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सियासत
| 7-मिनट में पढ़ें
अनु रॉय
@anu.roy.31
भारत जोड़ो यात्रा से सिर्फ राहुल गांधी को फायदा हुआ है, बाकी सब भूल जाइये
भारत जोड़ो यात्रा तो ख़त्म हो गई है लेकिन वो सवालों का जवाब नहीं, सवालों का पहाड़ छोड़ कर गई है. हां इन सवालों के ढेर के बावजूद अगर इस यात्रा से किसी को लाभ हुआ है तो वो सिर्फ़ और सिर्फ़ राहुल गांधी का हुआ है. पप्पू वाली इमेज टूटी है.
सियासत
| 7-मिनट में पढ़ें
जावेद अनीस
Rahul Gandhi: वर्तमान में भारतीय राजनीति के दारा शिकोह
राहुल गांधी अपनी बहुचर्चित 'भारत जोड़ो यात्रा’ के माध्यम से पहली बार खुद को इतने प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत करने में कामयाब हुये हैं. जैसा उनका वर्तमान स्वरूप है, वे बंधुतत्व के ब्रांड एम्बेसडर के रूप में उभरे हैं.
समाज
| 3-मिनट में पढ़ें
देवेश त्रिपाठी
@devesh.r.tripathi
देश की इतनी 'गौरवशाली' यूनिवर्सिटी JNU में ब्राह्मणों के खिलाफ इतना जहर!
वामपंथी विचारधारा का गढ़ कहे जाने वाले जेएनयू (JNU) में सिर्फ सवर्णों से ही घृणा (Anti Brahmin Slogans) नहीं, स्त्रियों को पुरुषों से नफरत करना, मूल निवासियों के नाम पर लोगों के बीच भेदभाव करना, हिंदू धर्म को हिकारत की नजर से देखना, अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर हिंदू देवी-देवताओं के अपमान के तरीके, संवैधानिक अधिकारों के नाम पर देश विरोधी बातों को तर्कसम्मत घोषित करना सिखाया जाता है.
सोशल मीडिया
| 4-मिनट में पढ़ें
देवेश त्रिपाठी
@devesh.r.tripathi
'कनाडा कुमार' से देशभक्ति का पाठ पढ़कर तिलमिला गए 'जागरूक देशभक्त'!
भारतीय सेना (Indian Army) के खिलाफ ऋचा चड्ढा (Richa Chadha) के मानसिक दिवालियेपन का बचाव करने के लिए वोक कम्युनिटी (Woke) के लिबरल तब तक आगे नहीं आए. जब तक ऋचा की आलोचना भारतीय सेना के ही अधिकारी और जवान कर रहे थे. लेकिन, जैसे ही बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार (Akshay Kumar) ने ट्वीट किया. ये लिबरल मधुमक्खियों की तरह उन पर टूट पड़े.
स्पोर्ट्स
| 5-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
भारत के खिलाफ क्रिकेट को 'जिहाद' मानने वाला पाकिस्तान है, अफरीदी बताएं नफरत बोई किसने?
मोहम्मद शमी पर नैतिक ज्ञान के छींटे मारने वाले शाहिद अफरीदी बताएं कि नफरत को बोया किसने? शुरुआत उनके देश ने की थी और उसका लंबा इतिहास रहा है. जवाब तो मिलेगा ही.
ह्यूमर
| 4-मिनट में पढ़ें
नवेद शिकोह
@naved.shikoh
साम्प्रदायिक दंगे सौहार्द बनाते हैं, एकता भी स्थापित करते हैं!
दंगे साम्प्रदायिक सौहार्द बढ़ाते है. जब हिंदू-मुस्लिम दंगे होते हैं तो हिन्दू समाज में जातियों के भेद समाप्त हो जाते हैं. आपस में एकता स्थापित हो जाती है. हिन्दू जाग जाता है और एक हो जाता है. इसी तरह हिंदू-मुस्लिम तनाव के बीच मुस्लिम समाज में मसलकों के बीच दूरियां मिट जाती हैं.शिया-सुन्नी मतभेदों पर विराम लग जाता है.
ह्यूमर
| 4-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
फारूक अब्दुल्ला को शिवसेना का समर्थन ही कयामत से पहले ही तस्वीर है !
जम्मू कश्मीर में राहुल भट्ट की हत्या के बाद कश्मीरी पंडितों की हत्या का मुद्दा फिर गरमाया है जिसपर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने अपना पक्ष रखा है. दिलचस्प ये रहा कि उनकी बातों को शिवसेना ने अपना समर्थन दिया है.वही शिवसेना जो कुछ साल पहले तक फारूक और उनकी नीतियों की धुरविरोधी थी.
समाज
| 4-मिनट में पढ़ें
पल्लवी विनोद
@pallavi.vinod1
Hindu-Muslim hatred: इंसान को ज़िंदा रहने के लिए धर्म नहीं, इंसान की ज़रूरत है
धर्म की लड़ाई लड़वाने में जिसका फ़ायदा हो उसे करने दीजिए आप उन बातों और इंसान के बीच ऐसी मज़बूत दीवार बन जाइए जिससे टकराकर हर पत्थर टूट जाए क्योंकि इंसान की जान से क़ीमती कुछ भी नहीं है और इंसान को ज़िंदा रहने के लिए धर्म नहीं इंसान की ज़रूरत है.
सियासत
| 6-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
शायर अच्छे थे मुनव्वर राणा, भाजपा-योगी विरोध ने उम्र भर का मुसाफिर बना दिया!
2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले, शायर मुनव्वर राना ने एक बार फिर भाजपा और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ आग उगली है. मां पर अपनी शायरी के लिए मशहूर मुनव्वर राना ने कहा कि अगर सीएम योगी आदित्यनाथ फिर से मुख्यमंत्री चुने गए तो वह राज्य से पलायन करेंगे.