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समाज
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एक अलग नज़रिया
| 4-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
कुछ बहुएं घरवालों के हिसाब से ये गलती करती हैं और उनकी नजरों में बुरी बन जाती हैं
बहू को पता है कि अगर वह घर नहीं संभाल पाई तो उसे ही दोष दिया जाएगा. उसी की गलती निकाली जाएगी. इसलिए वह घरवालों का ख्याल रखने में दिन रात एक कर देती है. वह सबके हां में हां मिलाती है. घर का पूरा का काम करती है. यहां तक की घरवालों के हिसाब से अपना पहनावा, खान-पान, रहन-सहन सब बदल देती है. कुछ घरवाले बहू के इतना करने के बाद भी खुश नहीं रहते हैं.
समाज
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एक अलग नज़रिया
| 2-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
ज्यादा बोलने वाली बहू को ससुराल में इज्जत नहीं ताना क्यों मिलता है?
बहू अगर स्मार्ट है, माडर्न है, पढ़ी लिखी है और अपनी बात रखना जानती है तो उसके बारे में कहा जाता है कि बड़ी तेज है बेचकर खा जाएगी.
समाज
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एक अलग नज़रिया
| 3-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
70 साल के ससुर ने 28 साल की बहू से शादी करके उसके जीवन का उद्धार तो बिल्कुल नहीं किया
क्या ऐसा इसलिए है क्योंकि लड़कियां अकेले नहीं रह सकती. उनको सहारे की जरूरत होती है. इसलिए पति के नाम पर बुजुर्ग इंसान भी चलेगा. वह भी ससुर, जो पिता समान होता है. यह शादी नहीं लड़की की बर्बादी है.
समाज
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एक अलग नज़रिया
| 3-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
ससुराल में दुल्हन को क्या-क्या करने की मनाही होती है?
जमाना भले ही बदल गया है मगर कुछ घरों में आज भी नियम-कानून के नाम पर महिलाओं का शोषण होता है. महिलाएं घुटती रहती हैं मगर कुछ कर नहीं पाती हैं.
समाज
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एक अलग नज़रिया
| 4-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
सुन लीजिए, कमाऊ बहू दहेज का दूसरा ऑप्शन नहीं है...
बेटे की शादी के लिए घरवाले जब लड़की देखने जाते हैं तो पूछते हैं कि लड़की क्या करती है? कितना पढ़ी लिखी है. सिंपल बीए किया है या कोई प्रोफेशनल कोर्स किया है. हमें लड़की के बाहर काम करने से कोई परेशानी नहीं है. असल में उन्हें ऐसी बहू चाहिए होती है जो शादी के बाद अपनी सैलरी लाकर उनके हाथों में रख दे.
समाज
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एक अलग नज़रिया
| 4-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
डियर मम्मियों, बेटी को सासू मां के नाम पर डराना बंद कर दो, हर सास विलेन नहीं होती
लड़कियों के होश संभालते ही उन्हें सास का हवाला दे-देकर 'अनुशासन' सिखाया जाता है. उन्हें ऐसे डराया जाता है, जैसे सास इस धरती की प्राणी नहीं, बल्कि पाताल से आई हुई कोई राक्षसी हैं, जिनका काम बहू को कच्चे चबा जाना है.
समाज
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एक अलग नज़रिया
| 6-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
सास बहू अचार प्राइवेट लिमिटेड की कहानी, एक हाउसवाइफ जो तलाक के बाद खुद को पा लेती है!
सास बहू अचार प्राइवेट लिमिटेड की कहानी में घरेलू महिला को यह किसी ने बताया ही नहीं था कि, अगर सफर के बीच रास्ते में राजकुमार ने उसका साथ छोड़ दिया तो वह क्या करेगी?
समाज
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एक अलग नज़रिया
| 6-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
जब बहू ने कराया सास का गृह-प्रवेश तो देखने वालों की आंखें भर आईं
बहू आरती का थाल लिए मुस्कुराते हुए सासू मां के स्वागत के लिए दरवाजे के बाहर खड़ी है. मां देखती है तो हैरान रह जाती है. मां के स्वागत के लिए पूरे घर को फूलों से सजाया गया है. मां के पांव जमीन पर ना पड़े इसलिए फर्श पर फूलों के गोले बनाए गए हैं. एक थाल में लाल रंग वाला आलता रखा गया ताकि मां के शुभपैरों का पदचिन्ह लिया जा सके.
समाज
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एक अलग नज़रिया
| बड़ा आर्टिकल
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
'निर्मल पाठक की घर वापसी' में 'संतोषी मां' और 'निभा' का किरदार कई बहू-बेटियों की हकीकत है!
मन को मारती हुई एक स्त्री जो परिवार के लिए इतने त्याग करती है कि वह खुद को ही भूल जाती है. उम्र की ढलान पर आंखों के नीचे झुर्रियों के साथ सांवली सी रंगत वाली एक महिला चेहरे पर मुस्कान लिए अपने बेटे का दिल खोलकर स्वागत कर रही है. वह भोजपुरी में कहती है 'एतना दिन से कबो मां के याद न आइल. आव इहां आव...