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इकोनॉमी
| 3-मिनट में पढ़ें
राहुल मिश्र
@rmisra
नई मैगी में कहीं दब गई पुरानी मैगी की गंदगी
एक बार फिर से नई मैगी करोड़ों लोगों का पेट महज दो मिनट में भरने के लिए तैयार है. लिहाजा इस बात की गारंटी दी जानी चाहिए कि पुरानी मैगी की गंदगी नई मैगी के नीचे नहीं दबी है.
इकोनॉमी
| 2-मिनट में पढ़ें
राहुल मिश्र
@rmisra
मैगी की बदनामी का ये फायदा
मैगी पर लगे आरोपों ने नेस्ले के ब्रांड को भले चोट पहुंचाई, लेकिन इस प्रकरण के बाद से देश में उपभोक्ताओं के बाच जागरुकता बढ़ी है जिसके चलते फूड इंडस्ट्री पर सुरक्षित खाद्य पदार्थ मुहैया कराने का दबाव बढ़ गया है.
समाज
| 3-मिनट में पढ़ें
न्यूजफ्लिक्स
@newsflickshindi
मैगी से ज़्यादा ज़हर है हमारे खाने में!
मैगी में मिलने वाला MSG ही आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं है बल्कि ऐसे कई और ख़तरनाक रसायन हैं जो खुलेआम आपके खाने में मिलाए जा रहे हैं.
समाज
| 5-मिनट में पढ़ें
डॉ. कपिल शर्मा
@delhi.kapilsharma
मैगी के बहाने लड़ लो मिलावट से निर्णायक जंग
नेस्ले, मैगी नूडल्स में मिलावट की आरोपी है. यह सच है, लेकिन इस घटना का दूसरा पक्ष यह भी है कि मैगी ने देश को मिलावट के खिलाफ ठोस लड़ाई लड़ने का के सुनहरा मौका भी दिया है.
समाज
| 1-मिनट में पढ़ें
न्यूजफ्लिक्स
@newsflickshindi
खाने में जहर मिलाने वालों के सामने बेबस है सरकारी तंत्र
ज़हरीला और मिलावटी खाना आपकी थाली तक पहुंचे, इससे पहले ही उसका पता लगाकर उसे रोकने के लिए हमें विशेष जांच एजेंसियों और प्रयोगशालाओं की जरूरत है.
समाज
| 4-मिनट में पढ़ें
इंद्रजीत कुंडू
@indrojit.kundu
खाना जांचने का सिस्टम ही कमजोर और मिलावटी
मैगी को अन्नापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) देने वाले तत्कालीन अधिकारी और FSSAI के पूर्व निदेशक प्रदीप चक्रबर्ती ने इंडिया टुडे के साथ मैगी विवाद और उससे जुडे कई तकनीकी पहलुओं पर बात-चीत की.
समाज
| 2-मिनट में पढ़ें
आईचौक
@iChowk
2 मिनट में मैगी से जुड़े रोचक तथ्य
नेस्ले का मैगी नूडल एशियाई देशों खासकर भारत में सबसे ज्यादा लोकप्रिय हुआ. फिर सवाल उठता है यूरोप और अमेरिका में क्यों नहीं?
समाज
| 4-मिनट में पढ़ें
सौरिश भट्टाचार्य
@sourishb1963
भरोसा कीजिए... सारे खाद्य सुरक्षा लेबल झूठे हैं
मैगी के खिलाफ कार्रवाई एक देर से उठाया गया कदम लग सकती है, लेकिन इस कदम ने हमें खाद्य पदार्थों और उनके उत्पादन की स्थिति के बारे में सोचने को मजबूर कर दिया है.
इकोनॉमी
| 2-मिनट में पढ़ें
आईचौक
@iChowk
जानिए कैसे है नूडल कारोबार पर मैगी का दबदबा
साल 2010 में भारत में 294 करोड़ पैकेट (सर्विंग) नूडल की खपत हुई थी वहीं 2014 तक बढ़कर यह लगभग 534 करोड़ पैकेट (सर्विंग) हो गई.