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समाज
| 3-मिनट में पढ़ें
अंकिता जैन
@ankita.jain.522
खेती को उत्तम कहने वाला किसान अब नौकरी की लाइन में क्यों लगा है?
देश में किसानों के साथ मार्केटिंग की बड़ी समस्या है. जितना नुकसान उन्हें मौसम की मार पहुंचाती है उससे कहीं ज्यादा बिचौलिए पहुंचाते हैं, जो किसानों की फ़सल को अनाप-शनाप, औने-पौने दाम में खरीदते हैं. हालांकि अब पहले से कुछ ठीक हुआ है. ई-हाट की जो स्कीम शुरू हुई उसमें काफी मंडी जुड़ी हुई हैं, जिससे किसानों की पहुंच बढ़ी है और बिचौलियों का रोल थोड़ा कम हुआ है.
सियासत
| 4-मिनट में पढ़ें
मशाहिद अब्बास
मोदी जी के जिम्मे बहुत काम है, भारत तो मुश्किलों में है ही!
भारत (India) के लिए वर्तमान स्थिति बहुत ही भयानक है. मुसीबतों से घिरा देश प्रधानमंत्री (Prime Minister) की ओर हसरत भरी निगाह से देख रहा है. भारत को इन सभी चुनौतियों से जल्द से जल्द निपटना होगा यह समय भारत के लिए बहुत ही भयावह समय है.
समाज
| 3-मिनट में पढ़ें
vinaya.singh.77
@vinaya.singh.77
Lockdown के इस दौर में मानवता की कहानी छूटनी नहीं चाहिए
कोरोना वायरस (Coronavirus ) लॉक डाउन (Madhya Pradesh ) के इस दौर में जब एक तरफ बुरी खबरें ही आ रही हों मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh ) के भोपाल (Bhopal) में जो हो रहा है वो मन को सुकून देने वाला है. यहां लोग बिना किसी भेद भाव के अपने अपने स्तर पर और लोगों को मदद और राहत पहुंचा रहे हैं.
समाज
| 4-मिनट में पढ़ें
अनु रॉय
@anu.roy.31
Paatal Lok के निवासी ही तो हैं भूख से बिलखते बच्चे, नंगे पैर चलते प्रवासी मजदूर!
पाताल लोक (Paatal Lok) के निवासियों को समझने के लिए हमें दूर नहीं जाना है ये हमारे आस पास हैं. सड़क पर नंगे पैर चलते प्रवासी मजदूरों (Migrant Workers) से लेकर भूख से बिलबिलाते बच्चो न तक सब प पाताल लोक के निवासी हैं .
समाज
| 3-मिनट में पढ़ें
नवेद शिकोह
@naved.shikoh
हनुमान जी का भंडारा और ज़ुबैर-वहीद का मंगल जज्बा
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh ) की राजधानी लखनऊ (Lucknow ) में सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) का पूरा ख्याल रखते कुछ मुस्लिम एक्टिविस्ट्स ने बड़े मंगल पर भंडारे के स्थान पर गरीबों और भूखों को खाना खिलाने की पहल की है. युवकों की इस पहल की लोगों द्वारा भी खूब सराहना हो रही है.
समाज
| 4-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
शर्मिंदा साइकिल चुराने वाले मजदूर को नहीं, सभ्य समाज को होना चाहिए!
राजस्थान (Rajasthan) से अपने मालिक की साइकिल चुराकर उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बरेली पहुंचे एक मजदूर (Migrant Worker) का माफ़ीनामा (Sorry Letter) इंटरनेट पर वायरल हुआ है. माफीनामे में जो बताएं मजदूर ने कहीं हैं उनमें गहरा दर्द हैं और वो ऐसी हैं कि सख्त से सख्त इंसान भी विचलित हो जाए.
सियासत
| 7-मिनट में पढ़ें
अंकिता जैन
@ankita.jain.522
Labour Law में बदलाव इस समय मजदूरों और देश की ज़रूरत है
इस पूरे कोरोना (Coronavirus) काल में यदि किसी को सबसे ज्यादा तकलीफ हुई है वो वो केवल और केवल वो प्रवासी मजदूर (Migrant Workers) हैं जो अपने परिवारों के साथ अपने घर लौट रहे हैं. जैसे इनकी हालत है अब वो वक़्त आ गया है जब सरकार को लेबर लॉ में परिवर्तन कर देना चाहिए.
समाज
| 5-मिनट में पढ़ें
अबयज़ खान
@abyaz.khan
बेबस-मजबूर मजदूर और उन्हें सिरे से ख़ारिज करती बेफिक्र सरकार!
लॉक डाउन (Lockdown ) के इस दौर में सबसे ज्यादा दुखद उन मजदूरों (Migrant Workers) को देखना है जो अपने परिवार जिनमें महिलाएं और छोटे छोटे बच्चे भी शामिल हैं, उनके साथ कई सौ किलोमीटर की यात्रा कर वापस अपने घरों की तरफ लौट रहे हैं.
समाज
| 4-मिनट में पढ़ें
नवेद शिकोह
@naved.shikoh
Labour Day पर ग़ौर कीजिए, शहर बनाने वाला क्यों शहर छोड़ रहा !
कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन (Coronavirus Lockdown) के इस दौर में सबसे ज्यादा परेशान वो मजदूर (Labour) हैं जिन्होंने हमेशा हमारा साथ दिया और सबसे दुर्भाग्यपूर्ण ये देखना है कि न तो हम लोग और न ही हमारी सरकारें किसी को उनकी परवाह बिलकुल भी नहीं है.