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समाज
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एक अलग नज़रिया
| 4-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
कुछ बहुएं घरवालों के हिसाब से ये गलती करती हैं और उनकी नजरों में बुरी बन जाती हैं
बहू को पता है कि अगर वह घर नहीं संभाल पाई तो उसे ही दोष दिया जाएगा. उसी की गलती निकाली जाएगी. इसलिए वह घरवालों का ख्याल रखने में दिन रात एक कर देती है. वह सबके हां में हां मिलाती है. घर का पूरा का काम करती है. यहां तक की घरवालों के हिसाब से अपना पहनावा, खान-पान, रहन-सहन सब बदल देती है. कुछ घरवाले बहू के इतना करने के बाद भी खुश नहीं रहते हैं.
समाज
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एक अलग नज़रिया
| 3-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
रश्मिका मंदाना 'कामवाली बाई' के भी पैर छूती हैं और इसे ही बड़प्पन कहते हैं!
आजकल की इंस्टाग्राम पीढ़ी को रश्मिका मंदाना से कुछ सीखने की जरूरत है. उन्हें समझने की जरूरत है कि सिर्फ फॉलोअर्स बढ़ाने से कुछ नहीं होगा, बल्कि संस्कार को साथ लेकर चलने से ही अपने जड़ों से जुड़ा रहा जा सकता है.
समाज
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एक अलग नज़रिया
| 2-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
ज्यादा बोलने वाली बहू को ससुराल में इज्जत नहीं ताना क्यों मिलता है?
बहू अगर स्मार्ट है, माडर्न है, पढ़ी लिखी है और अपनी बात रखना जानती है तो उसके बारे में कहा जाता है कि बड़ी तेज है बेचकर खा जाएगी.
समाज
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एक अलग नज़रिया
| 4-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
होली के त्योहार पर आम घरों की महिलाओं का रूटीन क्या होता है?
एक त्योहार ही तो वह मौका होता है जब सभी घरवाले एक जगह होते हैं. उसमें भी बाहर से सामान मंगा लेंगे तो फिर बात ही क्या रह जाएगी? उन्हें तो मां के हाथ का ही सबकुछ बना अच्छा लगता है. इसलिए कमर दर्द लिए मां रसोई से छत और बाजार के चक्कर लगाती रहती है.
समाज
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एक अलग नज़रिया
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ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
गांव की उस औरत की कहानी जो पति के परदेश जाने के बाद घर में अकेली रहती है
जब शादी करके आई थी तो भरा-पूरा परिवार था. फिर धीरे-धीरे सब शहरों की ओर रूख कर गए. पति को पैसे कमाने थे तो वह मना भी कैसे करती? कुछ साल बाद सास और फिर ससुर जी भी गुजर गए. बच्चे पढ़ाई करने शहर चले गए. हां घरवालों ने उसे एक सादा फोन जरूर दे दिया था जिस पर घंटी आ सकती है. किसी ने उसे फोन रिसीव करना तो सिखा दिया लेकिन फोन मिलाना उसे अभी भी नहीं आता, वह अनपढ़ जो है.
समाज
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एक अलग नज़रिया
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ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
पत्नी को खुश रखना है तो ध्यान दें, बड़ी चीजों के पीछे भागते हुए हम छोटी खुशियों को खो देते हैं
जरूरी नहीं है कि लंबी छुट्टी लेकर दूर कहीं ट्रिप पर जाकर पहाड़ों और बर्फ के बीच ही आप पत्नी के साथ खुश रह सकते हैं, इन छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देंगे तो हर रोज आपकी लाइफ हैप्पी बन सकती है.
समाज
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एक अलग नज़रिया
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ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
एक हाउसवाइफ को कितनी सैलरी मिलनी चाहिए?
घर की महिलाओं का क्या है, वे तो इतना काम करने के बाद भी खर्च के पैसे बड़े संकोच के साथ मांगती है. उनसे तो पूछ भी लिया जाता है कि तुम दिन भर करती क्या हो? आप बताइए कि हाउसवाइफ की सैलरी कितनी होनी चाहिए?
समाज
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एक अलग नज़रिया
| 4-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
बेटी तुम्हें हमारी तरफ से आजादी है मगर इन बातों का ध्यान रखना
कई माता-पिता अपनी बेटियों को भी उतना ही प्यार दुलार देते हैं जितना बेटों को. वे बेटियों की शिक्षा में कोई कमी नहीं करते हैं. वे चाहते हैं कि उनकी बेटी पढ़लिख कर कुछ बने और अपने पैरों पर खड़ी हो. वे अपनी बेटी को आजादी तो देते हैं मगर कंडीशन अप्लाई के साथ और यहीं पर वे गलती करते हैं.
समाज
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एक अलग नज़रिया
| 4-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
क्या ठंड सिर्फ पुरुषों को लगती है, सुबह उठकर काम करने वाली गृहिणी को नहीं?
वह मां है, पत्नी है, बहू है और इसी का फर्ज निभाती है. वह दिन रात चकरी की तरह भागती ही रहती है. जैसे उसके अंदर रोबोट फिट कर दिया गया हो. आखिर उसकी कभी छुट्टी क्यों नहीं होती? आखिर वह कभी आराम क्यों नहीं करती? वह किस मिट्टी की बनी है, आखिर उसे ठंड क्यों नहीं लगती?