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सियासत
| बड़ा आर्टिकल
अशोक भाटिया
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जातिगत प्रभाव कितना हावी है?
मौजूदा सरकार में यूं तो सीएम भाजपा के हैं लेकिन पार्टी येदिरुप्पा वाले लिंगायत प्रभाव से आगे बढ़ना चाहती है. जिसको लेकर हाल ही में पार्टी ने आरक्षण का कार्ड भी खेला है. दूसरी ओर कांग्रेस इस तरह से चुनावों को सुनहरे मौके के रूप में देख रही है कि किसी तरह जनता की नाराजगी को अपनी जीत में तब्दील कर लिया जाए.
समाज
| बड़ा आर्टिकल
कौशलेंद्र प्रताप सिंह
@2342512585887517
ब्राह्मण एक वेद है, एक वेदांत है, ब्राह्मण एक व्याकरण है
पंडित जवाहरलाल नेहरू थे, जो जाति से ब्राह्मण थे,कर्म से ब्राह्मण थे, भारत के प्रथम सेवक थे, उस संस्थापक के हाथों नींव में पड़ी ईट पर तुम लोगों ने ब्राह्मण भगाओ देश बचाओ को लिख दिया. इस अशोभनीय कार्य के लिए सदियां उन्हे माफ नहीं करेगी.
सियासत
| 4-मिनट में पढ़ें
ज्योतिरंजन पाठक
@1374901269660665
समाज में समानता के लिए 'एक देश एक आरक्षण' व्यवस्था जरूरी है!
सुप्रीम कोर्ट के माननीय पांच जजों में तीन ने इसे संविधान के मूल ढांचों से छेड़छाड़ करने की बातों को नकार दिया है. इसके साथ ही उन्होंने बाबा साहब अंबेडकर के कथन को कोट करते हुए कहा है कि हर दस साल में आरक्षण की समीक्षा की जानी चाहिए.
ह्यूमर
| 4-मिनट में पढ़ें
देवेश त्रिपाठी
@devesh.r.tripathi
काश, टीम इंडिया में भी आरक्षण लागू होता!
भारत में अभी तक खेलों में आरक्षण (Reservation) की व्यवस्था लागू नहीं हुई है. लेकिन, दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट टीम के टीम इंडिया (Team India) के खिलाफ शानदार प्रदर्शन के बाद से ऐसा लग रहा है कि आरक्षण लागू कर ही देना चाहिए. हालांकि, इसे लागू करने में कुछ दिक्कतें भी हैं. महिलाओं को जेंडर इक्वैलिटी और 33 फीसदी आरक्षण से इतर अल्पसंख्यकों को भी टीम इंडिया में निश्चित जगह देनी पड़ेगी.
सियासत
| 3-मिनट में पढ़ें
कौशलेंद्र प्रताप सिंह
@2342512585887517
भारत का लोकतंत्र बहुत बड़ा है, इसे बड़ा बनाया भारत की महान जनता ने...
दोस्तों मैं कहूंगा कि टिकट बेचने और खरीदने वालों को वोट मत देना, शराब और साड़ी बाटने वाले,आपको बेहोश करेंगे फिर लोकतंत्र को लूटेंगे. अच्छे लोगो को वोट देना शुरू करिये, पार्टियां भी अच्छे लोगो को टिकट देंगी. वोट देने से पहले ज़रूर पूछियेगा.
सियासत
| 3-मिनट में पढ़ें
कौशलेंद्र प्रताप सिंह
@2342512585887517
चुनाव से पहले खतरे में आने वाला लोकतंत्र, उसके खत्म होते ही मजबूत कैसे हो जाता है?
रावण को हजारों साल से जला रहे हो. आखिर किसके कहने पर जला रहे हो. उन्हीं के छोटे भाई को उन्हीं के कहने पर रावण ने जो धर्म की परिभाषा का पाठ पढ़ाते हुए कहा कि शुभम अति शीघ्रम को भी पढ़ो.
समाज
| 4-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
अपराधी सिर्फ अपराधी होता है और पीड़ित एक पीड़ित तो क्या FIR में जाति और धर्म जरूरी है?
पंजाब में एफआईआर में न तो अपराधी और पीड़ित का धर्म हो न ही जाति इसे अमली जामा पहनाने के लिए एक समिति का गठन किया गया है. सवाल ये है कि क्या ये इतना ही आसान है? सवाल इसलिए क्योंकि चाहे वो अपराधी हो या पीड़ित हम उसका समर्थन या विरोध उसकी जाति और धर्म देखकर ही करते हैं.
सियासत
| 6-मिनट में पढ़ें
डॉ. फैयाज अहमद फैजी
@faizianu
पसमांदा मुसलमानों को तवज्जो मिली तो अशराफों को कितना मंजूर होगा?
इस्लामी शिक्षा के भी अनुसार साधन संपन्न मुसलमान पर ही यह जिम्मेदारी आती है कि वो अपने वंचित मुसलमान भाइयों को ऊपर लाने के लिए काम करे. लेकिन, साधन संपन्न अशराफ मुसलमान (Ashraf Muslim) इसकी जिम्मेदारी उठाना तो दूर, इसकी आवाज दबाने का पूरा प्रयास करता हुआ दिख रहा है.
सियासत
| 4-मिनट में पढ़ें
देवेश त्रिपाठी
@devesh.r.tripathi
एक बयान, और अचानक जेएनयू वीसी वामपंथियों की लाड़ली हो गईं
जेएनयू की कुलपति शांतिश्री धुलीपुड़ी पंडित (JNU VC Santishree Dhulipudi) ने एक कार्यक्रम में हिंदू धर्म के भगवानों की जाति, मनुस्मृति में महिलाओं के दर्जे और हिंदू धर्म की आलोचना करते हुए खुलकर अपनी राय रखी. और, वामपंथियों ने शांतिश्री के इस बयान को प्रचारित करना शुरू कर दिया.