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संस्कृति
| बड़ा आर्टिकल
अशोक भाटिया
झूलेलाल और हेमू कालानी, एक धर्म के लिए मशहूर हुआ, दूसरा देश की आजादी के लिए
23 मार्च 2023 को झूलेलाल जी की जयंती है. इस दिन को सिंधी समाज के लोग चेटीचंड उत्सव के रूप में मनाते हैं. इस दिन वे अपने आराध्य देव झूले लाल को याद करते हैं. कोई इन्हें संत कहता है तो कोई फकीर, जो भी हो हिन्दू मुस्लिम दोनों इन्हें मानते हैं. यह सिन्धी समाज के ब्रह्मा, विष्णु, महेश, ईश्वर, अल्लाह से भी बढ़कर हैं. इसी दिन महान स्वतंत्रता सेनानी हेमू कालानी का भी जन्म दिन है.
समाज
| 5-मिनट में पढ़ें
prakash kumar jain
@prakash.jain.5688
नैरेटिव जो भी हो, लेकिन देश तो बदला है और जबर्दस्त बदला है
प्रथम दृष्टया किसी को अपने विचारों के लिए जेल में नहीं डाला जाना चाहिए, न उस पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए; खासकर उन विचारों के लिए जो केवल सोशल मीडिया पर जाहिर किए गए हों. हम एक जीवंत लोकतंत्र के बाशिंदे हैं, यदि कट्टर हैं भी तो चमड़ी मोटी होनी चाहिए.
समाज
| 2-मिनट में पढ़ें
shambhavi iksha
''बोलने का अधिकार मिला है, इसका मतलब ये नहीं कि कुछ भी बोलेंगे''
Freedom of Speech and Expression: विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए इस्तेमाल करना चाहिए. लेकिन हाल के दिनों में हमने अपने लाभ के लिए बोलने के अधिकार के दुरुपयोग के कई मामले देखे हैं. वे इसका उपयोग सोशल मीडिया की आड़ में असहिष्णुता फैलाने वाले भद्दे कमेंट किये के लिए कर रहे हैं.
समाज
| 4-मिनट में पढ़ें
लोकेन्द्र सिंह राजपूत
@5745259062180641
हंगामाखेज नहीं, समाधानमूलक हो लोकतंत्र का चौथा स्तंभ
The Fourth Pillar of Democracy: संचार का उद्देश्य समस्याओं का समाधान देना रहा है. संचार क्षेत्र के अधिष्ठाता देवर्षि नारद की संचार प्रक्रिया एवं सिद्धांतों को जब हम शोध की दृष्टि से देखते हैं तब भी हमें यही ध्यान आता है कि उनका कोई भी संवाद सिर्फ कलह पैदा करने के लिए नहीं था.
समाज
| 4-मिनट में पढ़ें
आयुष कुमार अग्रवाल
@100006809583831
कभी आजादी का केंद्र मगर अब गुमनाम होने की कगार पर है गढ़वाल की सबसे पुरानी मंडी दुगड्डा!
किसी ज़माने में उत्तराखंड में कोटद्वार के पास स्थित दुगड्डा, अपने विशेष ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता था और किसी परिचय का मोहताज नहीं था. लेकिन जैसे आज के हाल हैं.दुगड्डा अपनी पहचान खो रहा है और यहां के लोग पलायन को मजबूर हैं.
सियासत
| 7-मिनट में पढ़ें
अजीत कुमार मिश्रा
@ajitmishra78
Bhagat Singh की शहादत का भारत में वामपंथी शोषण
भगत सिंह वामपंथी थे या नहीं ये पूरी तरह से कहा नहीं जा सकता. लेकिन वामपंथियों को जब लगा कि भगत सिंह को अपना बना कर पेश करने में उनकी भलाई है. तो वो भगत सिंह की तस्वीरों और उनकी जीवनी को इस तरह से पेश करने लगे जैसे भगत सिंह से बड़ा देश में कोई भी क्रांतिकारी पैदा ही नहीं हुआ था.
सियासत
| 6-मिनट में पढ़ें
आर.के.सिन्हा
@RKSinha.Official
Bhagat Singh कैसे जोड़ते भारत और पाकिस्तान को?
भगत सिंह (Bhagat Singh) एक इस तरह की शख्सियत हैं जिन्हें दोनों देशों की जनता आदरभाव से देखती है. भगत सिंह भारत के तो निर्विवाद नायकों में से एक मुख्य हैं ही. वे पाकिस्तान में भी बहुत आदर के भाव से देखे जाते हैं. इस लिहाज हमें भगत सिंह के अलावा कोई दूसरी शख्सियत नहीं मिलती.
सियासत
| 7-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
बेतुके बयान: कंगना रनौत को टक्कर दे रही हैं सलमान खुर्शीद और दिग्विजय सिंह की बातें!
सही और सटीक बयानों के मुकाबले वो बयान हाथों हाथ लिए जाते हैं जो विवादित हों. ऐसे में चुनाव पूर्व विवादित बयानों की शुरुआत हो गयी है और अपने बेतुके बयानों के लिए मशहूर कंगना रनौत को सीधी टक्कर देने के लिए सलमान खुर्शीद और दिग्विजय सिंह मैदान में आ गए हैं.
सियासत
| 6-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
शहीद सुखदेव का महात्मा गांधी को लिखा पत्र कई सवाल खड़े करता है
एक पत्र सोशल मीडिया पर जंगल की आग की तरह फैल रहा है और जिसे महान क्रांतिकारी सुखदेव ने उस वक़्त लिखा था जब 5 मार्च 1931 को महात्मा गांधी और तत्कालीन वायसराय लार्ड इरविन के बीच एक पॉलिटिकल एग्रीमेंट हुआ था. सुखदेव का पत्र एक नेता के रूप में महात्मा गांधी पर सवाल खड़े करता नजर आ रहा है.