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सियासत
| 2-मिनट में पढ़ें
दिव्या राकेश शर्मा
@1609812972748481
गंदगी फैला रही महिलाओं को सार्वजनिक शौचालयों पर ताला लगाकर ही सुधारा जा सकता है
महिलाएं जो कि अपने घर को चमका कर रखती हैं जो फर्श पर एक तिनका देख अपनी कामवाली या बच्चों पर बिगड़ जाती हैं. कभी कभी रौद्र रूप धारण कर ताडंव करने लगती हैं वे महिलाएं सार्वजनिक स्थल तो छोड़िए धार्मिक स्थलों पर भी गंदगी का ढेर लगा आती हैं. जो अपने आप में दुर्भाग्यपूर्ण है.
समाज
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एक अलग नज़रिया
| 4-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
वो क्या बातें हैं जो 'पीरियड की छुट्टी' को गंभीर मुद्दा नहीं बनने देतीं
वर्किंग महिलाओं ने पीरियड में काम को मैनेज कर लिया है. वे खुद पीरियड लीव नहीं लेना चाहती हैं. आजकल कंपनियों में कंपटीशन बढ़ गया है. उन्हें लगता है कि अगर मैं पीरियड लीव लूंगी तो कोई साथ काम करने वाली दूसरी महिलाएं इसका फायदा उठा लेंगी.
समाज
| 4-मिनट में पढ़ें
नाज़िश अंसारी
@naaz.ansari.52
सेनेटरी नैपकिन का नाम व्हिस्पर क्यों है? औरतों के मामले फुसफुसाने वाले क्यों हैं?
ऊपरी सुंदरता दिखाने के बजाय अपनी सेहत और शौक़ पर भी पैसे खर्च करें. ना कमा रही हों तो जानिए पति की कमाई आधी आपकी है. बेटे की सारी. बच्चों को पालते हुए उन्हें आत्मनिर्भर बनाएं. परजीवी नहीं. थोड़ा खुदगर्ज़ हो लें. ताकि आपका 'नहीं/हां/मुझे चाहिये' ज़ोर से सुनाई दे. क्योंकि गूगल बाबा कहते हैं, 'बोलने से ही सब होगा'. नॉऊ नो मोर व्हिसपर.
समाज
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एक अलग नज़रिया
| 3-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
छात्रा, जिसे ब्रेस्ट का उभार छुपाने के लिए स्कूल यूनीफॉर्म के अंदर टाइट समीज पहननी पड़ी
गरिमा ने देखा कि कुछ दिनों से रीना का स्वाभाव बदला हुआ था. पूरी कक्षा में उधम मचाने वाली चंचल लड़की थोड़ी शांत रहने लगी थी. गरिमा ने एक दिन पूछ लिया, रीना तू मेरे से नाराज है क्या? मेरे साथ खेलती भी नहीं है और बात भी नहीं करती.
समाज
| 6-मिनट में पढ़ें
सिद्धार्थ अरोड़ा 'सहर'
@siddhartarora2812
Navratri 2020: व्रत और सेनेटरी पैड को लेकर सवाल पूछे जाने चाहिए, खूब पूछना चाहिए
नवरात्र (Navratri 2020) की शुरुआत के साथ तमाम सवालों की शुरुआत हो गयी है. जो सवाल सबसे ज्यादा पूछा जा रहा है वो व्रत (Navratri Vrat) और सेनेटरी पैड को लेकर है. पीरियड्स के दौरान मंदिर में प्रवेश न दिए जाने के चलते महिलाओं के एक बड़े वर्ग ने नवरात्री न मनाने का फैसला किया है.
समाज
| 4-मिनट में पढ़ें
अनु रॉय
@anu.roy.31
पीरियड के दौरान महिलाओं के लिए नर्क तैयार करवाने वाले बाबा नए नहीं हैं!
महिलाओं के मासिक धर्म पर बकवास करने वाले बाबा तो चाहते यही हैं कि लड़कियाँ और औरतें पीरियड (menstruation period) के दिनों में जानवर की सी ज़िंदगी जीते हुए घर के एक कोने में पड़ी रहें. उन्हें न तो सोने को बिस्तर दो, न खाने को ढंग का कुछ. पैड तो क्या ही देना, राख और पुराने कपड़े थमा दो ताकि इन्फ़ेक्शन से ही मर जाए.
सोशल मीडिया
| 7-मिनट में पढ़ें
पारुल चंद्रा
@parulchandraa
राष्ट्रगान पर खड़े होने की बहस में पीरियड का बहाना क्यों?
अब बात जब देशभक्ति से पीरियड की तरफ मुड़ ही गई तो सबरीमाला का जिक्र तो आना ही था. बात तो उठेगी ही कि मंदिर में प्रवेश को लेकर पीरियड मायने नहीं रखते, लेकिन राष्ट्रगान पर खड़े न होने के लिए पीरियड बहुत बड़ी चीज हो गया.
समाज
| 6-मिनट में पढ़ें
श्रुति दीक्षित
@shruti.dixit.31
महिलाओं के पीरियड्स का त्योहार मनाया जा रहा है, क्या आप भी खुशी मनाएंगे?
ओडिशा में राजा परब मनाया जाता है. ये त्योहार महिलाओं के पीरियड्स का त्योहार है जहां ऐसा माना जाता है कि भूमि देवी भी पीरियड्स से हैं.
समाज
| 5-मिनट में पढ़ें
पारुल चंद्रा
@parulchandraa
इस ऑस्कर पर भारत को फख्र नहीं, शर्मसार होना चाहिए
कुछ बातें जो देश को पुरस्कार दे जाएं उनपर फक्र किया जाना चाहिए, लेकिन इस ऑस्कर पर फक्र नहीं होता. क्योंकि भारत के लिए पीरियड की शर्म अब भी बरकरार है. सिर्फ फिल्मों में ही बदलाव आ रहा है, ग्राउंड लेवल पर हम आज भी हारे हुए ही हैं.