X
Login
You agree to our privacy and cookie policy while login to our website.
Login With Facebook
iChowk
Aaj Tak
বাংলা
Aaj Tak Campus
GNTTV
Lallantop
India Today
Business Today
Cosmopolitan
Harper's Bazaar
Reader's Digest
Northeast
Malayalam
Sports Tak
Crime Tak
Astro Tak
Gaming
Brides Today
Ishq FM
सियासत
समाज
संस्कृति
स्पोर्ट्स
सिनेमा
सोशल मीडिया
इकोनॉमी
ह्यूमर
टेक्नोलॉजी
वीडियो
लॉगिन करें
मोबाइल नंबर
(+91)
Submit
or
You agree to our privacy and cookie policy while login to our website.
*
OTP डालें
OTP फिर भेजें
OTP फिर भेजें
Submit
New
अपनी स्टोरी, कविता या कहानी साझा करें...
चर्चा में
महाराष्ट्र
औरंगजेब
ज्ञानवापी मस्जिद
कांग्रेस
राहुल गांधी
योगी आदित्यनाथ
यूपी विधानसभा चुनाव 2022
रूस यूक्रेन विवाद
नरेंद्र मोदी
पंजाब चुनाव
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022
अखिलेश यादव
ओमिक्रॉन वेरिएंट
ममता बनर्जी
कोरोना वायरस
अफगानिस्तान
ऑक्सीजन
पश्चिम बंगाल चुनाव 2021
कोरोना वैक्सीन
किसान आंदोलन
भारत-चीन
अमित शाह
प्रियंका गांधी
टीम इंडिया
विराट कोहली
अरविंद केजरीवाल
अरुण जेटली
सिनेमा
| 3-मिनट में पढ़ें
नवेद शिकोह
@naved.shikoh
Adipurush Controversy : आज के मुंतशिर से बेहतर थे कल के रज़ा
आज पक्के सनातनी होने का बार-बार दावा करने वाले संवाद लेखक मनोज मुंतशिर भी शायद सनातनियों की भावनाओं को नहीं समझ पाए हैं. रामायण के प्रसंगों और हनुमान के चरित्र को चरितार्थ करते हुए उन्होंने जिन फूहड़ संवादों का मुजाहिरा किया है वो कई मायनों में आहत करने वाले हैं.
सिनेमा
| 7-मिनट में पढ़ें
विकास मिश्र
@vikas.mishra.7393
Adipurush Movie Review: हे राम, रामायण के नाम पर ये क्या दिखा रहे हैं?
Adipurush Movie Review in Hindi: राम रावण युद्ध पर बनी फिल्म आदिपुरुष में ऐसे एक नहीं तमाम अजीबोगरीब प्रसंग हैं. कई बार तो ऐसा लगता है कि महर्षि वाल्मीकि और संत तुलसीदास ने कुछ तथ्य दुनिया से छिपा लिए थे, जिसे ओम राउत ने उजागर किया है.
सिनेमा
| 2-मिनट में पढ़ें
सिद्धार्थ अरोड़ा 'सहर'
@siddhartarora2812
आदिपुरुष अच्छी या बुरी वो अलग बात, लेकिन थियेटर में जय सियाराम का उद्घोष तो होगा
आदिपुरुष के विरोध से पहले हमें इस बात को समझना होगा कि रामलीला का मंचन जहां भी हो, कदम रुक जाते हैं, हाथ जुड़ जाते हैं और हाथ न भी जुड़ें तो आंखें ज़रूर स्टेज पर अटक जाती हैं. इसलिए पूरा यकीन है फिल्म में ऐसा बहुत कुछ होगा जो कभी भुलाया न जा सकेगा, ऐसे अनेकों मौके आयेंगे जब जय 'सिया राम' का उद्घोष होगा.
सिनेमा
| 5-मिनट में पढ़ें
आईचौक
@iChowk
Adipurush के नए पोस्टर पर लोगों की प्रतिक्रिया ओम राउत को निराश कर सकती है
राम नवमी के मौके पर 'बाहुबली' फेम सुपरस्टार प्रभास की फिल्म 'आदिपुरुष' का नया पोस्टर रिलीज किया गया है. इसके लिए लंबे समय से तैयारी चल रही थी. इसे तमाम तरह की एडिटिंग के बाद रिलीज किया गया है. लेकिन सोशल मीडिया पर लोगों की जिस तरह से प्रतिक्रिया आ रही है, वो ओम राउत को एक बार फिर निराश करने वाली है.
समाज
| 5-मिनट में पढ़ें
prakash kumar jain
@prakash.jain.5688
हम जिन्हें महामानव और देवता मानते हैं, वे पहले मानव थे!
Jaipur Literature Festival 2023: बिना मनुष्य रूप धरे तो कोई भगवान भी नहीं कहलाया. भगवान बुद्ध ना होते यदि सिद्धार्थ न जन्मा होता. वर्धमान भगवान महावीर कहलाए थे. भगवान श्रीराम भी राजा दशरथ के पुत्र राम ही थे. महात्मा पहले मोहनदास थे. उनका कर्म और आचार विचार मानवीय था.
संस्कृति
| 5-मिनट में पढ़ें
ओम प्रकाश सिंह
अयोध्या सरकार को अपने राग से सुलाने वाले गवैया गुरु भी सो गए...
बाबा गौरीशङ्कर संगीत की पारमिता थे. उनके साथ बिताए कुछ क्षणों की अनूभूति बंया करते हुए कहते हैं कि समाज साधुता 'चीन्ह' ले तो वह संदिग्ध हो जाती है. समाज पर्याय और परिभाषा में साधुता खोजता है जबकि वह इससे परे है.
सियासत
| बड़ा आर्टिकल
कौशलेंद्र प्रताप सिंह
@2342512585887517
कहानी: सदियों पुरानी अयोध्या नामक सांस्कृतिक चेतना क्यों अचेतन हो गई?
जिस शहर में बुर्जुआ से ज्यादा बेरोजगार चलते मिलेंगे. जो कभी नहीं जानते कि यह सड़क सत्य के साथ शुरू होती है. वह सत्य अयोध्या है. सिर्फ़ और सिर्फ अयोध्या.
सियासत
| 5-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
कांग्रेस की दुविधा: राहुल गांधी में 'राम' देखें या राम को काल्पनिक मानें
'भारत जोड़ो यात्रा' के तहत राहुल गांधी का निकलना भर था. कांग्रेसी नेताओं को उनमें भगवान श्री राम दिख गए हैं. हैरत होती है कांग्रेसियों के इस दोहरे चरित्र पर. अभी दिन ही कितने हुए हैं, जब कांग्रेस ने श्रीराम के अस्तित्व को ख़ारिज करते हुए कोर्ट में हलफनामा दिया था और श्री राम को एक काल्पनिक पात्र बताया था.
संस्कृति
| 4-मिनट में पढ़ें
निधिकान्त पाण्डेय
@1nidhikant
पटाखे और दिए की बातचीत हुई, सवाल जितने मजेदार थे, जवाब उतने ही जबरदस्त
भारत में आतिशबाजी का इतिहास पुराना है. भारत जब आजाद हुआ था तब भी तो जोरदार आतिशबाजी हुई थी. तब मेरे दादा-परदादाओं ने आकाश में रंग और फुलझड़ियां बिखेरी थीं, आवाज से वातावरण को गुंजाया था, तब दिये मेरे दोस्त, तुम्हारे पूर्वजों ने भी तो नए भारत के स्वागत में दिये की लड़ियों से पूरा समां रोशन कर दिया था.