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सिनेमा
| 5-मिनट में पढ़ें
नाज़िश अंसारी
@naaz.ansari.52
साहिर पाकिस्तान से सिर्फ इसलिए लौटे क्योंकि वहां 'हिंदू' नहीं थे...
मुल्क़ बंटकर आज़ाद हुआ. साहिर लाहौर में थे. लेकिन खुश नहीं. यह शहर अब एक नये देश का हिस्सा था. जिसमें विविधता नहीं थी. एक धर्म था. एक मत. एक जैसे सोच विचार के लोग. सबसे बढ़कर यहां हिंदू नहीं थे. उन्हें ऊब हुई. वे लौट आए दिल्ली.
समाज
| 5-मिनट में पढ़ें
मुकेश कुमार गजेंद्र
@mukesh.k.gajendra
महिला दिवस पर साहिर लुधियानवी की बात: 'औरत ने जनम दिया मर्दों को, मर्दों ने...'!
साहिर लुधियानवी के शेरों, गजलों और नज़्मों में औरतों का दर्द और मर्द का उसके प्रति व्यवहार परिलक्षित होता है. साहिर ने अपने बचपन में जो जैसा देखा उसे बाद में अपनी लेखन से उतारा. साहिर के लिए उनकी अम्मी ने बहुत दुख झेला था. उनके वालिद ने बचपन में ही उनका साथ छोड़ दिया था.
समाज
| 7-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
Mirza Ghalib Death Anniversary: हर दौर, हर वर्ग के लिए कुछ न कुछ लिख गए हैं ग़ालिब!
15 फरवरी आज ही वो दिन था जब 1869 में दिल्ली में उर्दू और फ़ारसी शायरी के स्तंभ मिर्ज़ा ग़ालिब (Mirza Ghalib Death Anniversary) की रूह परवाज़ कर गयी. जिस तरह अपनी क़लम से ग़ालिब ने उर्दू / फ़ारसी शायरी को एक नई धार दी कहना गलत नहीं है कि मिर्ज़ा के साथ अंत हुआ एक ऐसे युग का जिसके सूत्रधार वो ख़ुद थे.
समाज
| 6-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
Firaq Gorakhpuri बन रघुपति सहाय ने बताया कि सेकुलरिज्म-भाईचारा है क्या?
एक ऐसे वक़्त में जब हमारे आस पास नफरत अपने पैर पसार चुकी हो, अगर हमें असली सेकुलरिज्म (Secularism ) और भाईचारा (Communal Harmony) सीखना समझना हो तो हमें अपनी जिंदगी में फ़िराक़ गोरखपुरी (Firaq Gorakhpuri) को उतार लेना चाहिए,
समाज
| 6-मिनट में पढ़ें
नाज़िश अंसारी
@naaz.ansari.52
Ahmed Faraz: वो शायर, बुलंदी और कामयाबी जिसके नाम में थी!
अपनी शायरी से उर्दू अदब (Urdu Litreature) को नयी पहचान दिलाने वाले पाकिस्तान (Pakistan) के मशहूर शायर अहमद फ़राज़ (Ahmed faraz) का शुमार उन लोगों में है जो न केवल तरक्कीपसंद थे बल्कि ये भी चाहते थे कि दो मुल्क भारत (India) और पाकिस्तान (Pakistan) एक हो जाएं.
सियासत
| 6-मिनट में पढ़ें
आर.के.सिन्हा
@RKSinha.Official
मुनव्वर राणा जैसा शायर सरकार के विरोध में पटरी से क्यों उतरता गया?
मुनव्वर राणा (Munnawwar Rana) हमारे दौर के एक बेहद मकबूल शायर के रूप में जाने जाते रहे हैं. पर राणा कुछ समय से लगातार विभिन्न मसलों पर इस तरह की टिप्पणियां कर रहे हैं, जो उनकी शख्सियत से तो कत्तई मेल नहीं खाती.
ह्यूमर
| 5-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
गुलजार का जन्मदिन मना रहे कुछ फैंस के जश्न से तौबा !
आज गुलज़ार (Gulzar Birthday) का बर्थडे है. गुलज़ार साहब के नाम पर सोशल मीडिया पर ट्रक मार्का अनाप शनाप कविताएं और शायरियां (Gulzar Poetry) पोस्ट करना पाप नहीं महापाप है. लोग नहीं जानते कि फैन और फॉलोइंग के नाम पर वो गुलज़ार साहब के साथ ऐसा बहुत कुछ कर रहे हैं जो कहीं न कहीं उनकी आत्मा को कचोटता होगा.
समाज
| 6-मिनट में पढ़ें
अली मदीह हाशमी
@AliMadeehHashmi
फैज़ की बेटी को वापस भेजने का जवाब उनके बेटे ने दिया है
एक कार्यक्रम में शामिल होने भारत आई फैज़ की बेटी को बेरुखी के साथ पाकिस्तान वापस भेज दिया गया. इस हालात पर फैज़ के पोते ने यह लेख खासतौर पर लिखा है.
सिनेमा
| 3-मिनट में पढ़ें
नरेंद्र सैनी
@narender.saini
गुलजारः शब्दों और चित्रों के उस्ताद से दो संवाद
उनसे बातचीत का नतीजा यही था कि वे न तो सख्त मिज़ाज हैं और न ही मूडी. वे सिर्फ काम की बात करने में यकीन करते हैं और काम के ही जवाब देते हैं.