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स्पोर्ट्स
| 4-मिनट में पढ़ें
सुशोभित सक्तावत
@sushobhit.saktawat
क़तर के फीफा विश्व कप के दौरान सामने आया 'सभ्यताओं का टकराव'!
विश्व कप में फ़ुटबॉल के साथ ही 'क्लैश ऑफ़ सिविलाइज़ेशन' का भी जमकर मुज़ाहिरा हो रहा है. पश्चिमी जगत क़तर में इस्लामिक नियमों को थोपे जाने से नाराज़ है. वहीं ईरान के खिलाड़ी अपने देश के इस्लामिक शासन के खिलाफ प्रदर्शन करते हैं तो जर्मन खिलाड़ी समलैंगिकों के पक्ष में आवाज न उठा पाने पर ऐतराज जताते नजर आए.
सियासत
| 6-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
ईरान में एंटी हिजाब प्रदर्शनकारियों का मौलानाओं की पगड़ी उछालना प्रोटेस्ट का नेक्स्ट लेवल है!
ईरान में प्रदर्शकारी चाहे वो युवतियां हों या युवक. वो बेधड़क होकर मौलवियों के सिर से पगड़ी उतार रहे हैं. घटना का वीडियो बना रहे हैं. ट्विटर और इंस्टाग्राम पर ऐसे वीडियो की भरमार है, जिनमें युवा राह चलते मौलवियों और मौलानाओं को सबक सिखाने के उदेश्य से उनकी पगड़ी उछाल रहे हैं. ईरान में विरोध के इस नए रूप ने सोशल मीडिया पर एक अलग डिबेट का श्री गणेश कर दिया है.
सियासत
| बड़ा आर्टिकल
अनुज शुक्ला
@anuj4media
ईरान में हिजाब मसला है ही नहीं, असल दिक्कत तो वह है जो पाकिस्तान में बांग्लादेश को लेकर थी
ईरान में महसा अमीनी की हत्या की वजह हिजाब नहीं उसकी निजी सांस्कृतिक पहचान है. उसकी हत्या उसके नस्ल से घृणा की वजह से की गई. महसा अमीनी जिस नस्ल से आती है उसे टर्की जैसे पाखंडी प्रगतिशील देश भी इंसान का दर्जा नहीं देते. ईरान तो खैर घोषित कट्टरपंथी है. जो बीमारी ईरान में है वही पाकिस्तान में भी है.
सियासत
| 5-मिनट में पढ़ें
देवेश त्रिपाठी
@devesh.r.tripathi
हिजाब के नाम पर दुनिया में महिलाओं के साथ सिर्फ पाखंड किया जा रहा है
हिजाब (Hijab) की मांग तकरीबन सभी इस्लामिक देशों के साथ नॉन-इस्लामिक देशों में भी एक जैसी ही है. लेकिन, ये मांग पूरी तरह से देश, काल और परस्थिति पर निर्भर करती है. वैसे, भारत फिलहाल इस्लामिक देश नहीं है. लेकिन, यहां भी इस्लामिक कट्टरपंथी (Iran) संगठनों ने मुस्लिमों (Muslim) में हिजाब जैसी चीजों को लेकर कट्टरता भरने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है.
समाज
|
एक अलग नज़रिया
| 4-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
मलाला यूसुफजई ने ईरान के हिजाब विरोध के समर्थन में खानापूर्ति कर दी है
मलाला यूसुफजई तो महिलाओं की हमदर्द हैं. वे तो हमेशा महिलाओं के अधिकारों को लेकर आवाज उठाती रही हैं, फिर ईरान की महसा अमिनी की मौत पर एक लंबी चुप्पी के बाद उन्होंने खानापूर्ति कर दी है!
समाज
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एक अलग नज़रिया
| 2-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
लड़कियां एक दिन बेड़ियां तोड़कर आजाद हो जाती हैं, हिजाब जलाती हुई शेरनियों को देखिए!
ईरान (Iran) में महिलाएं हिजाब (Hijab) की होली जला रही हैं. वे एक-एक करके हिजाब उतार रही हैं. वे खुलकर ऐसे नाच रही हैं जैसे उनपर अब कोई बंदिश नहीं है. इनके चेहरे पर आजाद होने की उस लालिमा देखिए. वे ऐसे गा रही हैं जैसे अब उनकी आवाज को दबाना किसी के वश में नहीं है. वे इस जहां से पूछ रही हैं कि जब बुर्का पहनना च्वाइस है तो बुर्का ना पहनना क्यों नहीं?
समाज
| 2-मिनट में पढ़ें
आईचौक
@iChowk
हिजाब को 'चॉइस' मानने वालों की ईरान मामले में शातिर चुप्पी क्या कहती है?
इस्लामिक कट्टरपंथियों के लिए मुस्कान जैसी लड़कियां हमेशा हथियार रहेंगी, और महसा अमीनी खतरा. भारत में कल्पना कीजिये कि यदि मुस्कान जैसी लड़की अगर रोल मॉडल बनने लगी तो उसी के मोहल्ले में रहने वाली कोई महसा अमीनी जैसी लड़की का हश्र क्या होगा?
समाज
| 6-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
ईरान और भारत में हिजाब के मुद्दे पर महिलाएं विपरीत, लेकिन पुरुष सेम पेज पर
ईरान में 'मॉरेलिटी पुलिस' की हिरासत में 22 वर्षीय महसा अमिनी की मौत ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है. ईरानी महिलाएं सड़कों पर हैं, हिजाब जला रही हैं और अपना आक्रोश दिखाने के लिए अपने बाल काट रही हैं. वहीं जैसा पुरुषों का रवैया है वो यही चाहते हैं कि महिला ज़िंदगी भर पर्दे में ही रहे.