर साल दलित लोग युद्ध स्मारक पर इस जीत का जश्न मनाते हैं. इस साल भी वह जश्न मना रहे थे, लेकिन अचानक कब स्थिति बिगड़ गई, पता ही नहीं चला. इस हिंसा पर शरद पवार ने कहा- 'वहां पर लोग 200 साल से जा रहे थे और जश्न मना रहे थे. 200वीं सालगिरह पर कुछ ज्यादा लोग जमा होंगे, इसकी भी उम्मीद थी. इस मामले पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है.' यहां एक सवाल यह उठता है कि जब पिछले 200 साल से ऐसा हो रहा था, तो इस बार राज्य सरकार ने पुख्ता इंतजाम क्यों नहीं किए थे?

आग की तरह फैली हिंसा

पुणे से शुरू हुई हिंसा का असर मुंबई के उपनगरों थाणे, चेंबूर, मुलुंद तक हुआ, जहां पर लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं. इस हिंसा में 25 से अधिक गाड़ियां जला दी गईं, जबकि करीब 50 गाड़ियों के साथ तोड़-फोड़ की गई. हिंसा में एक व्यक्ति की मौत भी हो गई है. मुंबई के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले की सीआईडी जांच कराने की बात भी कही है.

इस हिंसा का असर कितना बड़ा है इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि कई इलाकों में मोबाइल सेवाएं बंद कर दी गई हैं, ताकि किसी तरह के भड़काऊ मैसेज सोशल मीडिया पर वायरल न किए जा सकें. कई जगह धारा 144 भी लगाई गई. मुंबई पुलिस ने ट्विटर के जरिए लोगों से अपील की है कि किसी भी तरह का मैसेज या तस्वीर बिना सोचे-समझे पोस्ट न करें. पहले उसकी सच्चाई जानने के लिए किसी पुलिस अधिकारी से संपर्क जरूर करें.

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