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सियासत
| 7-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
Davinder Singh Kashmir DSP story बताती है आदमी वफादार तो नहीं था
Hizbul Mujahideen के आतंकियों की मदद और अवैध हथियार रखने के कारण गिरफ्तार हुए Jammu and Kashmir Police के DSP Davinder SIngh का इतिहास ही काला है. ये पूर्व में ऐसा बहुत कुछ कर चुके हैं जिसने खाकी को शर्मसार किया है.
सियासत
| 2-मिनट में पढ़ें
आईचौक
@iChowk
कन्हैया और उमर खालिद की सजा अब भी नाकाफी लग रही है?
9 फरवरी को जेएनयू में हुई घटना को लेकर एक जांच पैनल ने उमर खालिद और कन्हैया कुमार सहित कई दूसरे छात्रों पर अपना फैसला दे दिया है. इस खबर के बाहर आने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया दी. कुछ लोगों ने इन छात्र नेताओं के समर्थन में तो कुछ ने सजा को नाकाफी बताया.
सियासत
| बड़ा आर्टिकल
अभिमन्यु शर्मा
@abhimanyu.d.sharma
वामपंथ का ब्लैक एंड व्हाइट
एक सवाल यहां खड़ा होता है जो सीधे सीधे भारत के एक वर्ग के मिजाज को असमंजस के कठघरे में खड़ा करता है और वो सवाल करोड़ों लोगों का भी हो सकता है कि आखिर देश इतनी जल्दबाजी में क्यों है जो अपरिपक्वता को भी आसानी से स्वीकार करने के लिए आतुर है.
सियासत
| 6-मिनट में पढ़ें
राजीव रंजन प्रसाद
@rajeev.prasad
हाथी घोड़ा पालकी अब कन्हैया ‘लाल’ की
कन्हैया का भाषण बहुत कुछ सोचने समझने को बाध्य कर गया. इस जबरदस्त शो और बेहतरीन मीडिया मैनेजमेंट के बीच जो कुछ दबाया जाना था वह बहुत बेहतर तरीके से किया जा चुका है.
सियासत
| 4-मिनट में पढ़ें
डॉ. कपिल शर्मा
@delhi.kapilsharma
सुना आपने, कन्हैया ने फिर भाषण दिया है!
एक टीवी पत्रकार होने के नाते मुझे पता है कि ये संभव नहीं था कि कन्हैया के भाषण को पहले रिकॉर्ड किया जाता और फिर उसका प्रसारण. टीवी चैनलों ने कन्हैया को आरोपी, पीड़ित, राजनीति का शिकार मानने के बजाए सिर्फ 'मैन आफ द मोमेंट' माना, जिसके बारे में लोग जानना चाह रहे थे.
सियासत
| 5-मिनट में पढ़ें
आदर्श तिवारी
@adarsh.tiwari.1023
कॉमरेड कन्हैया आपने बोला तो बहुत कुछ मगर कहा क्या!
कोर्ट ने कन्हैया को अभी क्लीन चिट नहीं दी है. न ही कन्हैया को देशद्रोह के आरोपों से मुक्त किया है. कोर्ट के फैसले पर आत्ममंथन करने के बजाय कन्हैया कुमार को हीरो बनाने का ठेका हमारे वामपंथी बुद्धिजीवियों ने लिया है.
सियासत
| 3-मिनट में पढ़ें
सुनीता मिश्रा
@sunita.mishra.9480
कन्हैया को हीरो किसने बनाया?
इस पूरे प्रकरण को हवा देने में कहीं न कहीं लोकतंत्र का चौथा स्तंभ भी शामिल है. यही नहीं, पिछले 20 दिनों में जो हुआ, उसमें जेनयू छात्रों के साथ-साथ कहीं न कहीं सरकार भी इस मुद्दे से निपटने में उतनी सक्षम नहीं दिखी.
सियासत
| 3-मिनट में पढ़ें
डॉ. कपिल शर्मा
@delhi.kapilsharma
जेएनयू का गुब्बारा तो फूटना ही था
बाहर के लोगों के लिए जेएनयू का क्लोज कैंपस हमेशा से रहस्यमयी रहा है. बड़े बड़े पत्थरों के बीच बसा ये कैंपस वैचारिक चट्टान में बदल गया है, जिसमें बगावत भी है और टकराव भी.
सियासत
| 5-मिनट में पढ़ें
शिवानन्द द्विवेदी
@shiva.sahar
जमानत का जश्न न मनाइए, कोर्ट की भी सुनिए कॉमरेड!
कन्हैया की जमानत को 'विक्ट्री' बताने वाले लोग अथवा तथाकथित बुद्धिजीवी या तो खुद नासमझी का शिकार हैं या बेहद शातिर ढंग से वे जनता को गुमराह करने की अफवाह रच रहे हैं.
सियासत
| 7-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
Davinder Singh Kashmir DSP story बताती है आदमी वफादार तो नहीं था
Hizbul Mujahideen के आतंकियों की मदद और अवैध हथियार रखने के कारण गिरफ्तार हुए Jammu and Kashmir Police के DSP Davinder SIngh का इतिहास ही काला है. ये पूर्व में ऐसा बहुत कुछ कर चुके हैं जिसने खाकी को शर्मसार किया है.
सियासत
| 2-मिनट में पढ़ें
आईचौक
@iChowk
कन्हैया और उमर खालिद की सजा अब भी नाकाफी लग रही है?
9 फरवरी को जेएनयू में हुई घटना को लेकर एक जांच पैनल ने उमर खालिद और कन्हैया कुमार सहित कई दूसरे छात्रों पर अपना फैसला दे दिया है. इस खबर के बाहर आने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया दी. कुछ लोगों ने इन छात्र नेताओं के समर्थन में तो कुछ ने सजा को नाकाफी बताया.
सियासत
| बड़ा आर्टिकल
अभिमन्यु शर्मा
@abhimanyu.d.sharma
वामपंथ का ब्लैक एंड व्हाइट
एक सवाल यहां खड़ा होता है जो सीधे सीधे भारत के एक वर्ग के मिजाज को असमंजस के कठघरे में खड़ा करता है और वो सवाल करोड़ों लोगों का भी हो सकता है कि आखिर देश इतनी जल्दबाजी में क्यों है जो अपरिपक्वता को भी आसानी से स्वीकार करने के लिए आतुर है.
सियासत
| 6-मिनट में पढ़ें
राजीव रंजन प्रसाद
@rajeev.prasad
हाथी घोड़ा पालकी अब कन्हैया ‘लाल’ की
कन्हैया का भाषण बहुत कुछ सोचने समझने को बाध्य कर गया. इस जबरदस्त शो और बेहतरीन मीडिया मैनेजमेंट के बीच जो कुछ दबाया जाना था वह बहुत बेहतर तरीके से किया जा चुका है.
सियासत
| 4-मिनट में पढ़ें
डॉ. कपिल शर्मा
@delhi.kapilsharma
सुना आपने, कन्हैया ने फिर भाषण दिया है!
एक टीवी पत्रकार होने के नाते मुझे पता है कि ये संभव नहीं था कि कन्हैया के भाषण को पहले रिकॉर्ड किया जाता और फिर उसका प्रसारण. टीवी चैनलों ने कन्हैया को आरोपी, पीड़ित, राजनीति का शिकार मानने के बजाए सिर्फ 'मैन आफ द मोमेंट' माना, जिसके बारे में लोग जानना चाह रहे थे.
सियासत
| 5-मिनट में पढ़ें
आदर्श तिवारी
@adarsh.tiwari.1023
कॉमरेड कन्हैया आपने बोला तो बहुत कुछ मगर कहा क्या!
कोर्ट ने कन्हैया को अभी क्लीन चिट नहीं दी है. न ही कन्हैया को देशद्रोह के आरोपों से मुक्त किया है. कोर्ट के फैसले पर आत्ममंथन करने के बजाय कन्हैया कुमार को हीरो बनाने का ठेका हमारे वामपंथी बुद्धिजीवियों ने लिया है.
सियासत
| 3-मिनट में पढ़ें
सुनीता मिश्रा
@sunita.mishra.9480
कन्हैया को हीरो किसने बनाया?
इस पूरे प्रकरण को हवा देने में कहीं न कहीं लोकतंत्र का चौथा स्तंभ भी शामिल है. यही नहीं, पिछले 20 दिनों में जो हुआ, उसमें जेनयू छात्रों के साथ-साथ कहीं न कहीं सरकार भी इस मुद्दे से निपटने में उतनी सक्षम नहीं दिखी.
सियासत
| 3-मिनट में पढ़ें
डॉ. कपिल शर्मा
@delhi.kapilsharma
जेएनयू का गुब्बारा तो फूटना ही था
बाहर के लोगों के लिए जेएनयू का क्लोज कैंपस हमेशा से रहस्यमयी रहा है. बड़े बड़े पत्थरों के बीच बसा ये कैंपस वैचारिक चट्टान में बदल गया है, जिसमें बगावत भी है और टकराव भी.
सियासत
| 5-मिनट में पढ़ें
शिवानन्द द्विवेदी
@shiva.sahar
जमानत का जश्न न मनाइए, कोर्ट की भी सुनिए कॉमरेड!
कन्हैया की जमानत को 'विक्ट्री' बताने वाले लोग अथवा तथाकथित बुद्धिजीवी या तो खुद नासमझी का शिकार हैं या बेहद शातिर ढंग से वे जनता को गुमराह करने की अफवाह रच रहे हैं.