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समाज
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एक अलग नज़रिया
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ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
अनुपमा शो ने साबित किया हर पति 'वनराज' जैसा होता है और अनुज जैसे सिर्फ कल्पनाओं में होते हैं!
अनुपमा शो को पहले देखकर तसल्ली मिलती थी कि चलो वनराज जैसे लोग हैं तो अनुज जैसे भी तो हैं. मगर फिलहाल जो कुछ शो में दिखाया जा रहा है उस हिसाब से तो रियल दुनिया में अनुज जैसे अच्छे किरदार का अस्तित्व ही नहीं है. सच में ऐसा सीरियल में ही हो सकता है, क्योंकि असल दुनिया में लोग इतनी जल्दी अनुज से वनराज नहीं बन जाते. आपका क्या कहना है?
समाज
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एक अलग नज़रिया
| 5-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
अनुपमा तलाक के बाद दूसरी शादी करके फंस गई, यहां भी वही जिम्मेदारी वही ताने
अनुपमा, पहली शादी में भी सूरी-सूरी करती थी. अब वह दूसरी शादी में भी सूरी-सूरी कहती रहती है. सॉरी टू से...मगर अनुपमा आज भी वही कर रही है जो 25 सालों तक किया. दर्शकों ने सोचा था कि अनुपमा को तलाक के बाद आगे बढ़ते हुए दिखाया जाएगा मगर यहां तो पति-पत्नी के रूठने मनाने से ही फुर्सत नहीं है.
समाज
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एक अलग नज़रिया
| 4-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
अनुपमा शो की पाखी ने बताया, लड़का हमेशा दोषी और लड़की हमेशा सही नहीं होती...
कितने लड़कों की जिंदगी झूठे केस में बर्बाद हो जाती है. महिलाओं को समझना होगा कि ये सारे कानून, घरेलू हिंसा और उत्पीड़न रोकने के लिए बने हैं, ना कि किसी को झूठे केस में फंसाने के लिए.
समाज
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एक अलग नज़रिया
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ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
क्या खोटे नसीब वाली महिलाओं का सीरियल है अनुपमा?
अनुपमा शो में कुछ तो बात है जो यह टीआरपी में नंबर 1 पर बना रहता है. वरना दुनिया एक रोती हुई महिला को क्यों देखती? असल में कई महिलाओं को लगता है कि सीरियल में उनके जीवन की सच्चाई दिखाई जा रही है, क्योंकि जो कुछ अनुपमा के साथ होता है वह कहीं ना कहीं औरतें अपनी जिंदगी में महसूस करती हैं.
समाज
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एक अलग नज़रिया
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ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
अनुपमा का बेटा भी वनराज की तरह धोखेबाज निकला, यह शो पुरुषों को गलत साबित करने पर तुला है?
महिला सशक्तिकरण से शुरु हुई अनुपमा की कहानी आज एक अजीबो-गरीब मोड़ पर आकर खड़ी है. पिता के बाद अब बेटे को भी निगेटिव ही दिखाया जा रहा है.
समाज
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एक अलग नज़रिया
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ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
अनुपमा प्लीज अब रोना बंद कर दो, तुम्हारे आंसू सूख गए होंगे!
टीवी सीरियल में सबसे अधिक आंसू बहाने वाली महिला का यदि कोई रिकॉर्ड दर्ज हो रहा है, तो अनुपमा इस मामले में सुपर लीडर है. मौका चाहे खुशी का हो या दुख का...अनुपमा को हर पल रोते-बिलखते देखना बड़ा ही दुखदाई लगता है.
सिनेमा
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एक अलग नज़रिया
| 4-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
अनुपमा का दुख काहे खत्म नहीं होता, नया ससुराल तो मिला लेकिन तकलीफ वही!
अनुपमा में एक तलाकशुदा, तीन बच्चों की मां और होने वाली दादी ने बड़ी मुश्किल से अपनी जिंदगी को एक और मौका दिया है. आने वाले समय में क्या उसे खुशी मिल पाएगी या वह टेंशन में ही जिंदगी गुजारने वाली है.
समाज
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एक अलग नज़रिया
| 5-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
Anupama show को लोगों ने क्यों किया बायकॉट? क्या इसे झेलना अब बर्दाश्त से बाहर है!
अनुपमा (Anupama) फिर से उसी दलदल में फंस जाएगी जहां से वह बड़ी मुश्किल से निकल पाई थी. उसे हमेशा दूसरों के लिए फर्ज निभाने वाली महिला ही समझा जाता रहेगा. ऐसे में उसकी जिंदगी वहीं रुक जाएगी. उसकी सारी लड़ाई, सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा.
समाज
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एक अलग नज़रिया
| 6-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
Anupamaa तुम कितनी भली क्यों न हो, एक लड़का और लड़की कभी दोस्त नहीं हो सकते!
अनुपमा की छवि को लोग बहुत पसंद करते हैं लेकिन उन्हें बस एक ही बात खटकती है कि अनुपमा का दोस्त कोई लड़का कैसे हो सकता है? भले ही अनुपमा अनपढ़ है, गंवार है, सीधी है, आध्यात्मिक है लेकिन फिर भी उसका कोई लड़का दोस्त नहीं हो सकता...