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संस्कृति
| बड़ा आर्टिकल
अशोक भाटिया
झूलेलाल और हेमू कालानी, एक धर्म के लिए मशहूर हुआ, दूसरा देश की आजादी के लिए
23 मार्च 2023 को झूलेलाल जी की जयंती है. इस दिन को सिंधी समाज के लोग चेटीचंड उत्सव के रूप में मनाते हैं. इस दिन वे अपने आराध्य देव झूले लाल को याद करते हैं. कोई इन्हें संत कहता है तो कोई फकीर, जो भी हो हिन्दू मुस्लिम दोनों इन्हें मानते हैं. यह सिन्धी समाज के ब्रह्मा, विष्णु, महेश, ईश्वर, अल्लाह से भी बढ़कर हैं. इसी दिन महान स्वतंत्रता सेनानी हेमू कालानी का भी जन्म दिन है.
सियासत
| 5-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
'ऐ वतन मेरे वतन' से सारा हिट होती हैं या नहीं बात बाद में, लेकिन फिल्म की कहानी हिट है!
प्राइम वीडियो ने अपकमिंग अमेज़न ऑरिजिनल मूवी, 'ऐ वतन मेरे वतन’ का फर्स्ट-लुक टीजर लांच किया है. फिल्म सच्ची घटनाओं पर आधारित है और हमें उस दौर में ले जाती है जब देश आजाद हो रहा था. फिल्म में सारा महान स्वतंत्रता सेनानी उषा मेहता के रोल में हैं.
सियासत
| 6-मिनट में पढ़ें
लोकेन्द्र सिंह राजपूत
@5745259062180641
वीर सावरकर पर सवाल उठाने से पहले जान लीजिये, वे थे कौन...
जब वीर सावरकर को लेकर अनेक प्रकार के प्रश्न उठाए जा रहे हैं, तब उनके बचपन से किशोर अवस्था तक की यह कहानी जरूर पढ़ लेनी चाहिए. उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए उस समय प्रतिज्ञा कर ली थी, जब बच्चे खिलौना से खेलने में मस्त रहते हैं.
समाज
| 6-मिनट में पढ़ें
मुकेश कुमार गजेंद्र
@mukesh.k.gajendra
मिलिए डॉ. सीमा राव से, भारतीय सेना के कमांडो को फ्री ट्रेनिंग देने वाली 'वंडर वुमन'!
देश की पहली महिला कमांडो ट्रेनर डॉ. सीमा राव की कामयाबी की दास्तान जितनी दिलचस्प है, उतनी ही प्रेरक भी है. देश के तीनों सेनाओं जल, थल और नभ के जवानों को कमांडो ट्रेनिंग देने वाली सीमा राव अपनी सेवा के बदले कोई फीस या सैलरी नहीं लेती हैं. उनके साथ पति दीपक राव और बेटी कोमल राव कंधे से कंधा मिलाकर खड़े नजर आते हैं.
समाज
| 5-मिनट में पढ़ें
आर.के.सिन्हा
@RKSinha.Official
पहली जंगे आजादी पर गालिब की चुप्पी की वजह!
11 मई 1857 को देश की पहली जंगे आजादी (Freedom Struggle) का श्रीगेणश हुआ था. उस दिन दिल्ली (Delhi) पर बागियों ने हल्ला बोला था. तब उर्दू के शिखर शायर गालिब (Ghalib) दिल्ली में थे. हमारे सामने बड़ा सवाल यही है कि वे पहली जंगे आजादी पर कमोबेश चुप क्यों रहे?
सियासत
| 7-मिनट में पढ़ें
विकास कुमार
@100001236399554
सावरकर हीरो या विलेन? तय करने से पहले पढ़ लीजिए...
वीर सावरकर ने भारत की आजादी के लिए अपार कुर्बानियों दी. लेकिन इसके बावजूद उन्हें आजाद भारत में वो स्वीकार्यता नहीं मिल पाई जिसका वो हकदार थे. उनकी तमाम कुर्बानियां कथित विचारधाराओं की भेंट चढ़ गई.
समाज
| 5-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
'तिरंगा' बनाने वाले पिंगली ने शायद ही सोचा हो, देश ऐसे भी बंटेगा?
देश के लिए पिंगली वेंकैया के योगदान को आज शायद ही वो लोग समझ पाएं जो भाषा से लेकर झंडे तक हर उस मुद्दे को लेकर लड़ रहे हैं जिससे देश को नुकसान होता है.
समाज
| 3-मिनट में पढ़ें
आनंद कुमार
@anandydr
प्रीतिलता वादेदार : जिन्होंने अंग्रेजों को याद दिलाई उनकी असली औकात
अक्सर ही हम सुनते हैं कि आजादी के लिए इस देश को भारी कीमत चुकानी पड़ी है. तो इसी क्रम में मिलिए उस महिला से जिसने न सिर्फ देश के लिए हंसते-हंसते अपनी जान दी बल्कि अंग्रेजों को लोहे के चने चबवाए.
समाज
| 7-मिनट में पढ़ें
आशीष वशिष्ठ
@drashishv
लाल किले पर पहला तिरंगा जनरल शाहनवाज खान ने ही फहराया था
आजाद हिन्दुस्तान में लाल किले पर ब्रिटिश हुकूमत का झंडा उतारकर तिरंगा लहराने वाले जनरल शाहनवाज ही थे. देश के पहले तीन प्रधानमंत्रियों ने लालकिले से जनरल शाहनवाज का जिक्र करते हुए संबोधन की शुरुआत की थी.